जातिवाद और सम्प्रदायवाद की राजनीति कब तक होगी | Upcharऔर प्रयोग
क्या कभी सोचा है कि भारत को हम सब मिल कर आखिर कैसा देश बनाना चाहते है?कभी सोचा है कब तक हम सब जातिवाद धर्म सम्प्रदाय की राजनीति करते रहेगें? कुछ छणिक लाभ के लिए हम आखिर अपने देश को को कहाँ लें जा रहे है? हो सकता है मेरी पोस्ट पढ़ कर कुछ निजी स्वार्थी लोगों को तकलीफ होगी लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्युकि यही वास्तविक सत्य है-
जब भी लैपटॉप खोलता हूँ तो कुछ लोगों के दिल में समर्थन और असमर्थन का धुंवा सा उठता देखता हूँ हर एक की अपनी-अपनी सोच और अपना-अपना विचार है ख़ास कर आज कल सोसल मीडिया पर फैलाई जाने वाली पोस्ट का धुंवा है जो लोगों के बीच जहर की तरह फैलता जा रहा है कुछ लोगों ने अपने-अपने समुदाय के मानने वालों ने सिर्फ ये जातिवाद ,सम्प्रदायवाद,एकतावाद,क्षेत्रवाद का जहर बोने का ठेका सा ले रक्खा है-
आजकल जातिवाद और एकता की बात करने में कुछ कतिपय लोग लगें है मै उनसे एक सवाल पूछना चाहता हूँ आप आखिर ये जातिवाद की रोटी कब तक सेंकते रहेगें ब्राम्हणवाद, राजपूतवाद, जाटवाद, यादववाद, कायस्थवाद,गुर्जर और मीना और अंत में दलित और अल्पसमुदायवाद-क्यों देश को अनेक वाद में बदलने में लगे हो जब आप आपस में ही मनुष्यवाद को बांटना चाहते हो तो फिर आपका देश कभी महानता की ओर कैसे बढेगा फिर तो इसकी कल्पना करना सिर्फ एक बेमानी ही कहा जा सकता है-
पहले भी बँटवारे की राजनीति का परिणाम खतरनाक ही हुआ है और आज तक हम अपने देश के बँटवारे की वजह से परेशान है अपने ही घर को देखों शादी के बाद जब आपकी आने वाली बहूँ अपने पति को लेकर बँटवारे की बात करती है तो आपको कितना महान कष्ट होता है क्या आप अपने पुत्र का विवाह ये सोच कर करते है कि बंटवारा करना है शायद नहीं-लेकिन जब-जब बंटवारा होता है तो दुष्परिणाम ही देखने को मिलता है-
पहले के राजा महराजा अपने-अपने राज्य को बाँट चुके और परिणाम क्या मिला इसका इतिहास गवाह है की राजपूतो ने कभी एक-दूसरे राजपूत की मदद नहीं की बस सब अपनी ही मूंछ पर ही ताव खाते थे और जब मुग़ल एक किले पर हमला करते तो दूसरे किले के राजा तमाशा देखते थे बस राजपूत क्षत्रिय राजाओ में यही सबसे बड़ी कमजोरी थी जिसका फ़ायदा मुग़ल उठाते थे इसलिए मुगलो ने 800 साल तक हम पर राज किया ये एक कड़वी सच्चाई है जिसे जानकर भी हम सभी अनजान है और आज भी आजादी की लड़ाई के बाद यही प्रथा शुरू कर रहें है-
आज कायस्थ समाज कायस्थ एकता की बात कर रहा है उन सभी कायस्थ भाइयों से एक बात पूछना चाहता हूँ कि आप अपना एक अलग समाज क्यों बनाने की बात करते है क्या आपको भी बहती गंगा में हाथ धोना है या राजनीति की रोटियां सेंकनी है एक तरफ तो आप खुद को सर्वश्रेष्ठ बताते हो और दूसरी तरफ आप भी समाज में आरक्षण और एकता की बात करते हो आखिर इस एकता की राजनीति से आप भी पूरे समाज को वही देना चाहते हैं जो दूसरे जातिगत के लोगों ने आज तक किया है और परिणाम आप सब के सामने है आखिर हम मनुष्यवाद की ओर कब ध्यान देगें-
आज के दौर में आतंकवाद को किस तरीके से परिभाषित किया जाए ये भी विवाद का एक मुद्दा है इस संवेदनशील मामले में प्रचलित विचारधारा यह है कि किसी एक के विचार में जो आतंकवादी है वह दूसरे के विचार में स्वतंत्रता सेनानी हो सकता है ऐसे में दोनों ही पक्षों को अपने विचारों की अभिव्यक्ति की आज़ादी मिलनी चाहिए लेकिन हिंसा इस समस्या का हल नहीं हो सकता है-
आज आतंकवादियों के ख़िलाफ़ इस लड़ाई में दुनिया के सभी देश एक-जुट नज़र आ रहे हैं लेकिन इन सभी कोशिशों के बावजूद आतंकवाद की परिभाषा अभी तय नहीं हो पाई है हाँ अलबत्ता ब्रिटेन एक ऐसा देश है जहाँ आतंकवादी हरकतों को कानूनी तौर पर परिभाषित किया गया है ब्रिटेन सरकार के मुताबिक ऐसी कोई भी हरकत आतंकवाद है जिसमें किसी सरकार पर किसी काम को करवाने के लिए ग़ैरकानूनी तरीके से जबरन दबाव डाला जाए-
कुछ वर्षो पहले भी कुछ जातिगत लोगों ने अपना वर्चस्व रख कर दूसरे जातिगत लोगों पर अत्याचार किया है ब्राह्मणों ने कभी किसी दूसरी जाती वालों का सम्मान नहीं किया और यहाँ तक कि दलितों को तो मंदिर भी नहीं जाने देते थे ब्राह्मणों की छुआछूत के भेदभाव के कारण विश्व और देश में हिन्दुत्व को बदनामी मिली और ईसाईयो और मुसलमानों को दलित हिन्दुओं को धर्मपरिवर्तन करने में सफलता मिली है हिन्दुत्व का जो नुकसान हुआ उसमें ब्राह्मणों की भी एक बहुत बड़ी भुमिका है चाहे वो मानें या ना मानें इससे समाज को कोई फर्क नहीं पड़ता है-
आज का युवा समझदार हो गया है इन सब चीजों से बाहर निकल कर विकास के रास्ते पर बढ़ना चाहता है लेकिन आज भी कुछ स्वार्थी लोग अपने स्वार्थवश समाज में अनेक भ्रांतियाँ फैलाने में अपना योगदान करते नजर आ रहे है-
अब भी समय है संभल सकते है खुद को सारे बेकार के "वाद-विवाद" निकाल कर मनुष्यवाद की ओर अग्रसर हों-जब भी सोचों तो अपनी और अपने देश की उन्नति के बारे में सोचो-बाकी राजनीति तो उन लोगों के लिए है जो सिर्फ सत्ता ,पदलाभ के लिए राजनीति में कदम रखते है हमें तो इनमें से कुछ अच्छे लोगों का साथ देना या चुनाव करना है जो राष्टहित में कार्य कर सकें और सबको साथ लेकर देश का और समाज का विकास कर सकें-