ये मेरी डायरी लेखन की किताब है जिसमें आपको अलग विषय पर मेरे कुछ अनुभव और निजी मत लिखे है।
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वैसे तो क्या ही लिखे, पर सोचा मैनें की लिखना है तो लिखना ही है, मेरे पर्सनल चीजों के बारे में नहीं तो प्रतिलिपी जिन्होनें मुझे लिखने की आदत डाली आज उसी विषयों पर लिखने के बा
आज 5 जूून, जागतिक पर्यावरण दिन आज पर्यावरण की ओर जपणूक करने की एक नया दिन, इस दिन लोग हर एक जगह पर्यावरण की पोस्ट डालकर दिन सेलिब्रेट करते है।
सोमवार, मेरे प्यारे महादेव का वार, वैसे सच कहू महादेव से मेरा बडा पुराना नाता है, मुझे महादेव से ज्यादा उनका पुत्र गणेश पसंद है, यूँ लगता है माता पार्वती और महादेव माता पिता हो, और गणेश मेरा नट
हल्की सी बूँदा बारी के साथ मौसम के मिज़ाज में कुछ रुहानियत शामिल है। वैसे तो मेरे पास्ट में कुछ ऐसा नहीं की जो इस बूँदाबारी को देखके याद आ जाये पर ना जाने क्यूँ ही किसी दिल के कोने
लगबग दोपहर का समय हो गया है, सुबह भी थोडी आलसाई सी हुँवी, रात को सच मोबाईल देखते कब सुबह हुँवी पता ही ना चला,जानती हूँ की अच्छी नींद बहुत जरुरी है, पर मेरा मन भी उस जिद्दी बच्चे की तरह है
आज का सुबह बडी सुहानी सी हुँवी, बारीश के अडसाद लिये सूरज बादलों से निकल कर उपर आया, मानो जैसे की वह भी बारीश होते हुँवे देखना चाहता हो। बडा सुंदर नजारा था, कल रात भर हल्की हल्की बूँ
चलो आज प्रतिलिपी जी ने हमें एक अच्छा विषय दिया है जुनूनी इश्क। मैं नहीं जानती की आज के जमाने में कौन करता है किसीसे जुनूनी इश्क। सिर्फ टिवी में दिखाई देता है वो जुनूनी टाईप पागल इश्क, जिसमें कुछ भी कल
आज रह रहकर मेरा मन मायूस हूँवा जा रहा, मैनें अदम गोंडवी जी की कविता चमारों की गली सुनी, कितना दर्दनाक है ना आज के जमाने में जाति व्यवस्था का दर्द, महज कोई अलग कुल में पैदा हूँवा, इसलिए वो नीच कु
आज की सुबह की शुरुवात रिमझिम बारीश से हुँवी। बारीश बहुत ही प्यारी है, आज वैसे तो ऐतवार है तो इसकी बजह से थोडा लेट ही उठे है हम। आज महादेव जी का प्रदोष भी है, बारीश की बजह से गर्मी थोडी कम है, हल
आज से कई चीजों की नई शुरुवात, माना आज से ही स्कुल शुरु हो रहे है, पर अभी बच्चों के चेहरे पर मुस्कराहट देखने के लिए दो दिन का ओर इंतजार करना होगा हमें। करोना के मुश्किल दौड
आज 14जून बस एक दिन बाद स्कुल शुरु , पता है बचपन में जब समर होलिडेज हुँवा करता था, तब हम कुछ ही दिन बाद बेसब्री से स्कुल के रिओपन होने की राह देखा करते थे, पहले दिन वो स्कुल में आकर ऐसा लग
फाईनली आज इतने दिनों बाद स्कुल रिओपन होगा, बच्चों की चहल पहल फिर से होगी, उनका शोर फिर से सुनाई देगा, मानो जैसे कान्हा के बिना उनका नगर खाली खाली लग रहा था, वैसे ही स्कुल तो था पर दो साल से बच्च
कल के बच्चों का शानदार स्वागत के बाद जब उन्होंने क्लास में कदम रखा, मानो ऐसा लगा की गुलशन में बहार फिल से खिल गई हो, बिनबादल की बरसात होकर सारा ताप मिट गया हो, वो परेशान करने वाले सकुन की जगह फिर से श
सुबह से आसपास ज्यादा गर्मी महसूस हो रही है, लगता है आज बारीश जल्द ही आयेगी, वैसे जैसे ही जून मास की शुरुवात होती है, हम सब अपने रेनकोट, छाते तैयार रखते है, हालांकि बच्चे तो छोडो पर हम बडों की भ
कल दसवीं के बोर्ड का रिझल्ट घोषित हूँवा, उम्मीद करती हूँ की बहुत से घरों में कल पार्टी का माहौल होगा, पर ज्यादा तर गौर में उनपर भी करना चाहूँगी, जो कुछ कारण पिछे छूट गये, जिन्हें अब तानों की नह
आज का छुट्टी का दिन है, और देखो ना आज का सब्जेट भी प्रतिलिपी ने वहीं दिया है। इतफाक की बात ये है हम प्रतिलिपी वालों के लिए आज झूम मिटींग भी रखी है, पर क
आज फिर ऐतवार की छुट्टी खत्म कर भीग दौड करने का पहला हफ्ते का दिन, कुछ कुछ कल की सुस्ती रहती है, जल्दी उठने का दिल ना करता पर तब भी उठना तो पड ही जाता है! कल प्रतिलिपी जी ने सब्जेंट दिया था, छुट्टी का
आज २१जून मंगलवार आज का दिन उत्तर गोलार्ध में से सबसे बडा दिन और इसके विपरीत दक्षिण गोलार्ध की स्थिती होती है. आज आंतरराष्ट्रीय योगा दिन भी है, आज सूरज बराबर कर्करेखा पर होता है. &nb
वैसे कुछ खास नहीं हुँवी दिन की शुरुवात आज.उठने में देरी के कारण सारे काम करने में देरी हो गई।तो फटाफट से तैयार होकर घर से निकालना पडा। बस स्टॉप पर भी काफी देर तक इंतजार करना पडा, वो कहते है ना सभी दिन
कल पूरी रात बारीश और सुबह की शुरुवात हल्के से सूरज की रोशनी से हूँवी, वैसे आज तेज धूप तोे ना निकली, पर धीमे धीमे चाही चाही सी धूप तो निकली है। स्कुल अब अच्छे से शुरु ह
सच कहू सखी सुबह तुझसे मेरी मुलाकात ना हो पाई, बहुत वक्त बाद याद आया की तुझसे मिलना तो बाकी है, तो झट् से प्रतिलिपी को ओपन किया और तुझसे मुलाकात करने के लिए चली आई मैं, आय होप तुम
आज सुबह से ही बारीश शुरु है हमारे यहाँ, आपके शहर का क्या हाल है, वैसे तो बारीश मुझे बहुत ही ज्यादा पसंद है, पर बारीश में दिक्कत ये है की बाहर का नज़ारा तो खुबसुरत होता है, पर चिपच
वैसे आज ऐतवार है, बारीश से थोडी राहत मिली है।तो आज के काम चालू है, सुबह की गरमा गरम चाय पी ली है। तो थोडा जोश लग रहा है, आज मेरा प्रदोष है तो नाष्टा तो ना किय
आज मंगलवार, सुबह से ही बारीश हो रही है, बाहर जाने का मन तो कर रहा है, कहीं दूर कार में बैठकर या फिर ट्रेकिंग पर कहीं जाने का मन कर रहा है, पर स्कुल को छुट्टी जो नहीं
आज सच कहूँ क्या लिखु तुझमें एक गहन सवाल है पर लिखना तो है ही, कल पशु प्रेम के बारे में पूछा गया था, और आ
आज जून मास का आखरी दिन, हमारे जून के डायरी ले़खन का भी आखिरी दिन, शुक्रिया करती हूँ मैं उनका जिन्होनें ना सिर्फ दिल से पढा पर कमेंट के साथ अपनी बात मुझतक पहूँचायी। जानकर खुश