shabd-logo

रुद्रेश्वरी (भाग 2)

19 नवम्बर 2021

25 बार देखा गया 25

रुद्री के चेहरे पर नफरत के भाव उभर आए। उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ फेरते हुए कहा "हां....हां....जानती हूं वो क्या चाहते हैं और क्या नहीं। तभी तो मुझे डिफेंड करने वाले वकील को फीस तक नही दे सके। बापू चाहते तो एक अच्छा सा वकील हायर करके मुझे फांसी से तो बचा ही सकते थे। लेकिन वो क्यूं बचाएंगे आखिरकार उनकी दिले इच्छा जो पूरी हो रही है। मैं जो हमेशा के लिए उनकी जिंदगी से दूर जा रही हूं। छी.....लानत है ऐसे बाप पर।"
तड़ाकक्क्क......!! एक जोरदार थप्पड़ सरोज जी ने रुद्रेश्वरी के गाल पर रख दिया था। रुद्री की आंखों में लाली उतर आई। लेकिन ये आंसू थप्पड़ के दर्द की वजह से नही थे। बल्कि आज पहली बार उसकी माई ने उस पर हाथ उठाया था। जिस माई ने आज तक कभी अपनी बेटी से कठोर आवाज में भी बात नही की थी, आज उसने सबके सामने उस पर हाथ उठा दिया था।

सरोज जी ने रुद्री के दोनो कंधो को पकड़ कर हिलाते हुए कहा "बापू है वो तेरा समझी?? आइंदा से जुबान संभाल कर बात करना उनके बारे में। उन्होंने तेरे लिए क्या किया है और क्या नहीं.... ये अगर तू एक बार जान जायेगी तो इस धरती पर खड़ी नही रह पाएगी।"

रुद्रेश्वरी ने अपने आंसुओं को आंखों में ही सोख लिया और घृणा भरे भाव से कहा "अगर ऐसे ही बापू आइडियल होते हैं तो मैं कहूंगी इस दुनिया में हर कोई अनाथ ही पैदा हो!"

रुद्रेश्वरी की इस चुभन भरी बात ने सरोज जी के सीने को छलनी कर दिया। उन्हें पहली बार ये एहसास हुआ चाहे हम कितना भी अच्छा सोच लें अपने बच्चों के बारे में लेकिन अगर एक भी काम करने में असफल रहे तो हम उनकी नजरों में कैसे खलनायक बन जाते हैं।

रुद्री के पापा शांतनु जी सरोज जी के पास आए और सख्त लहजे में बोले "अगर आपकी बातें और मेल-मिलाप खत्म हो गया हो तो घर चलें? मुझे अपनी मीटिंग्स भी अटेंड करनी हैं। हम भी कब तक आतंकवादी को बचा पाएंगे, उसे तो अपने कर्मो की सजा मिल कर ही रहेगी।"

रुद्रेश्वरी ने गुस्से और नफरत के मिले जुले भाव चेहरे पर लाते हुए कहा "बापू! आज तो आप मुझे आतंकवादी कह रहे हैं और कभी आप ही मुझे इस देश का वीर जवान कहा करते थे। एक ही दिन में इंसान बदल गया या उसके बोल बदल गए? आप कैसे अपनी ही जुबान से अपनी बेटी को आतंकवादी कह सकते हैं?"

शांतनु जी ने अपने दाएं हाथ की एक उंगली दिखाते हुए कहा "खबरदार! जो मुझे बापू कहा तो। तू मेरी बेटी नही है ना मैं तेरा बापू.......समझी?? मुझे क्या पता था मैने अपने ही घर में एक देशद्रोही पाल रखा है। तुमसे अच्छा तो एक कुत्ता पाल लेता अगर काटने को भी दौड़ता तो सिर्फ मुझे ही नुकसान पहुंचाता...... पूरे शहर को नहीं।"

सरोज जी ने रोते हुए शांतनु जी से कहा "बस भी करिए आप! प्लीज कुछ करिए मेरी बच्ची को बचा लीजिए प्लीज! आप अपने विदेशी क्लाइंट्स से बात करके देखो, हो सकता है वो कोई अच्छा लॉयर हायर कर देंगे हमारी बच्ची की पैरवी के लिए।"

शांतनु जी सरोज जी को लगभग घसीटते हुए गाड़ी में ले गए और पीछे की सीट पर बिठा दिया। ड्राइवर को गाड़ी चलाने का कह कर खुद सरोज जी के पास पीछे की सीट पर ही बैठ गए। ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट की और सड़क पर दौड़ा दी।

रुद्रेश्वरी अपने माई-बापू को जाते हुए देख कर वहीं बिलख-बिलख कर रोने लगी। दोनो लेडी कॉन्स्टेबल ने उसे पकड़ कर गाड़ी में बिठाया और गाड़ी सेंट्रल जेल की तरफ चल पड़ी।

क्रमश:.......🌞🐬


काव्या सोनी

काव्या सोनी

Wah Princess bahutttttttt mst Likha aapne ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ Fr se mil gye hum🌹😍😚

19 नवम्बर 2021

BhaRti YaDav

BhaRti YaDav

19 नवम्बर 2021

Haa masi😍

2
रचनाएँ
रुद्रेश्वरी: बिगनिंग ऑफ़ "द एंड"
0.0
इलाहाबाद हाई कोर्ट, उत्तर प्रदेश "ऑर्डर! ऑर्डर! ये अदालत सभी गवाहों और सबूतों को मद्देनजर रखते हुए रुद्रेश्वरी माहेश्वरी को कातिल मानकर फांसी की सजा सुनाती है।" जज ने कोर्ट में अपना फैसला सुनाया। इतना सुनकर रुद्रेश्वरी की मम्मी धम्म से वही बैठ गई। रुद्रेश्वरी कटघरे में खड़ी अपनी ही सोच में गुम थी, शायद अभी भी इसी उम्मीद में कि जज अपना फैसला बदल देंगे। "द कोर्ट इज डिसमिस्ड नाउ!" कहते हुए जज अपनी जगह से खड़े हो गए। रुद्रेश्वरी सुन्न होकर अपनी ही जगह पर खड़ी हुई थी, मानो अभी कोई फरिश्ता आएगा और उसे यहां से ले जायेगा। 2 लेडी पुलिस कांस्टेबल ने रुद्रेश्वरी के हाथों में हथकड़ी पहनाई और वहां से ले जाने लगी। वहां मौजूद ज्यादातर लोगो की आंखों में गुस्से के भाव थे। वो सब गुस्से भरी दृष्टि से रुद्रेश्वरी को वहां से जाते हुए देख रहे थे। रुद्री की मां उसके पास आई और उससे लिपट कर रोते हुए बोली "रुद्री बेटा सच बता दे पुलिस को, कम से कम फांसी से तो बच जायेगी। तू तो हमेशा इस देश पर मर मिटने के लिए तैयार थी ना। प्लीज बेटा ये मां तेरे सामने हाथ जोड़ कर तेरी जान की भीख मांग रही है। बच्चे चाहे कितने भी नालायक हो लेकिन मां बाप के लिए वो हमेशा उनके जिगर का टुकड़ा ही होते हैं। मैं तुझे फांसी पर नही लटकने दूंगी। तू बस सच बता दे बेटा प्लीज, फांसी की सजा से बच जायेगी। जब पहली बार तू एसपी की कुर्सी पर बैठी थी तब तूने कहा था ना कि तू कभी कोई गलत काम नहीं करेगी। देख बेटा जो भी तेरा मकसद था, या किसी के भी कहने पर तूने इतना बड़ा कदम उठाया हो, बस जो भी है सब सच सच बता दे पुलिस वालो को। मुझे तो अभी भी यकीन नही हो रहा तूने इतना बड़ा कदम कैसे उठा लिया।" रुद्री ने खुद को संभाला और मुस्कुराते हुए अपनी मां को खुद से दूर करते हुए कहा "मरना तो मैं भी नही चाहती माई लेकिन क्या करूं शायद किस्मत को यही मंजूर है। बापू से कह देना जा रही हूं उनकी जिंदगी से हमेशा हमेशा के लिए दूर और इतनी दूर कि मेरी ये मनहूस शक्ल कभी नही दिखेगी उनको।" रुद्री की मां (सरोज) ने आंखों में आंसू भर कर कहा "नही बेटा! तेरे पापा ये बिलकुल भी नहीं चाहते। माना कि वो तेरी ऐसी हरकत पर नाराज़ जरूर थे और होते भी क्यों नही आखिर तूने अपने ही शहर के साथ गद्दारी की है। लेकिन वो तुझे कभी भी फांसी पर लटकते हुए नही देख सकते।"

किताब पढ़िए