shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

उषा यादव की डायरी

उषा यादव

5 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
0 पाठक
निःशुल्क

 

usha yadav ke dir

0.0(0)

पुस्तक के भाग

1

क्या ये वही आसमान है ?

17 जून 2016
0
2
1

क्या ये वही आसमान है? जिससे मेरी इतनी पुरानी पहचान है | एकदम निस्तब्ध, न कोई हरकत, न कोई शब्द; उत्तर के आसमान पर,कोहरे की झीनी परत का परिधान, रोज़-ब-रोज़वही डरा सा आसमान | उधर पूरब का सूरज है की,  बादलों की ढुलाई में दुबककर, जागने का नाम ही नहीं लेता, इधर दिशाएं हैं, कि हाथ पसारे खड़ी हैं | तुम्हारी एक

2

आया सावन मनभावन !

17 जून 2016
0
1
0

मंद फुहारों का,तेज़ बौछारों का, आया सावन मनभावन ! काले घुंघराले बादल, गोर इतराते बादल, हवा के उड़न- खटोले पर,उड़ते चले आते बादल | कभी जुड़ जाते बादल, कभी फट जाते बादल, सूरज से लुका-छुपी खेलते बादल | ढुली-ढुली हरी पत्तियां कुछ,बीच में हल्की हरी बच्चियाँ कुछ, अहसास सा दिलाती हैं, मानो लगी हैं बत्तियाँ कुछ

3

क्या ये वही आसमान है ?

17 जून 2016
0
1
1

क्या ये वही आसमान है? जिससे मेरी इतनी पुरानी पहचान है | एकदम निस्तब्ध, न कोई हरकत, न कोई शब्द; उत्तर के आसमान पर,कोहरे की झीनी परत का परिधान, रोज़-ब-रोज़वही डरा सा आसमान | उधर पूरब का सूरज है की,  बादलों की ढुलाई में दुबककर, जागने का नाम ही नहीं लेता, इधर दिशाएं हैं, कि हाथ पसारे खड़ी हैं |   

4

श्री हनुमन निवास

17 जून 2016
0
2
1

श्री हनुमन निवास, बस उतना ही बड़ा, जितना मूर्ति का व्यास | कुछ फूल चढ़े हैं, कुछ नीचे पड़े हैं | किसी ने ताज़ा सिन्दूर लगाया है,बेतरतीब से उसके कुछ छींटे,  इधर-उधर टपक गये हैं, छोटी सी cemented चौकी, धूप से तपी पर, एक असहाय सी कृशकायी महिला ,श्रद्ध्यवश आ चढ़ी,पैर जल उठे तो, नीचे उतर चप्पल पहन ली | और, पु

5

Life ?

28 अक्टूबर 2016
0
0
1

Like a globe,Rotates life ;Features late or early,appear by and by.indelible prints of reminiscences;reveal no misteries but leave us. aghast.A,link ,a bond , a dotI know not,how it framed a knot ,unable to untie.thou hard I try.talking of myself not you;have tried to ridbut of no use.SoAccepted

---

किताब पढ़िए