निवेदन :-
इस पद्य में कम शब्दो में बहुत कुछ लिखने का प्रयास किया है और विद्वानों से निवेदन है कि इसकी व्याख्या करे और किसी भी त्रुटि के लिए सुझाव आमन्त्रित है ।
कविता के परिपेक्ष्य में:-
जब एक नव-विवाहिता अपने ससुराल जाती है और रात्रि की पहली मिलान बेला आती है तो उस नाव-युवती के हाव भाव क्या होते है ? उसका प्रथम पंक्ति में विवरण है और दूसरी पंक्ति में उसके आंतरिक हाव्-भाव एवम मिलान का वर्णन है।
वो अक्षत यौवना, रात्रि पहर ,
वो मकरंदो से भरी हुई।
कातिल नैन और लाल अधर ,
शर्मो में लिपटी छुई -मुई।।
मन में उठती उद्वेग लहर ,
वो सकुचाई और सिमट गई।
नैनन स्नेह और हुई निडर ,
भौरे से मिली और पिघल गई।।