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Treatment of Prostate Gland-प्रोस्टेट ग्लैंड का उपचार

10 मई 2016

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आजकल एक समस्या देखने को आ रही है प्रोस्टेट ग्लैंड(Prostate Gland) ज्यादा बढ़ जाना ये अधिक तर चालीस साल की उम्र से लेकर साठ साल की उम्र के लोग अधिक लोग परेशान रहते है प्रोस्टेट ग्लैंड का काम यूरीन के बहाव(Urine flow) को कंट्रोल करना और प्रजनन के लिए सीमेन(Semen) बनाना है उम्र बढ़ने पर यह ग्रंथि बढ़ने लगती हैं इस ग्रंथि का अपने आप में बढ़ना ही हानिकारक होता हैं इसे बीपीएच (Binign prostate hyperplasia) कहते हैं-




पुरुषों के शरीर में होने वाला हारमोन(Hormone)का परिवर्तन एक विशेष कारण हो सकता है प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ जाने से मूत्र उत्सर्जन(Urination) की परेशानी हो जाती है इस ग्रंथि के आकार में वृद्धि हो जाने पर मूत्र नलिका(Urinary tract) अवरुद्ध हो जाती है और यही पेशाब रुकने का कारण बनती है-


लक्षण-


1- रुक-रुक कर पेशाब होना या रात को कई बार पेशाब के लिए उठना-


2- पेशाब करने में कठिनाई का होना -


3- महसूस होता है कि तेज पेशाब लगी है लेकिन करने पर बूंद-बूंद कर होती है -


4- कुछ लोगों को पेशाब में जलन(dysuria) मालुम होती है -


5- मूत्र पर नियंत्रण नहीं होता है पेशाब कर चुकाने के बाद भी मूत्र की बूंदे टपकती है -


6- मूत्राशय पूरी तरह खुल कर नहीं आता और शेष मूत्र -मूत्राशय में ही रह जाता है जहाँ रोगाणु के पनपने की संभावना बढ़ जाती है -


7- सम्भोग में वीर्य(semen) निकलने पर दर्द होता है 


ऐसी अवस्था में मरीज को चिकित्सा की आवश्यकता होती है चूँकि लगातार मूत्र की थैली के भरे होने के कारण इसका दबाव गुर्दों पे भी पड़ता है इसलिए गुर्दे भी खराब होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कुछ रोगियों में दवाईयों से कोई विशेष लाभ न होने के कारण surgery(शल्यक्रिया) करके रोगी के शरीर से prostate gland(प्रोस्टेट ग्रंथि) निकाल दी जाती है वैसे आजकल चिकित्सा की आधुनिक पद्धति से कम से कम चीर-फाड़ व रक्त-स्राव द्वारा प्रोस्टेट ग्रंथि की बीमारी का इलाज संभव है इसकी आधुनिक तकनीक है लेज़र किरणों से प्रोस्टेक्टॉमी-


लेजर प्रोस्टेक्टॉमी(Laser Prostektomi)-


इसमें लेजर किरणों के माध्यम से prostate gland(प्रोस्टेट ग्रंथि) के उस हिस्से को काटकर अलग कर दिया जाता है जिससे मूत्र नलिका का मार्ग अवरूद्ध हो रहा होता है-लेज़र प्रोस्टेक्टॉमी में एक फाइबर ऑप्टिक टेलीस्कोप(Fiber optic telescope) दूरबीन को मरीज़ के मूत्रद्वार से मूत्राशय की ओर भेजा जाता है- यहां प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़े हुए हिस्से को काटकर निकाल दिया जाता है और प्रोस्टेट के टुकड़े को ब्लैडर(मूत्राशय) में धकेल दिया जाता है- मूत्रमार्ग में कैथेटर (नली) डाल दी जाती है जिससे मूत्र उत्सर्जन निर्बाधित रूप से होता रहता है- मूत्राशय में धकेले गए ग्रंथि के बचे हुए हिस्सों को वहां से निकाल दिया जाता है- प्रोस्टेट के इन टुकड़ों को पैथोलॉजी जांच के लिए भेजा जाता है जहां ग्रंथि के आकार में वृद्धि के कारणों की जांच की जाती है- प्रोस्टेट ग्रंथि के लेज़र सर्जरी से निकालने के बाद पेशाब करने की बढ़ी आवृत्ति,तीव्र इच्छा व मूत्राशय पूर्णतः खाली न होने जैसी शिकायतें दूर हो जाती हैं और मूत्र का प्रवाह भी ठीक हो जाता है-


क्या उपचार करे(what is treatment)-


वैसे हमें प्रकृति द्वारा भी एक वरदान मिला है और वो है Pumpkin(सीताफल) जिसे हम आम भाषा में कद्दू भी कहते है इसके बीज इस बीमारी में बेहद ही लाभदायक है सीताफल के Raw seeds(कच्चे बीज) हर दिन अपने खाने में इस्तेमाल किया जाए, तो काफी हद तक यह प्रोस्टेट की समस्या से बचाव करने में मददगार होता है इन बीजों में ऐसे 'प्लांट केमिकल' मौजूद होते हैं जो शरीर में जाकर टेस्टोस्टेरोन(Testosterone)कोडिहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन(Dihydrotestosterone) में बदलने से बचाता है जिससे प्रोस्टेट कोशिकाएं(Prostate cells) नहीं बन पातीं है -


कच्चे सीताफल के बीज में काफी मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होते हैं- जैसे आयरन, फॉस्फोरस, टि्रप्टोफैन, कॉपर, मैग्नेशियम, मैग्नीज, विटामिन के, प्रोटीन, जरूरी फैटी एसिड और फाइटोस्टेरोल- ये बीज जिंक के बेहतरीन स्रोतों में से एक माने जाते हैं- हर दिन 60 मिलीग्राम जिंक का सेवन प्रोस्टेट से जूझ रहे मरीजों में बेहद फायदा पहुंचाता है और उनके स्वास्थ्य में भी सुधार करता है- इन बीजों में बीटा-स्टिोसटेरोल भी होता है जो टेस्टोस्टेरोन को डिहाइड्रोटेस्टेरोन में बदलने नहीं देता- जिससे इस ग्रंथि के बढ़ने की संभावना न के बराबर हो जाती है-


आप सीताफल के बीज कच्चा या भून कर या फिर दूसरे बीजों के साथ मिलाकर खा सकते हैं आप इसे अपने हर दिन के खाने में शामिल कर सकते है तथा इसे सलाद में मिलाकर भी खाया जा सकता है-


टमाटर भी प्रोस्टेट ग्रंथि वृद्धि को रोकने के लिए उपयोगी होते हैं- टमाटर 'लाइकोपीन' जो एक एंटीऑक्सीडेंट कार्य करता है और प्रोस्टेट ग्रंथि के आकार में वृद्धि को रोकने में मदद करता है में समृद्ध है-


एक और प्राक्रतिक उपाय है अदरक इसे भी आप प्रोस्टेट ग्रंथि के सामान्य कामकाज के लिए आहार में शामिल कर सकते है-


प्रोस्टेट ग्रंथि की सूजन को रोकने के लिए जुनिपर बेरीज के साथ-साथ अपने दैनिक आहार में अजवायन भी शामिल कर सकते है -


प्रोस्टेट ग्रंथि से पीड़ित मरीज को बारी-बारी ठन्डे और गर्म पानी का स्नान भी लाभदायक है बढे हुए प्रोस्टेट ग्रंथि से पीड़ित को गर्म और ठंडे स्नान में आधे घंटे के लिए हर रोज बैठना चाहिए-


गाजर का रस भी बढ़े हुए प्रोस्टेट के लक्षण को रोकने में उपयोगी है- आप बराबर मात्रा में गाजर का रस और पालक का रस मिश्रण बढ़े हुए प्रोस्टेट की अपनी समस्या का समाधान कर सकते हैं- यह एक स्वस्थ पेय है और प्रोस्टेट ग्रंथि के सामान्य कामकाज में मदद करता है-


बचाव-


जो लोग जो प्रोस्टेट ग्रंथि से पीड़ित है तथा बहुत शराब या कैफीन का सेवन करते है  उनको इससे बिलकुल ही दूर रहना चाहिए-बहुत पानी पीकर भी सोने से पहले बचे -


क्या करे-


हल्के व्यायाम या सुबह की सैर के लिए फिट और स्वस्थ रहने के लिए मदद करता है-


पोस्ट बड़ी हो जाने के कारण हम आपको इसका उपचार होम्योपैथी का अगली पोस्ट में सुबह प्रकाशित करेगे-पढना न भूले-


Homeopathic-Treatment Of Prostate Gland-प्रोस्टेट ग्लैंड का होम्योपैथी उपचार-


Upcharऔर प्रयोग-

गौरी कान्त शुक्ल

गौरी कान्त शुक्ल

जानकारी देने के लिए बहुत आभार

11 मई 2016

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