21 नवम्बर 2021
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छवि धूमिल सी,घटा अभि-रिक्त सी मानस रूप अभी दिखा नही!!D
<div>ओ मेरे लेखों की डारी</div><div>बड़ी शांत सी तू मन-दारी,</div><div>शांत स्वर सी,जो छिपी है बातें<
<div>ऐ जिंदगी न हूँ खफा मैं तुझसे,</div><div>बहुत कुछ खोया है इस सफर में</div><div>जो मिला उसमे ही ख
<div>इस दौर ए जमाने में जनाब,</div><div>मिलती हर मर्ज की दवा हैं!</div><div>मर्ज नोट की हो या चोट की
<div>बिखरें से हैं कुछ धागे प्यार के,</div><div>हमे यकीन है उस धागे की डोर पे</div><div>आज नही तो कल
<div>लिखा है मैंने नाम <span style="font-size: 1em;">तेरा कुछ इस तरह</span></div><div>.........
<div>यश्चित दौर की समय परिधि</div><div>जिसे देख में भाव-भग्य में,</div><div>अविरल रूप में अपना समझ ग
<div>सत्य की ओर एक कदम बढ़ाओ,</div><div>असत्य को तुम दूर भगाओ।</div><div>इस राह में जीत मिले न मिले,<