आज थोडा देर से उठी, मम्मी और भैया ज़रा जल्दी उठे मुझसे भी। क्यूंकी आज पानी आने का दिन था।तीन चार दिनों के बाद आता है पिने का पानी, बारीश का मौसम हो तो भी। रंगोली का इंतजार तो मैं पुरे हफ्ते से करती हूँ, बडी पसंद है मुझे रंगोली, पर अब अँकरिंग में वो बात ना रही, जो बचपन में हुँवा करती थी।
जब ज्यादातर प्रोगॉम नहीं आते थे टिव्ही पर, तब दूरदर्शन ही एकमात्र ज़रिया होता था, शनिवार और ऐतवार को फिल्म आती थी, और बाकी के दिन सिरीयल्स। पर खुश थे तब हम जब हेमा मालिनी अँकर हुँवा करती थी। ऐटेना को लगातार घूमाते रहते थे सिंग्नल्स के लिए।
मेरा भैया जाता था उपर, उस जमाने में अलग बात थी।
जब मैच भी मजेदार लगती थी, राहुल द्रविड था मेरा फेवरेट।
सादगी से भरा था वो वक्त, जो पिछे झूठ गया। अगर हर किसीके पास टाईम मशीन होती तो वो पिछे जाना पसंद करता, कम से कम मैं तो, जहाँ मेरे पापा का साथ था, हम सब मिलकर कँरम, पत्ते खेला करते थे।
चलो मुझे तो हर वक्त बिता वक्त याद आता है, क्यूंकी दिल में कोई दर्द जो ना था, उम्मीद से भरा था आनेवाला कल, पर पलभर में जैसे बित गया। पर आनेवाले पल से उम्नीदें करना ना छोडा अब तक।चलो कल मिलती हूँ।