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21 जुलै , गुरुवार

21 जुलाई 2022

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        आजकल लिख़ना थोडा कम कर दिया है मैंने , वो  लिखना चाहती हूँ जिससे मैं  कुछ कमाई कर सकू, आजकल मैं हर एक जगह ऑनलाईन कमाई के ऑप्शन ढूँढती रहती हूँ ऑफ कोर्स लेखनी से ही अपना नाम बनाना चाहती हूँ मैं सिरीज में लिखना सिख रही हू उम्मीद करती हूँ एक दिन ऐसा कुछ लिखूँगी की रातो रात मुझे लोग जानने लगे बस रब की मेहर हो मुझपर, बहुत इंतजार और नाकामयाबी देखी है मैंने अब कामयाबी के अलावा दुसरा कोई ऑप्शन ही नहीं देखते है कब तलक मुझसे भागती है वो दूर। चलो फिलहाल के लिए इतना ही।
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रचनाएँ
डायरी- जुलै
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ये किताब मेरी दैनंदिनी है, जिसमें मैं हर दिन की बातें लिखती हूँ, मैंने जून की अभी पुरी की, आपने पढा शायद अच्छा लगा हो, जिन्होंने नहीं पडा कोई बात नहीं इस माह का ज़रुर पढे, और कमेंट भी करे।
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1जुलै, शुक्रवार

1 जुलाई 2022
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आज माह का पहला दिन , यूँ तो हर माह मुझे लगता है इस माह में मेरे साथ कुछ अच्छा हो जायेगा, कभी कभी होता है, कभी कभी नहीं होता, पर क्यूँ नाजाने अब आदत सी पडी है,

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डायरी2 जुलै, शनिवार

2 जुलाई 2022
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आज शनिवार कल फिर से छुट्टी का दिन है, तो काम को भी थोडा आराम मिलता है, आज सुबह स्कुल होता है, जो करीब 12बजे तक छुट जाता है। आ

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डायरी, 3जुलै, रविवार

3 जुलाई 2022
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आज ऐतवार, अच्छे से ये महिना की शुरुवात हूँवी है।बारीश भी ठीकठाक ही बरस रही है। इस माह आषाढी एकादशी भी होती है, तो वारी की रेलचेल है। &

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डायरी 4जुलै ,सोमवार

4 जुलाई 2022
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आज सुबह से ही बारीश हो रही है, तो बाहर गिला गिला हो गया है, सुबग ही मंदिर भी जाना था, तो भिगते ही हमें मंदिर जाना पडा,

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डायरी 5जुलै, मंगलवार

5 जुलाई 2022
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आज कल के हिसाब से जल्दी तुझसे मिलने आई हूँ, क्यूंकी एक बार मैं तुझसे मिलना भूल गई, तो भूल ही जाती हूँ।बरसात नहीं हो रही है आज, चारों

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डायरी 6जुलै, बुधवार

6 जुलाई 2022
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" लिख़ने को बैठी हूँ तो कुछ ख्बाब लिख रही हूँ, सच्चाई से लेकिन बेखबर, कुछ झूठ लिख रही हूँ, कुछ आसपास

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डायरी 7जुलै , गुरुवार

7 जुलाई 2022
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सच कहूँ आसपास का माहौल बहुत ही प्यारा बना है, पंढरी को जाने वाले की भीड हर जगह दिखाई देती है, सब अपना तन मन भूलकर बस उसकी ओर भागे चले रहे है मानो की नदी

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डायरी-जुलै 8

8 जुलाई 2022
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आज तो सच में मैं तुझे भूल ही गई थी, बाहर बहुत बारीश थी, माहौल कुछ अलग ही बन गया था! तो तुझसे मिलना ही भूल गई, याद आया तो आ गई, बहुत देर हो गई है, सब काम खत्म

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डायरी 9जुलै, शनिवार

9 जुलाई 2022
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आज शनिवार , कल ऐतवार, आषाढी एकादशी, सब दिंडीवाले अपनी जगह पहूँच गये यानि की पंढरपूर, दो साल से इसी दिन का भगवान और उनके भक्त

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डायरी 10जुलै,रविवार

10 जुलाई 2022
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आज ऐतवार, आषाढी एकादशी, आपको एकादशी की ढेर सारी शुभकामनाए। एक महिने से सारे लोग इसी दिन का

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डायरी 11जुलै , सोमवार

11 जुलाई 2022
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आज फिर से एक नई उम्मीद के साथ हफ्ते की शुरुवात हुँवी है, वैसे आय थिंक लाईफ इज ऑलवेज न्यू बिगिनिंग, तो सब तकलीफ देनेवाला कल में छोड आनेवाले सुनहरे कल का निर्माण आज में अपने ह

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डायरी 12जुलै, मंगलवार

12 जुलाई 2022
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आज लंडन ओवल में पहला टी 20एकदिवसीय मुकाबला है, बस कुछ देर में चालू होगा, वैसे लडकियों से कहीं ज्यादा लडके क्रिकेट के शौकिन होत

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डायरी - 13 जुलै, बुधवार

13 जुलाई 2022
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आज सुबह से ही बारीश शुरु है। बारीश इपर से भागदौड वाला काम, जान हैरान हो जाती है। वैसे बारीश तो बहुत सुहाना लगती है पर क्या करु मुझे खुद से ज्यादा बारीश से डॉक्युमेंट

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डायरी 14जुलै, गुरुवार

14 जुलाई 2022
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दिन यूंही गूजरा मेरा भागदौड करने में, और जिस काम के लिए भागदौड की वो काम भी ना हो पाया, सच में नोकरी पाना आसान नहीं, बस भागदौड करते जावो। आय होप कल मेरा काम पूर

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डायरी 15जुलै, गुरुवार

15 जुलाई 2022
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आज मेरा फॉर्म भरके सर्टिफाईड हो गया, एक टेंशन खत्म हो गई है। वैसे प्रोसेस तो बहुत इझी है पर क्या है ना बहुत सारे एक साथ भरते

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डायरी १६जुलाई शनिवार

16 जुलाई 2022
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" हर बार ढूंढती हूं जवाब छिपा अपने अंदर, नाकामयाब लौटती हूं सवाल मैं कई

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डायरी 17जुलै, रविवार

17 जुलाई 2022
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आज थोडा देर से उठी, मम्मी और भैया ज़रा जल्दी उठे मुझसे भी। क्यूंकी आज पानी आने का दिन था।तीन चार दिनों के बाद आता है पिने का पानी, बारीश का मौसम हो तो भी। रंग

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डायरी 17जुलै, रविवार

17 जुलाई 2022
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आज थोडा देर से उठी, मम्मी और भैया ज़रा जल्दी उठे मुझसे भी। क्यूंकी आज पानी आने का दिन था।तीन चार दिनों के बाद आता है पिने का पानी, बारीश का मौसम हो तो भी। रंग

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डायरी 18जुलै , सोमवार

18 जुलाई 2022
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आज मैंने बहुत दिनों बाद अपने बेस्ट फ्रेंड को कॉल किया। वैसे पता नहीं अच्छा किया या बूरा, क्यूँकी वो तो कभी मेरे लिए कुछ नहीं करता, दिल का बूरा नहीं है वो,पर सरफिला है थोडा।

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डायरी २०जुलाई, बुधवार

20 जुलाई 2022
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आज मैने अपने क्लासेस के लिए अपने घर पर लगाने के लिए बाहर से बोर्ड बनवाकर लाया। बाहर जाकर पढ़ने से बेहतर है कि खुद को कोचीन क

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21 जुलै , गुरुवार

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आजकल लिख़ना थोडा कम कर दिया है मैंने , वो लिखना चाहती हूँ जिससे मैं कुछ कमाई कर सकू, आजकल मैं हर एक जगह ऑनलाईन कमाई के ऑप्शन ढूँढती रहती हूँ ऑफ कोर्स लेखनी से ह

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