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जैसा दुसरो को देंगे वहीं मिलेगा

14 सितम्बर 2017

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गाँव में एक किसान रहता था जो दूध से दही और मक्खन बनाकर बेचने का काम करता था.. एक दिन बीवी ने उसे मक्खन तैयार करके दिया वो उसे बेचने के लिए अपने गाँव से शहर की तरफ रवाना हुवा.. वो मक्खन गोल पेढ़ो की शकल मे बना हुआ था और हर पेढ़े का वज़न एक kg था.. शहर मे किसान ने उस मक्खन को हमेशा की तरह एक दुकानदार को बेच दिया,और दुकानदार से चायपत्ती,चीनी,तेल और साबुन वगैरह खरीदकर वापस अपने गाँव को रवाना हो गया.. किसान के जाने के बाद - .. .दुकानदार ने मक्खन को फ्रिज़र मे रखना शुरू किया.....उसे खयाल आया के क्यूँ ना एक पेढ़े का वज़न किया जाए, वज़न करने पर पेढ़ा सिर्फ 900 gm. का निकला, हैरत और निराशा से उसने सारे पेढ़े तोल डाले मगर किसान के लाए हुए सभी पेढ़े 900-900 gm.के ही निकले। अगले हफ्ते फिर किसान हमेशा की तरह मक्खन लेकर जैसे ही दुकानदार की दहलीज़ पर चढ़ा.. दुकानदार ने किसान से चिल्लाते हुए कहा: दफा हो जा, किसी बे-ईमान और धोखेबाज़ शख्स से कारोबार करना.. पर मुझसे नही। 900 gm.मक्खन को पूरा एक kg.कहकर बेचने वाले शख्स की वो शक्ल भी देखना गवारा नही करता.. किसान ने बड़ी ही "विनम्रता" से दुकानदार से कहा "मेरे भाई मुझसे नाराज ना हो हम तो गरीब और बेचारे लोग है, हमारी माल तोलने के लिए बाट (वज़न) खरीदने की हैसियत कहाँ" आपसे जो एक किलो चीनी लेकर जाता हूँ उसी को तराज़ू के एक पलड़े मे रखकर दूसरे पलड़े मे उतने ही वज़न का मक्खन तोलकर ले आता हूँ। 👍👍👍👍👍👍👍👍👍 जो हम दुसरो को देंगे, वहीं लौट कर आयेगा... चाहे वो इज्जत, सम्मान हो, या फिर धोखा...!!👌🏻👌🏻

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आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

बहुत ही शिक्षाप्रद व् दिशाबोधक लघु कथा है | बहुत बहुत शुभ कामनाएं - मीना जी |

14 सितम्बर 2017

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जैसा दुसरो को देंगे वहीं मिलेगा

14 सितम्बर 2017
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गाँव में एक किसान रहता था जो दूध से दही और मक्खन बनाकर बेचने का काम करता था..एक दिन बीवी ने उसे मक्खन तैयार करके दिया वो उसे बेचने के लिए अपने गाँव से शहर की तरफ रवाना हुवा..वो मक्खन गोल पेढ़ो की शकल मे बना हुआ था और हर पेढ़े का वज़न एक kg था..शहर मे किसान ने उस मक्खन को हमेशा की तरह एक दुकानदार को

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एक नारी की पुकार

27 सितम्बर 2017
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एक नारी की पुकार.....क्या घूर रहे हो?वक्ष मेरे??लब मेरेया कमर मेरी?इन्हें देखउत्तेजित हो रहे?क्या मन कर रहामुझे दबोचने का?नोचने-खखोरने का??एक बात पूछती हूँसच-सच बतानातुम्हारे घर में भी तोखूबसूरत-सुडौल वक्षों कीकई जोड़ियाँ होंगीक्या उन्हें भी ऐसे हीभूखे भेड़ियों की तरहघूरा करते हो?क्या उन्हें भी देखअपन

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रावण की अच्छाई

27 सितम्बर 2017
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रावण बनना भी कहां आसान...रावण में अहंकार था, तो पश्चाताप भी थारावण में वासना थी, तो संयम भी थारावण में सीता के अपहरण की ताकत थी,तो बिना सहमति पराए स्त्री को स्पर्श न करने का संकल्प भी थासीता जीवित मिली ये राम की ताकत थी,पर पवित्र मिली ये रावण की मर्यादा थीराम,तुम्हारे युग का रावण अच्छा था..दस के दस

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रावण जैसा वर चाहिए

1 अक्टूबर 2017
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मां ने बेटी से पूछा कि बेटी तुझे कैसा #वर चाहिये? बेटी ने जबाब दिया मुझे #रावण जैसा वर चाहिये। मां ने यह शब्द अपनी बेटी से सुनते ही #चिल्लाई ।और डाँटते हुए अपनी बेटी को समझाने लगी? बेटी #रावण नही #राम जैसा पति मांगते है। जो #पुरुषोत्तम और जगत के कुल थे ।बेटी ने शांत मन से कहा कि मां रावण ने अपनी बहन

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