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उदय सिंह मीना की डायरी

उदय सिंह मीना

4 अध्याय
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uday singh mina ki dir

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पुस्तक के भाग

1

जैसा दुसरो को देंगे वहीं मिलेगा

14 सितम्बर 2017
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गाँव में एक किसान रहता था जो दूध से दही और मक्खन बनाकर बेचने का काम करता था..एक दिन बीवी ने उसे मक्खन तैयार करके दिया वो उसे बेचने के लिए अपने गाँव से शहर की तरफ रवाना हुवा..वो मक्खन गोल पेढ़ो की शकल मे बना हुआ था और हर पेढ़े का वज़न एक kg था..शहर मे किसान ने उस मक्खन को हमेशा की तरह एक दुकानदार को

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एक नारी की पुकार

27 सितम्बर 2017
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एक नारी की पुकार.....क्या घूर रहे हो?वक्ष मेरे??लब मेरेया कमर मेरी?इन्हें देखउत्तेजित हो रहे?क्या मन कर रहामुझे दबोचने का?नोचने-खखोरने का??एक बात पूछती हूँसच-सच बतानातुम्हारे घर में भी तोखूबसूरत-सुडौल वक्षों कीकई जोड़ियाँ होंगीक्या उन्हें भी ऐसे हीभूखे भेड़ियों की तरहघूरा करते हो?क्या उन्हें भी देखअपन

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रावण की अच्छाई

27 सितम्बर 2017
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रावण बनना भी कहां आसान...रावण में अहंकार था, तो पश्चाताप भी थारावण में वासना थी, तो संयम भी थारावण में सीता के अपहरण की ताकत थी,तो बिना सहमति पराए स्त्री को स्पर्श न करने का संकल्प भी थासीता जीवित मिली ये राम की ताकत थी,पर पवित्र मिली ये रावण की मर्यादा थीराम,तुम्हारे युग का रावण अच्छा था..दस के दस

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रावण जैसा वर चाहिए

1 अक्टूबर 2017
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मां ने बेटी से पूछा कि बेटी तुझे कैसा #वर चाहिये? बेटी ने जबाब दिया मुझे #रावण जैसा वर चाहिये। मां ने यह शब्द अपनी बेटी से सुनते ही #चिल्लाई ।और डाँटते हुए अपनी बेटी को समझाने लगी? बेटी #रावण नही #राम जैसा पति मांगते है। जो #पुरुषोत्तम और जगत के कुल थे ।बेटी ने शांत मन से कहा कि मां रावण ने अपनी बहन

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