बाबुल की बुलबुल उड़ जायेगीबाबुल के आंगन मे गुड्डे - गुड़ियों से खेल खेलने वाली। बाबुल के आंगन व गुवाड़ की खुशी औरों की खुशियाँ बन जायेगी। बचपन की प्यारी सखी - सहेलियों से एक दिन दूर हो जाएगी
आसमान में उड़ते पक्षी,अपना भोजन लाने को,पशु भी देखो टहल रहे हैं,अपना चारा खाने को।मानव भी अब निकल चुका है,अपना कर्म निभाने को,इधर उधर वो भटक रहा है,पैसे चार कमाने को।भरी दुपहरी तपता खपता,पेट की आग बुझा
अस्तित्त्व
गृहस्थी का मूल पिता है फादर्स डे के अवसर पर मनीष रामरक्खा द्वारा अपनेस्वर्गीय पापा श्री सुभाष रामरक्खा जी को भावभीनी श्रद्धांजली .कविता में वर्णितसभी गुण उनके पापा में विद्यमान थे .मूल है घर गृहस्थीका ,आकाश सा विस्तार है |रीढ़ बन कर जो खड़ा है,साथ निज परिवार है |हंस जैसी चातुरी है,ज्ञान – गुण धर्
यह कविता मेरे आराध्य पिता जी को समर्पित:-देखो दिवाली फिर से कुछ, यादें लाने वाली है।पर तेरी यादों से पापा, लगती खाली-खाली है।।याद आता है पापा मुझ को साथ में दीप जलाना।कैसे भूलूँ पापा मैं वो, फुलझड़ियां साथ छुटाना।।दीपावली में पापा आप, पटाखे खूब लाते थे।सबको देते बांट पिता जी, हम सब खूब दगाते थे।।तेरे
जय श्री कृष्ण मित्रो ... #हक़ीक़त ये भी है कि आज बच्चों के माता पिता बने रहने की बजाय उनके मित्र बनने की कोशिश करें ।अपनी मनमर्जी थोपने की बजाय उनकी खुशियों पर भी ध्यान दें तभी समाज को विकृति से बचाया जा सकता है ।बच्चों के साथ बैठना ,उन्हें सही संस्कार देना और घरों मे
दोस्तों बात छोटी जरूर है, मगर हमारी बड़ी समस्या को दूर करती है, मैं यहाँ बात कर रही हूँ बच्चों के माता-पिता की और उनके बच्चों के भविष्य की.हम अपने बच्चों के भविष्य (Future) को बनाने के लिए क्या-क्या प्रयास करते हैं, बहुत से सपने भी देखते है, पर हममें कई पेरेंट्स की यह
घर में बेटा भले ही पिता के पैर छूकर आशीर्वाद ले, लेकिन ड्यूटी के दौरान पिता बेटा को ‘जय हिंद सर’ कहकर बोलेगा। दरअसल, शहर के विभूतिखंड थाने में तैनात कॉन्स्टेबल जनार्दन सिंह का बेटा IPS बन चुका है। लखनऊ जिले में ही बेटे को पोस्टिंग मिली है। ऐसे में पिता अब बेटे के मातहत के
बिता देता है पूरी उम्र औलाद की हर आरजू पूरी करने में, उसी पिता के सभी सपने बुढ़ापे में लावारिस हो जाते हैं. एक बुजुर्ग पिता की कुछ यही दास्तान है जिसे बुढ़ापे में बेटों ने अनाथ कर दिया है और अपने हाल पर छोड़ दिया है, बावजूद खुद्दारी ऐसी कि इस हाल में भी बुजुर्ग पिता भीख न
बेटा – मुझे शादी नहीं करनी!! मुझे सभी औरतों से डर लगता है!पिता- कर ले बेटा! फिर एक ही औरत से डर लगेगा, बाकी सब अच्छी लगेंगी।पिता बेटे पर गुस्सा करते हुए – एक काम ढंग से नहीं होता तुझसे , तुम्हें पुदीना लाने के लिए कहा था और तुम ये धनिया ले आए , तुझ जैसे बेवकूफ को तो घर से निकाल देना चाहिए बेटा: पापा
“पिता हमारे वट वृक्ष समान” किसी ने सही ही कहा हैं कि ‘पिता न तो वह लंगर होता हैं जो तट पर बांधे रखे, न तो लहर जो दूर तक ले जाएँ. पिता तो प्यार भरी रौशनी होते हैं,जो जहाँ तक जाना चाहों,वहां तक राह दिखाते हैं.’ऐसे ही मेरे पिता हैं,जो चट्टान की तरह दिखने वाले पर एहसास माँ की तरह.घर-परिवार का बोझ
पितृपक्ष पर परम पूज्य पिताश्री की प्रार्थना ...हे मेरे पिताश्री !हे मेरे भगवन ! आपको समर्पित मेरा यह जीवन आपके बताये मार्ग पर चलता हूँ कोई ना दुखी हो कोशिश मैं करता हूँ सब हों सुखी सबका हो मंगल ,ह्रदय में यही भाव भरता हूँ ...हे मेरे पिताश्री ! हे मेरे भगवन ! आपके
लोग अपने घर में मौजूद भगवान रूपी माता-पिता को छोडक़र उन अदृश्य भगवान की खोज में तीर्थस्थलों पर मारे-मारे फिरते है. या अपने घर में मौजूद मॉ को दुखी छोडक़र पूरी रात मां का जाग
शहर के अस्पताल में अजय का उपचार चलते-चलते 15-16 दिन हो गएँ थे|लेकिन उसकी तबीयत में कोई सुधार देखने को मिल रहा था| आईसीयू वार्ड के सामने परेशान दीपक लगातार इधर से उधर चक्कर पर चक्कर लगा रहे थे |कभी बेचैनी में आसमान की तरफ दोनों हाथ जोड़ कर भगवान से अपने बेटे की जिन्दगी की भ