जिसका मुकुट हिमालय ,
पैरो को धोता सागर ।
विश्व-गुरु जो मार्ग दिखाए ,
खतरे में है उसका आँचल ।।
हत्यारा गजनी ने लुटा ,
भारत माँ के गहनों को ।
देश में बैठे जयचंदो ने ,
बेच दिया अस्मत मुगलो को ।।
व्यापार ी बन आये इंग्लिश ,
पुर्त और फ्रांसीसी आये ।
पीठ में छुरा घोप हमारे,
कर दिया देश परतंत्र ।।
वीर शहीद जवानों ने,
आजादी के मतवालो ने ।
खून से सींचा आँचल माँ के ,
कर दिया देश स्वतंत्र ।।