¤ दोहे ¤
- - - - -
जैसा सोया रात मेँ ,
वैसे कर दी भोर ।
बाहर भीतर थम गया ,
दुनिया भर का शोर ।।
बाहर से जो कुछ मिला ,
उस पर बोले राम ।
मन की गहरी खाइ मेँ ,
मुर्दा ख़ासो - आम ।।
जिसने मन को साध कर ,
साधे राम- रहीम ।
उसके अनुभव मेँ जिया ,
ब्रह्मानन्द असीम ।।
भगवा धारण क्या किया ,
लाँघी हर दीवार ।
श्रद्धा सँयम सत्य के ,
क़त्ल किए परिवार ।।
मन मारे मैदा करे ,
मिट जाए संसार ।
मन से मन का कीजिए ,
भव संभव उपचार ।।
अश्क कायमी