तुम्हारे पांच तत्व शरीर के हैं जिसमें हवा, पानी, मिट्टी, आग और आकाश हैं। पांच ही तुम्हारे विकार हैं, पांच ही वाणियों का आप पाठ करते हो, मुसलमान पांच नमाजें पढ़ते हैं, हिंदू संध्या व आरती करते हैं। यह सब करते हुए इतना समय बीत गया है पर मिला अभी तक क्या है?
अगर यह पांच वाणियां या पांच नमाजें ही ऊंची थी या इनसे ही उद्धार हो जाता तो इतने बड़े वेद कतेब और धार्मिक ग्रंथ बनाने की कया आवश्यकता थी और बड़े-बड़े नबियों को आने की क्या जरूरत थी? आप अपने-अपने पीर पैगम्बरों और गुरुओं को मानो हमें कोई एतराज नहीं पर सचखंड नानक धाम एक रब को मानता है जो सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान है। हमने अपनी तरफ से उसका नाम नानक रखा है अगर आपने मानना है तो सचखंड नानक धाम में आओ, नहीं तो अपने घरों में बैठे रहो, रब सब जगह है, अगर यहां आकर भी आपने उन्हीं भ्रमों-वहमों में पड़ना है तो यहां मत आओ। न आप दुखी हो न हमें दुखी करो। महारी ड्यूटी अपनी है, हमने अपने तरीके से शोर मचाना है, आपने अपने तरीके से शोर मचाना है।
मेरा रब कहता है कि मैं तुम्हें जगाने के लिए आता हूं, बुझाने के लिए नहीं, तुम्हारे चिराग को रोशनी देने के लिए आता हूं, तुम्हारे चिराग छीनने के लिए नहीं। आप सारे कामों को छोड़कर एक काम पूरा करो वह यह कि जब भी तुम्हें अपने कामों से फुर्सत मिले उसको एक बार जरूर याद कर लो और कुछ नहीं। कोई चढ़ावा, कौई सुखना, किसी पाठ की आवश्यकता नहीं।
सब उसको याद कर लो कि हे दाता तू जिस रूप, जिस शक्ल, जिस नाम में भी है अगर तू रब है, अगर तू दाता है, तो मेरी मद्द कर क्योंकि तेरी रूप रेखा कोई नहीं, न किसी ग्रंथ में लिखी गई है न किसी कुरान में, न गीता में लिखी गई है, न रामायण में, न मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे में ही उसकी शक्ल बनाई गई है। जितनी भी हमारी बाहरी तस्वीरें मूर्तियां जो कि द्धा के योग्य हैं वह सब हमारी बाहरी कल्पनाएं और बाहरी ख्याल हैं।
आपने रब के मंदिरों, मस्जिदों को क्या संवारना है पहले अपने इस शरीर रूपी घर को संवारो जो परमात्मा ने अपने हाथों से बनाया है और जिसमें वह खुद रहता है। तुम्हारा यह मंदिर (शरीर) तो ढ़हता जा रहा है पर आप बाहरी तौर पर भागते फिरते हो पहले इसे संवारो। हमारे साथ किसी ने बात करनी है तो डरो नहीं खुले तौर पर करो हर आदमी को अख्तियार है, कोई भी सवाल पूछो, किसी बात से डरो नहीं। अगर डरना है तो अपनी करतूतों से डरो, बुरे कर्मों से डरो, महापुरुष कभी भी किसी का बुरा नहीं करते।
महापुरुष किसी को बर्बाद करने के लिए नहीं आते, बल्कि आबाद करने के लिए आते हैं। वह हमें आजादी दिलाने के लिए आते हैं न कि गुलाम बनाने के लिए। माथे टिकवाने के लिए नहीं आते बल्कि माथे ऊपर उठाने के लिए आते हैं।
आप जागो! संत मुर्दे बनाने के लिए नहीं आते, तुम्हें मर्द बनाने के लिए आए हैं। वह लकीर के फकीर बनाने के लिए नहीं आते, बल्कि आपको नई रोशनी देने के लिए हैं और प्यार सिखाने के लिए आते हैं। आप जागो और किसी महापुरुष का सहारा लेकर नेक बनो और अपनी औलाद को भी नेक बनाओ।
(महाराज दर्शनदास)