आंखें देखो हिरनी सी है होठों का कहना हीं क्या,
आंखों पर जो लटका लट है किसी नागीन से कम है क्या
तुमसे तुम्हारी हकिकत कहना हमारा कोई सानी है क्या,
जुल्फें जैसे बिल्ली की मुछें,मासुम चेहरे का कहना हीं क्या,
नाक की नथुनी हंसी तुम्हारी
दिल धड़काने को काफी है।
आवाज़ तुम्हारी कोयल जैसी,
नाचती हो तुम मोरनी जैसी,
मन करता है आवाज़ सुनूं मैं,
बातें तुमसे करता रहूं मैं,
फिर लगता है भैस के आगे,
जैसे बीन बजाता हूं मैं,