रुद्री के चेहरे पर नफरत के भाव उभर आए। उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ फेरते हुए कहा "हां....हां....जानती हूं वो क्या चाहते हैं और क्या नहीं। तभी तो मुझे डिफेंड करने वाले वकील को फीस तक नही दे सके। बापू चाहते तो एक अच्छा सा वकील हायर करके मुझे फांसी से तो बचा ही सकते थे। लेकिन वो क्यूं बचाएंगे आखिरकार उनकी दिले इच्छा जो पूरी हो रही है। मैं जो हमेशा के लिए उनकी जिंदगी से दूर जा रही हूं। छी.....लानत है ऐसे बाप पर।"
तड़ाकक्क्क......!! एक जोरदार थप्पड़ सरोज जी ने रुद्रेश्वरी के गाल पर रख दिया था। रुद्री की आंखों में लाली उतर आई। लेकिन ये आंसू थप्पड़ के दर्द की वजह से नही थे। बल्कि आज पहली बार उसकी माई ने उस पर हाथ उठाया था। जिस माई ने आज तक कभी अपनी बेटी से कठोर आवाज में भी बात नही की थी, आज उसने सबके सामने उस पर हाथ उठा दिया था।
सरोज जी ने रुद्री के दोनो कंधो को पकड़ कर हिलाते हुए कहा "बापू है वो तेरा समझी?? आइंदा से जुबान संभाल कर बात करना उनके बारे में। उन्होंने तेरे लिए क्या किया है और क्या नहीं.... ये अगर तू एक बार जान जायेगी तो इस धरती पर खड़ी नही रह पाएगी।"
रुद्रेश्वरी ने अपने आंसुओं को आंखों में ही सोख लिया और घृणा भरे भाव से कहा "अगर ऐसे ही बापू आइडियल होते हैं तो मैं कहूंगी इस दुनिया में हर कोई अनाथ ही पैदा हो!"
रुद्रेश्वरी की इस चुभन भरी बात ने सरोज जी के सीने को छलनी कर दिया। उन्हें पहली बार ये एहसास हुआ चाहे हम कितना भी अच्छा सोच लें अपने बच्चों के बारे में लेकिन अगर एक भी काम करने में असफल रहे तो हम उनकी नजरों में कैसे खलनायक बन जाते हैं।
रुद्री के पापा शांतनु जी सरोज जी के पास आए और सख्त लहजे में बोले "अगर आपकी बातें और मेल-मिलाप खत्म हो गया हो तो घर चलें? मुझे अपनी मीटिंग्स भी अटेंड करनी हैं। हम भी कब तक आतंकवादी को बचा पाएंगे, उसे तो अपने कर्मो की सजा मिल कर ही रहेगी।"
रुद्रेश्वरी ने गुस्से और नफरत के मिले जुले भाव चेहरे पर लाते हुए कहा "बापू! आज तो आप मुझे आतंकवादी कह रहे हैं और कभी आप ही मुझे इस देश का वीर जवान कहा करते थे। एक ही दिन में इंसान बदल गया या उसके बोल बदल गए? आप कैसे अपनी ही जुबान से अपनी बेटी को आतंकवादी कह सकते हैं?"
शांतनु जी ने अपने दाएं हाथ की एक उंगली दिखाते हुए कहा "खबरदार! जो मुझे बापू कहा तो। तू मेरी बेटी नही है ना मैं तेरा बापू.......समझी?? मुझे क्या पता था मैने अपने ही घर में एक देशद्रोही पाल रखा है। तुमसे अच्छा तो एक कुत्ता पाल लेता अगर काटने को भी दौड़ता तो सिर्फ मुझे ही नुकसान पहुंचाता...... पूरे शहर को नहीं।"
सरोज जी ने रोते हुए शांतनु जी से कहा "बस भी करिए आप! प्लीज कुछ करिए मेरी बच्ची को बचा लीजिए प्लीज! आप अपने विदेशी क्लाइंट्स से बात करके देखो, हो सकता है वो कोई अच्छा लॉयर हायर कर देंगे हमारी बच्ची की पैरवी के लिए।"
शांतनु जी सरोज जी को लगभग घसीटते हुए गाड़ी में ले गए और पीछे की सीट पर बिठा दिया। ड्राइवर को गाड़ी चलाने का कह कर खुद सरोज जी के पास पीछे की सीट पर ही बैठ गए। ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट की और सड़क पर दौड़ा दी।
रुद्रेश्वरी अपने माई-बापू को जाते हुए देख कर वहीं बिलख-बिलख कर रोने लगी। दोनो लेडी कॉन्स्टेबल ने उसे पकड़ कर गाड़ी में बिठाया और गाड़ी सेंट्रल जेल की तरफ चल पड़ी।
क्रमश:.......🌞🐬