shabd-logo

रुद्रेश्वरी (भाग-2)

20 नवम्बर 2021

25 बार देखा गया 25
आगरा सेंट्रल जेल,
उत्तर प्रदेश

रुद्रेश्वरी को सेंट्रल जेल ले जाया गया। उसने कभी अपने सपने में भी नही सोचा था कि उसे भी कभी जेल जाना पड़ेगा। लेकिन उसने जो कुछ भी किया है उसके सामने तो फांसी भी फीकी है। सैकड़ों लोगो का घर उजाड़ दिया उसने एक पल में।

रुद्रेश्वरी खुद को बचाने के तरीके सोच रही थी परंतु उसका दिमाग भी सुन्न पड़ चुका था। वो कोई भी कारगार प्लान सोचने में असमर्थ महसूस कर रही थी खुद को।
आज की रात उसके लिए बहुत मुश्किल भरी होने वाली थी। इतने दिनो की भाग दौड़ के बाद वो बुरी तरह थक चुकी थी और साथ ही खुद को बचाने में भी नाकामयाब रही। थकावट की वजह से आंखें लाल और सूजी हुई लग रही थी। नींद तो उससे कोसों दूर थी।

पूरे लखनऊ शहर के हर एक न्यूज चैनल पर यही खबरें हैडलाइट बनी हुई थी.......
"लखनऊ की पूर्व एसपी रुद्रेश्वरी माहेश्वरी को इलाहबाद हाई कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है! फिलहाल उनको आगरा सेंट्रल जेल में रखा गया है!" 

"सुनने में आया है कि उनके पिता शांतनु माहेश्वरी ने भी उनका साथ देने से मना कर दिया है। इसी वजह से दोनो बाप-बेटी में कोर्ट के बाहर कुछ अनबन भी हुई थी।"

"देखते हैं क्या रुद्रेश्वरी अपने बचाव के लिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी? अगर हां, तो क्या उसके समाजसेवी पिता शांतनु माहेश्वरी भी मदद करेंगे एक आतंकवादी को बचाने में?"

जानने के लिए सभी सवालों के जवाब जुड़े रहिए हमसे।


अगली सुबह, 
आगरा सेंट्रल जेल

रुद्रेश्वरी की सारी रात आंखों में ही कट गई। ना तो उसको नींद आई और ना ही रात भर उसको चैन मिला। पूरी रात बेचैन सी इधर उधर टहलती रही।

"आपसे कोई मिलना चाहता है।" एक हवलदार ने जेल की सलाखों के बाहर से ही रुद्रेश्वरी को कहा।

ये सुन कर रुद्रेश्वरी की आंखें छोटी हो गई। उससे इतनी सुबह भला कौन मिलने आया है। अब तो उसके माई-बापू भी नही आ सकते उससे मिलने। 
रुद्रेश्वरी ने कुछ सोच कर कहा "ठीक है उसे भेज दो।"

हवलदार एक आदमी को लेकर आया जिसकी उम्र करीब 24-25 साल होगी। दिखने में हैंडसम, महंगी ब्रांडेड शर्ट, महंगे शूज, हाथ में महंगी घड़ी पहनी हुई थी। कुल मिलाकर दिखने में वो बहुत अमीर घर का लग रहा था। उसने हाथ में एक काले रंग का बैग पकड़ा हुआ था।

रुद्रेश्वरी ने उस आदमी को देखा तो उसके मन में पहला सवाल यही आया "ये कौन है और मुझसे क्यों मिलने आया है....??"

हवलदार ने उस आदमी से कहा आपको जितना टाइम लिमिट दिया है उससे पहले अपना काम समेट लेना।
उस आदमी ने भी मुस्कुरा कर हामी भर दी।

रुद्रेश्वरी अभी भी उस आदमी को देख कर पहचानने की कोशिश में लगी हुई थी। वो आदमी रुद्री का एक्सप्रेशन देख कर उसके मन में चल रहे सवालों को भाप गया। उसने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा "हैलो! आई एम ऑलिवर स्मिथ!"

रुद्रेश्वरी ने प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए ही उससे हाथ मिलाया। 
रुद्रेश्वरी कुछ पूछती उससे पहले ऑलिवर ने एक इंग्लिश न्यूज पेपर उसके हाथ में थमाते हुए कहा "मैने ये खबर पढ़ी तो मैं आपसे मिलने चला आया! मैं अमेरिका से आज ही भारत आया हूं।"

रुद्रेश्वरी उसको इतनी शानदार हिंदी बोलते हुए देख हैरान रह गई। रुद्री ने अपना पहला सवाल उसके समक्ष रखते हुए कहा "आप अमेरिकन होते हुए इतनी अच्छी हिंदी कैसे बोल लेते हैं?"

ऑलिवर ने एक्सप्लेन करने की मानसिकता से कहा "माय नेम इज अमेरिकन बट आईएम बेसिकली इंडियन! सिंस लास्ट 5 ईयर्स आईएम लिविंग इन अमेरिका। माय पैरेंट्स शिफ्टेड इन अमेरिका बिफोर माय बर्थ। एट द एज ऑफ़ 10 आई केम इन इंडिया विद माय पैरेंट्स। इंडियन कल्चर अट्रेक्टेड मी अ लॉट। दैट्स वाय, आई डिसाइडेड टू लिव इन इंडिया विद माय ग्रांडपैरेंट्स। आई एंजॉयड 10 इंपोर्टेंट ईयर्स ऑफ़ माय लाइफ इन इंडिया। बिफोर 5 ईयर्स आई वेंट अमेरिका फॉर माय स्टडी पर्पज। व्हेन आई रेड दिस न्यूज इन न्यूजपेपर...... आई एम हेयर फॉर सेविंग योर लाइफ!"

रुद्रेश्वरी टकटकी लगाए उसकी हर एक बात ध्यान से सुन रही थी। उसे ये सब बहुत अजीब लग रहा था सुनने में।

रुद्री ने अपना एक आईब्रो उचकाते हुए ऑलिवर से पूछा "लेकिन मैं किस आधार पर यकीन करूं कि तुम जो कह रहे वो सब सच है?"

ऑलिवर ने कुटिलता से मुस्कुराते हुए कहा "इट्स योर चॉइस! तुम मुझ पर यकीन करोगी तो शायद मैं तुम्हें फांसी से बचा पाऊं और अगर तुमने यकीन नही किया तो फांसी तो है ही तुम्हारे लिए। अगर यकीन कर भी लोगी तो तुम्हारे पास खोने के लिए कुछ भी नही है। मैं इस केस को ना सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में ले जाऊंगा बल्कि तुम्हे फांसी से भी बचा लूंगा, ये वादा है मेरा तुमसे और अपने काले कोट से।"

रुद्रेश्वरी को भी ये एहसास हुआ कि अगर वो यकीन कर भी लेती है तो उसके पास खोने का कुछ भी नही है। क्या पता सच में वो फांसी से बच जाए। 
उसने बहुत कुछ सोचा और अपने विवेक से सोच-समझ कर ऑलिवर को केस लड़ने के लिए हां कह दिया।

ऑलिवर ने अपने काले बैग में से एक फाइल निकाली और जेब में से एक महंगा सा दिखने वाला पेन निकाला और रुद्रेश्वरी की तरफ देख कर कहा "हालांकि मैने न्यूज पेपर्स, गूगल, न्यूज चैनल्स वगैरह पर आपकी कहानी सुनी है लेकिन मैं पूरी कहानी आपके मुंह से सुनना चाहता हूं। इससे मुझे हर एक पहलू को आपस में जोड़ने में फायदा मिलेगा। आप सिर्फ वही बताइएगा जो एकदम सच हो ताकि मुझे भी केस की पैरवी करने में आसानी हो।"

रुद्रेश्वरी ने बारी-बारी से उसकी दोनो आंखों में देखा। वो अभी भी ये डिसाइड नही कर पा रही थी कि कहां से शुरुवात करे।

ऑलिवर ने उसकी मानसिकता भापते हुए कहा "तुम एकदम शुरुवात से मुझे बता सकती हो। हो सकता है वहां से ही कोई रास्ता निकल आए तुम्हे बचाने का।"

रुद्रेश्वरी ने सामने रखा ग्लास उठाया और एक सांस में सारा पानी पी गई फिर एक गहरी सांस ली और ऑलिवर की आंखों में देखने लगी।


क्रमश:........🌞🐬


काव्या सोनी

काव्या सोनी

वाह princess कमाल का लिखा behtreen ❣️👏❣️🍫👌🍫❣️🍫👌❤️👌❤️

22 नवम्बर 2021

2
रचनाएँ
रुद्रेश्वरी: बिगनिंग ऑफ़ "द एंड"
0.0
इलाहाबाद हाई कोर्ट, उत्तर प्रदेश "ऑर्डर! ऑर्डर! ये अदालत सभी गवाहों और सबूतों को मद्देनजर रखते हुए रुद्रेश्वरी माहेश्वरी को कातिल मानकर फांसी की सजा सुनाती है।" जज ने कोर्ट में अपना फैसला सुनाया। इतना सुनकर रुद्रेश्वरी की मम्मी धम्म से वही बैठ गई। रुद्रेश्वरी कटघरे में खड़ी अपनी ही सोच में गुम थी, शायद अभी भी इसी उम्मीद में कि जज अपना फैसला बदल देंगे। "द कोर्ट इज डिसमिस्ड नाउ!" कहते हुए जज अपनी जगह से खड़े हो गए। रुद्रेश्वरी सुन्न होकर अपनी ही जगह पर खड़ी हुई थी, मानो अभी कोई फरिश्ता आएगा और उसे यहां से ले जायेगा। 2 लेडी पुलिस कांस्टेबल ने रुद्रेश्वरी के हाथों में हथकड़ी पहनाई और वहां से ले जाने लगी। वहां मौजूद ज्यादातर लोगो की आंखों में गुस्से के भाव थे। वो सब गुस्से भरी दृष्टि से रुद्रेश्वरी को वहां से जाते हुए देख रहे थे। रुद्री की मां उसके पास आई और उससे लिपट कर रोते हुए बोली "रुद्री बेटा सच बता दे पुलिस को, कम से कम फांसी से तो बच जायेगी। तू तो हमेशा इस देश पर मर मिटने के लिए तैयार थी ना। प्लीज बेटा ये मां तेरे सामने हाथ जोड़ कर तेरी जान की भीख मांग रही है। बच्चे चाहे कितने भी नालायक हो लेकिन मां बाप के लिए वो हमेशा उनके जिगर का टुकड़ा ही होते हैं। मैं तुझे फांसी पर नही लटकने दूंगी। तू बस सच बता दे बेटा प्लीज, फांसी की सजा से बच जायेगी। जब पहली बार तू एसपी की कुर्सी पर बैठी थी तब तूने कहा था ना कि तू कभी कोई गलत काम नहीं करेगी। देख बेटा जो भी तेरा मकसद था, या किसी के भी कहने पर तूने इतना बड़ा कदम उठाया हो, बस जो भी है सब सच सच बता दे पुलिस वालो को। मुझे तो अभी भी यकीन नही हो रहा तूने इतना बड़ा कदम कैसे उठा लिया।" रुद्री ने खुद को संभाला और मुस्कुराते हुए अपनी मां को खुद से दूर करते हुए कहा "मरना तो मैं भी नही चाहती माई लेकिन क्या करूं शायद किस्मत को यही मंजूर है। बापू से कह देना जा रही हूं उनकी जिंदगी से हमेशा हमेशा के लिए दूर और इतनी दूर कि मेरी ये मनहूस शक्ल कभी नही दिखेगी उनको।" रुद्री की मां (सरोज) ने आंखों में आंसू भर कर कहा "नही बेटा! तेरे पापा ये बिलकुल भी नहीं चाहते। माना कि वो तेरी ऐसी हरकत पर नाराज़ जरूर थे और होते भी क्यों नही आखिर तूने अपने ही शहर के साथ गद्दारी की है। लेकिन वो तुझे कभी भी फांसी पर लटकते हुए नही देख सकते।"

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए