एक चिड़िया जिसने पंख भी न फैलाये ,
उड़ने से पहले ही पंख काट दिए ,
मिले उसको सहारे अपनो के ,
लेकिन अपनो ने ही पीठ पीछे वार किए ,
जिंदा है उसकी साँसे मगर मर मर कर जी रही है,
क्या कसूर उसका ना जाने, बस उड़ने की चाहत थी,
कुछ पल अपनो के संग साथ निभाने की चाहत थी,
मगर रिस्तो के बंधन ने उसको मजबूर कर दिया ,
खुद का हसना भी याद नही रहा,
मजबूर कर दिया उसको मजबूरियों ने बस खामोशी से तमाशा देख रही थी । 🌹✍️
- डिम्पल कुमारी 🌹✍️