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भावनाओं का अत

1 अगस्त 2020

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रक्षाबन्धन का र्पव समीप आ गया हैं जो भाई बहन के रिश्ते को पवित्र बनाता हैं परन्तु आज जिस तरह से लोगों के अंदर भावनाओं का विनाश हो रहा है उस तरह ये रिश्ते भी आखिरी सांस गिन रहें है ऐसा नहीं हे कि लोग समझते नही है वो जानते तो सब है, लेकिन अनजान बन के रहना चाहते हैं उन्हें ऐसा लगता है कि हमें किसी की जरूरत नहीं है बल्कि ये भूल जाते है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है उसे हर समय अपनो की जरूरत होती है मुझे तो अफसोस है कि हम आने वाली पीढ़ी को विरासत मे ये खोखलापन दे रहे तभी तो हमारी पीढ़ी भावनात्मक रूप से इतनी कमजोर है जो थोड़ी परेशानी से झिलाती है हमारा दायित्व है कि हम रिशतों को समझें और युवाओं को उनसे अवगत करवाये!
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नई शिक्षा नीति

30 जुलाई 2020
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आज सुबह समाचारपत्र मे देखा हमारी शिक्षा नीति में होते बदलाव, परिवर्तन जरुरी हैं आज की शिक्षा केवल आपको एक कर्मचारी बनाती हैं, एक सफल उघमी नहीं जब तक हम बच्चों पर व्यावहारिक ज्ञान नहीं देगे हमारा कर्तव्य हैं कि आज की पीढ़ी को उनके अक से न आका जाए बल्कि उनकी बोद्धिक क्षमता के साथ मानवीय व्यवहार से

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भावनाओं का अत

1 अगस्त 2020
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रक्षाबन्धन का र्पव समीप आ गया हैं जो भाई बहन के रिश्ते को पवित्र बनाता हैं परन्तु आज जिस तरह से लोगों के अंदर भावनाओं का विनाश हो रहा है उस तरह ये रिश्ते भी आखिरी सांस गिन रहें है ऐसा नहीं हे कि लोग समझते नही है वो जानते तो सब है, लेकिन अनजान बन के रहना चाहते हैं उन्

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युवाओं के साथ होता छल

8 अगस्त 2020
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भारत देश युध्द का नहीं बुध्द का देश है, सबसे ज्यादा 65% युवा भारत मे है, लेकिन इन युवाओं का अच्छा मागृदशर्शक न होने के कारण इस देश के युवा बेरोजगारी का आलम लेकर जीवन गुजार रहे हैं इनके अपने सपने है जो ये अपनी मेहनत और लगन से पूरा तो करना चाहते हैं इन युवाओं में न केवल जोश है बल्कि होश के साथ कार्य क

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महिलाओ की आजादी

12 अगस्त 2020
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u .p के बुलन्दशहर की रहने वाली सुदीक्षा भाटी की मृतुय की खबर सुनी तो अपने जज्बात को रोक न पई और सोचने पर मजबूर कर दिया कि आज हमे नैतिक शिक्षा देने की जरुरत किसे है अपने बच्चो को या फिर अपनी बचिचयों को जो आये दिन इस छेड़छाड़ ,बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों

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अहिंसा का रुप बदलता हिंसा में

2 अक्टूबर 2020
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आज 2 अकंटूबर है दो महान व्यक्ति की जऩमतिथि एक अहिंसा के पुजारी तो दूसरे अनुशासन के धनी दोनों ही अपना अलग अलग वयक्त रखते हैं, लेकिन आज जिस तरह से देश में माहौल है उस से लगता है कि देश की स्वतंत्रता के बाद जो स्वपन देखा था वो भारत तो मिला ही नहीं... न देश मे बेटी बहन सुरक्षित है नहीं कोई आम आदमी, यहाँ

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