इस उपन्यास के केन्द्र में ‘वैशाली की नगरवधू’ के रूप में इतिहास प्रसिद्ध वैशाली की सौन्दर्य की साक्षात् प्रतिमा तथा स्वाभिमान और आत्मबल से संबलित ‘अम्बपाली’ है जिसने अपने जीवनकाल में सम्पूर्ण भारत के राजनीतिक और सामाजिक परिवेश को प्रभावित किया था। उपन्यास में अम्बपाली की कहानी तो है किन्तु उससे अधिक बौद्धकालीन सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक स्थितियों का चित्राण उपलब्ध है यही उपन्यासकार का लक्ष्य भी है।
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