प्राणप्रियेसरसी छन्द16,11 की यति 27 मात्रएं अंत 21 सेमेरी प्राणप्रिये तुम हमको, जन्म जन्म स्वीकार।तुम ही मेरे जीवन की हो, जीने का आधार।तुम मेरे दिल की धड़कन हो, तुम ही मेरी सांस।तुमसे कुछ उम्मीदें मेरी, तुमसे ही कुछ आस।करती सेवा सदा हमारी, रखती हर पल ध्यान।अगर समस्या में चिंतित हूँ, करती तुम आसान।कभी