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उम्मीद

Sushma Vohra

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यह कहानी पारिवारिक रिश्तो का आंकलन करती है। इसकी मूल संवेदना पिता पुत्र पति-पत्नी भाई बहन जैसे रिश्तो को दर्शाती है। प्रेम सद्भाव से ओतप्रोत यह कहानी पति-पत्नी के बिछड़ने और मिलने का बोध कराती है। पुत्र के बचपन से किशोरावस्था तक जाने में , फिर उसे अपने अस्तित्व का ज्ञान होना तथा माता को खोजने के लिए हर संभव प्रयास करना । इस कार्य में प्रयासरत रहते हुए भाई बहन के मिलने का प्रसंग रोचक है। अनजाने में एक दूसरे के संपर्क में आने से जो परिस्थितियां उत्पन्न हुई, उन अनुभूतियों को दर्शाने का प्रयास किया गया है। मन के भावों पर कोई नियंत्रण नहीं होता। उम्मीद इंसान को उसके मार्ग पर आगे बढ़ने की राह दिखाती है। प्रकृति हर तरह से आपको आगे बढ़ने के रास्ते दिखाती है। विशाल पेड़ , खेत-खलिहान और नए नए अविष्कार सब आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। इस कहानी में बताया गया है। अगर इंसान मन में ठान ले तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं है। रुकना मानव के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। प्रथम भाग में पत्नी के साथ हुआ हादसा पति के वियोग और पति की मनो स्थिति को दर्शाता है। स्नेही परिवार इस कहानी को रचनात्मकता दिए रहते हैं। दूसरे भाग में पुत्र का बड़ा होना, उसकी असमंजस की स्थिति कि "वह कौन है " दर्शाता है। कैसे वह पहले खुद से परिचित होता है, फिर पिता से । तीसरे भाग में माता को ढूंढते हुए वह अनजाने में ननिहाल पहुंचता है। वहां से वह सुरागों को ले पिता से मिलता है। पिता पुत्र के मिलन का प्रसंग काफी रोचक है। इस भाग में भाई-बहन के मिलन के दृश्यों को दिखाया गया है। जहां चाह वहां राह की डगर मानव को उसके पथ पर अग्रसर करती है। गाड़ी कितने ही स्टेशनों पर पीछे छोड़ते हुए निरंतर आगे बढ़ती रहती है , अंततः अपने गंतव्य पर यात्री को पहुंचा ही देती है। कहानी का अंत सुखद है पति -पत्नी का मिलाप, भाई बहन का अटूट बंधन जो जग विख्यात है। एक दूसरे के बिना परिवार अधूरा है। मां की सांसों से जुड़ा रिश्ता अंदर तक छू जाता है। मां का अहसास किस्मत से मिलता है। मां जननी है पालनहार है। मां से धरती पर स्वर्ग है। मां का आंचल दुआओं का पिटारा है। धन्पवाद । 

ummiid

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