योश तुर्वेदी "बेनिशाँ " की नई ग़ज़ल
इक नज़र से तोड़ दी जंजीर हस्ती की मेरी नीम बाज़ आँखों ने लूटीजागीर हस्ती की मेरी मैं रहा न मुझ में खुदकोई और मुकामी हो गयाअपनी अजमत से छीन लीतस्ख़ीर हस्ती की मेरी शौके शहादत थीमेरी सर सौंपने पे नाज़थाबेसाख्ता कुर्बत से बढाईतासीर हस्ती की मेरी इक मुअम्मा है कि सरफरोशभी में खुद ही हूँ खुद ही ख