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साप्ताहिक प्रतियोगिता

hindi articles, stories and books related to Saptahik pratiyogita


             एपिसोड 5 तस्वीर की सच्चाई         पिछड़े एपिसोड में हमने देखा था की, आकाश मेज पर से तस्वीर उठाकर लाता है, जैनी की तब

मेरे यादों में आज-कल वो रहने लगी है . . .ऐसा लगने लगा है . . .उसके प्यार में ये दिल मेरा ...उसमें कही खोने लगा है . . .✍🏻 रिया सिंह सिकरवार "अनामिका " ( बिहार )

तुम जो ना मिलेमै जी नहीं पाऊंगी ...प्यार में तेरे मैं ..फना हो जाऊँगी ...✍🏻 रिया सिंह सिकरवार " अनामिका " ( बिहार )

     रिवांश उसके ऐसे कहने पर वो अपूर्वा को अपने तरफ खींच कर उससे कहा — ओह ! अच्छा मुझे तो नहीं लग रहा है कि मैं दुबला हुआ हूँ , और मेरा चेहरा भी अजीब हो गया है । तुम्हें कैसे लग रह

अपूर्वा रिवांश से अपना हाथ छुड़ा कर उसके थोड़ा करीब गई और उसकी आंखों में आंखें डाल कर कहीं — चोट जिस्म पर लगे या रूह पर ... तकलीफ तो बराबर ही होती है ... फर्क सिर्फ इतना होता है कि जिस्म पर लगे चोट ,

रिवांश अपूर्वा के पास जाकर उससे बोलना शुरू किया — अम्म ... मुझे ... वो ... अपू .... इतना सुनकर अपूर्वा रिवांश के तरफ देखती है । रिवांश उसकी बिल्कुल करीब था । अपूर्वा रिवांश को डरे हुए देखकर अपने

देखते - देखते कब 2 साल बित गया , पता  नही चला  । इस बीच रिवांश और अपूर्वा एक दूसरे से बिल्कुल भी बात नहीं किये थे । हाल्की रिवांश कई बार कोशिश किया कि वो अपूर्वा से बात करे , लेकिन अपनी गलती

      इधर कुछ  दिनों से  जब रिवांश को ये लगने लगा कि अपूर्वा उसे इग्नोर कर रही है , उससे बात करना नहीं चाह रही है ,  तो  रिवांश कई बार कोशिश किया अपूर्वा से बात करने

    जब से आया हूँ तब से मेरा सर खाये जा रही हो ... एक मिनट भी चैन से सांस नहीं लेने दी हो , और तुम जान कर क्या कर लोगी कि मेरे साथ मेरे ऑफिस में क्या हुआ है ? सब कुछ ठीक कर दोगी .... उम्म ..

      अपूर्वा को रिवांश की इस हरकत पर और भी चिंता होने लगी । तो वो उससे फिर से पूछी — अंश क्या हुआ है ? कुछ हुआ है क्या आज तुम्हारे ऑफिस में ? बोलो ना ... कुछ तो बताओं ... ? मुझे तुमको

          रिवांश बॉथरूम में गया तो अपूर्वा ये सोचने लगी की रोज तो अंश ( अपूर्वा रिवांश को अंश कहती है और रिवांश अपूर्वा को पूर्वा कहता हैं । ) ये सब करते वक्त कितनी शैतानियां

                  तो अपूर्वा उससे कहती थी — चुप करो बेशरम इंसान ... तुम दिन पर दिन कितने बेशरम होते जा रहे हो ... दिन भर तो मुझे किस ही करते रहते हो ,

बडे अजब से लिखा जा रहा,तेरे मेरे शादी का हसी तराना,जब बरसों के इंतजार के बाद,आखिर रंग लाया वो दोस्ताना!साथ साथ खेले ,कूदे ,बडे है हम,तेरा साथ किसी खजाने क्या कम,आंसू भी बहे हम दोनों के साथ में,तब जाके

        आजकल लिख़ना थोडा कम कर दिया है मैंने , वो  लिखना चाहती हूँ जिससे मैं  कुछ कमाई कर सकू, आजकल मैं हर एक जगह ऑनलाईन कमाई के ऑप्शन ढूँढती रहती हूँ ऑफ कोर्स लेखनी से ह

       आज मैंने बहुत दिनों बाद अपने बेस्ट फ्रेंड को कॉल किया। वैसे पता नहीं अच्छा किया या बूरा, क्यूँकी वो तो कभी मेरे लिए कुछ नहीं करता, दिल का बूरा नहीं है वो,पर सरफिला है थोडा।

            आज थोडा देर से उठी, मम्मी और भैया ज़रा जल्दी उठे मुझसे भी। क्यूंकी आज पानी आने का दिन था।तीन चार दिनों के बाद आता है पिने का पानी, बारीश का मौसम हो तो भी। रंग

            आज थोडा देर से उठी, मम्मी और भैया ज़रा जल्दी उठे मुझसे भी। क्यूंकी आज पानी आने का दिन था।तीन चार दिनों के बाद आता है पिने का पानी, बारीश का मौसम हो तो भी। रंग

                     आज मेरा फॉर्म भरके सर्टिफाईड हो गया, एक टेंशन खत्म हो गई है। वैसे प्रोसेस तो बहुत इझी है पर क्या है ना बहुत सारे एक साथ भरते

     दिन यूंही गूजरा मेरा भागदौड करने में, और जिस काम के लिए भागदौड की वो काम भी ना हो पाया, सच में नोकरी पाना आसान नहीं, बस भागदौड करते जावो।      आय होप कल मेरा काम पूर

          आज सुबह से ही बारीश शुरु है। बारीश इपर से भागदौड वाला काम, जान हैरान हो जाती है। वैसे बारीश तो बहुत सुहाना लगती है पर क्या करु मुझे खुद से ज्यादा बारीश से डॉक्युमेंट

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