shabd-logo

उठाकर

hindi articles, stories and books related to uthaakar


वज़्न- २२१ १२२२ २२१ १२२२ काफ़िया- अ रदीफ़ आओगे “गज़ल” आकाश उठाकर तुम जब वापस आओगेअनुमान लगा लो रुक फिर से पछताओगेहर जगह नहीं मिलती मदिरालय की महफिल ख़्वाहिश के जनाजे को तकते रह जाओगे॥ पदचाप नहीं सुनता अंबर हर सितारों का जो टूट गए नभ से उन परत खिलाओगे॥इक बात सभी कहते हद में रह

संबंधित टैग्स

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए