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उत्तम संतान प्राप्ति हेतु एक प्राचीन अनुभूत क्षीरी कल्प योग

4 जुलाई 2018

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अभी कुछ ही दिन पहले भारत भर में वट सावित्री का पर्व बड़े ही भक्ति व श्रद्धा के साथ मनाया गया जिसमें सुहागन माता व बहनें वटवृक्ष (Banyan Tree) की विधिवत पूजा करती है तथा अपने सौभाग्य के लिए प्रार्थना करती हैं यह तो हुआ धार्मिक व सांस्कृतिक दृष्टिकोण लेकिन आजकल की नई पीढ़ी जो कि पढ़ी लिखी व आधुनिक है वह भी इस पर्व के पीछे छिपे हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भली-भांति समझती है तथा हमारे पूर्वजों ने यह रीत रस्मे क्यों बनाई इसके पीछे का उनका आशय भी जानती है-


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बरगद का पेड़ (Banyan Tree) स्त्री पुरुष दोनों के लिए बड़ा ही उपकारक है हमारे पूर्वजों का इन रिवाजों के पीछे यही प्रयोजन था की लोग ज्यादा से ज्यादा प्रकृति के साथ जुड़े तथा प्रकृति या पेड़ हमारे लिए व हमारे जीवन के लिए कितने उपकारक है यह जाने हमारी वेबसाइट का भी यही उद्देश्य है कि हम लोगों को जितना हो सके प्रकृति की प्रति तथा नैसर्गिकचिकित्सा के प्रति जागरूक बनाएं इसी कड़ी में आज हम वट वृक्ष का एक प्राचीन अनुभूत प्रयोग आपको बताएंगे जो स्त्री पुरुष दोनों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा ही लाभदायक है आज भी इसे आदिवासी इलाकों में तथा देहातों में अनुभवी वैदजनों द्वारा प्रयोग किया जाता है-


आजकल बदलती जीवनशैली की वजह से स्त्री व पुरुष दोनों को ही संतान प्राप्ति करने में थोड़ी समस्या आती है कहीं पुरुष में शुक्राणु की कमी पाई जाती है तो कोई कहीं स्त्रियों में गर्भधारण करने में समस्याएं पाई जाती है गर्भधारण के बाद भी बार बार गर्भपात होना जैसी समस्याएं भी आती है साथ ही प्रसव में भी कई समस्याएं आती है तथा शारीरिक रूप से कमजोर संतति या मानसिक रुप से कमजोर सन्तान, बच्चों का धीमा विकास जैसी समस्याएं भी आती है ऐसी समस्याओं के निवारण हेतु यह योग एक उत्तम औषधि हैं-


उत्तम संतान प्राप्ति इच्छुक दंपतियों ने इस योग का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए तथा गर्भधारण के लिए कोशिश करनी चाहिए यह योग सेवन करते हुए अगर गर्भधारण किया जाए तो निश्चित ही उत्तम संतति प्राप्त होती है-


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इस योग का नाम क्षीरी कल्प (Kshiri Kalpa Yog) है यह योग बरगद के दूध तथा मिश्री के संयोजन से बनता है यह बनाने में बेहद आसान तथा सरल है यह योग कई सन्यासियों तथा वैद जनो द्वारा आम लोगों पर आजमाया हुआ निराप्रद योग है-


इस योग के बारे में हमें छत्तीसगढ़ के एक बुजुर्ग आदिवासी वैदजी ने बताया था उनका कहना था कि उनके दादा को यह योग हिमालय से आए किसी सन्यासी ने बताया था और तभी से यह योग पीढ़ियों से उनके द्वारा प्रचलन में हैं-


क्षीरी कल्प योग के गुण-


क्षीरी कल्प शीत, गुरु, ग्राही, वर्ण्य, कफ पित्त को दूर करने वाला, अतिसार मिटाने वाला, व्रण, प्रदर, रक्तप्रदर, दाह तथा योनीदोष को मिटाने वाला हैं क्षीरी कल्प ज्वर, जलन, चित्त भ्रम, तृषा, उलटी, मूर्छा, शोथ, विसर्प, तथा दर्द क मिटाने वाला उत्तम योग हैं-


क्षीरी कल्प योग (Kshiri Kalpa Yog) बनाने की विधी-


सामग्री-


बरगद का दूध- 250 ml

मिश्री- 1 किलो

इलायची- 25 ग्राम


विधी-


250 ml बरगद का दूध लेकर उसे 1 किलो मिश्री के बारीक पिसे चूर्ण में अच्छे से सान ले तथा इस चीनी को मिट्टी के बर्तनों में या सूती कपड़ों पर बरगद के पत्ते बिछाकर उस पर यह मिश्री रखकर धूप में अच्छे से सुखा लें जब मिश्री की नमी धूप से उड़ जाए तब इसे बारीक पीसकर इलायची का चूर्ण मिला लें क्षीरी कल्प तैयार है-


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कई लोग मिश्री को गर्म करके उसमें थोड़ा थोड़ा बरगद का दूध डालकर हिलाते हुए यह कल्प बनाते हैं लेकिन ऊपर बताई गई विधि पारंपरिक है आप अपनी अनुकूलता व आवश्यकता के हिसाब से किसी भी विधि से यह योग बना सकते हैं-


मात्रा व अनुपान-


2 से 3 ग्राम की मात्रा में गर्म दूध के साथ दिन में एक बार सूर्योदय पूर्व-


क्षीरी कल्प के लाभ व उपयोग-


1- क्षीरी कल्प योग के सेवन से हर प्रकार की बवासीर (Hemorrhoids) में लाभ होता है-


2-वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन (Premature ejaculation), शुक्र दोष और प्रमेह रोग में क्षीरी कल्प योग उत्तम गुणकारी है-


3- क्षीरी कल्प योग ह्रदय, मस्तिष्क तथा लीवर को शक्ति देता है जिससे शरीर पुष्ट व निरोगी रहता है यह योग रोग प्रतिरोधक शक्ति को भी बढ़ाता है-


4-स्त्रियों में श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर तथा गर्भाशय संबंधी बीमारियों की वजह से आने वाली कमजोरी कमर दर्द तथा पैरों की कमजोरी जैसी समस्याओं में भी यह योग बेहद लाभदायक है-


5- क्षीरी कल्प योग स्त्रियों में प्रदर, रक्तप्रदर (Metrorrhagia), गर्भदोष तथा रज संबंधीत समस्त रोगों को दूर करता है यह योग गर्भाशय तथा स्त्री अंगो की दुर्बलता को दूर करता है-


6- क्षीरी कल्प योग पुरुषों में धातु दोष, वीर्यदोष, तथा शुक्र दोष को दूर करने वाली अद्भुत औषधि है यह योग पुरुष की धातु या वीर्य संबंधी सभी प्रकार की समस्या व निर्बलता को दूर करके पुरुषत्व शक्ति बढ़ाता है तथा कामशक्ति (Libido) व स्तंभन शक्ति को भी बढ़ाता है-


7- इस तरह क्षीरी कल्प योग स्त्री पुरुष दोनों की दुर्बलता को दूर करते हुए उत्तम संतान प्राप्ति करने का सामर्थ्य पैदा करता है तथा वंधत्व (Infertility) दूर करके स्त्री और पुरुष को संपूर्णता तथा सुखदायक गृहस्थी का वरदान देता है यह योग स्त्री व पुरुष दोनों में समान रुप से हितकारी हैं-


8- क्षीरी कल्प योग के सेवन से शरीर को शीतलता तथा मन को शांति प्राप्त होती है यह शारीरिक बल के साथ-साथ आध्यात्मिक शक्ति (Spiritual power) बढ़ाने में भी लाभदायक है इस योग से चित्त भ्रम तथा उन्माद (Paranoia) जैसी समस्याओं में भी लाभ होता हैं-


9- अतिसार, आमातिसार, रक्तातिसार (Bische), रक्तार्श जैसे कष्टसाध्य रोगों में भी क्षीरी कल्प योग का प्रयोग बेहद गुणकारी है-


10- क्षीरी कल्प योग कामोद्दीपक भी है यह सुजाक व उपदंश (Syphilis) जैसे रोगों में भी लाभदायक है यह लीवर के सूजन में भी अद्भुत गुणकारी है-


11- क्षीरी कल्प योग खून में बढ़े हुए पित्त को संतुलित करता है तथा रक्त को शुद्ध करता है जिसे फोड़े फुंसी, घाव (Wound) तथा पुराने जख्म दूर होते हैं-


12- क्षीरी कल्प योग उत्तम कफ निसारक (Expectorant) है याने फेफड़ों में जमे हुए कफ को नरम करके शरीर के बाहर निकलता है इसके सेवन से कफ इन्फेक्शन, खांसी तथा फेफड़े संबंधी रोग मिटते हैं-


13-क्षय रोग (Tuberculosis) में क्षीरी कल्प योग का सेवन बकरी के दूध के साथ करने से क्षय रोग संपूर्णता नष्ट होता है ऐसा भिक्षु अखंडानंदजी का कथन है-


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