श्री हनुमन निवास
श्री हनुमन निवास, बस उतना ही बड़ा, जितना मूर्ति का व्यास | कुछ फूल चढ़े हैं, कुछ नीचे पड़े हैं | किसी ने ताज़ा सिन्दूर लगाया है,बेतरतीब से उसके कुछ छींटे, इधर-उधर टपक गये हैं, छोटी सी cemented चौकी, धूप से तपी पर, एक असहाय सी कृशकायी महिला ,श्रद्ध्यवश आ चढ़ी,पैर जल उठे तो, नीचे उतर चप्पल पहन ली | और, पु