“पिता हमारे वट वृक्ष समान” किसी ने सही ही कहा हैं कि ‘पिता न तो वह लंगर होता हैं जो तट पर बांधे रखे, न तो लहर जो दूर तक ले जाएँ. पिता तो प्यार भरी रौशनी होते हैं,जो जहाँ तक जाना चाहों,वहां तक राह दिखाते हैं.’ऐसे ही मेरे पिता हैं,जो चट्टान की तरह दिखने वाले पर एहसास माँ की तरह.घर-परिवार का बोझ