सूखा , वर्षा, त्रासदी , पानी के सब मूल ।
जल का दोहन न करे , प्रकृति होगी प्रतिकूल ।।
प्रकृति होगी प्रतिकूल ,पड़ेगा भयंकर सूखा ।
वन, पक्षी और मानव , बूँद बूँद को तरसा ।।
कहत कवी अनुराग , जल का करो संरक्षण ।
प्रकृति होगी खुशहाल , सबका होगा रक्षण ।।
13 अगस्त 2016
सूखा , वर्षा, त्रासदी , पानी के सब मूल ।
जल का दोहन न करे , प्रकृति होगी प्रतिकूल ।।
प्रकृति होगी प्रतिकूल ,पड़ेगा भयंकर सूखा ।
वन, पक्षी और मानव , बूँद बूँद को तरसा ।।
कहत कवी अनुराग , जल का करो संरक्षण ।
प्रकृति होगी खुशहाल , सबका होगा रक्षण ।।
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मैं अनुराग मिश्र इलाहाबाद का निवासी हूँ । मैं प्रायः समाजिक एवं समसामायिक विषयो पर लेख और कविताएँ लिखता हूँ ।
मैं शब्द नगरी के सभी सदस्यो को धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने यह सुन्दर मंच स्थापित किया जो सदस्यों को अपने मन की अभिव्यक्ति , रचनाओ और लेख को लोगो के बीच प्रकाशित करने का मौका देता है ।
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