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योश तुर्वेदी "बेनिशाँ " की नई ग़ज़ल

28 फरवरी 2016

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इक  नज़र  से तोड़  दी  जंजीर  हस्ती  की  मेरी

नीम बाज़ आँखों ने लूटी जागीर हस्ती की मेरी

 

मैं रहा न मुझ में खुद कोई और मुकामी हो गया

अपनी अजमत से छीन ली तस्ख़ीर हस्ती की मेरी

 

शौके शहादत  थी मेरी सर  सौंपने   पे नाज़ था

बेसाख्ता कुर्बत से बढाई तासीर हस्ती की मेरी

 

इक मुअम्मा है कि सरफरोश भी  में खुद ही हूँ

खुद ही खुद तामील करूँ तामीर हस्ती की मेरी

 

महब हूँ ख्याले यार में खल्वत पसंद इस दौर में

उज़लते अफ़्कार  फ़रोज़ा तस्वीर  हस्ती  की  मेरी

 

जुस्तजू जिसकी की वो राज़दान भी में ही था

तसव्वुफ़ का खेल था तदबीर  हस्ती  की  मेरी

 

तेरे  तसद्दुक  के   निसार    तेरे  ख़ुलूस  के   निसार

चाक गिरेबान 'बेनिशाँ'  नहीं तकसीर हस्ती की मेरी

 

योश तुर्वेदी "बेनिशाँ "


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yosh
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