* दोहे *
¤ दोहे ¤- - - - -जैसा सोया रात मेँ ,वैसे कर दी भोर ।बाहर भीतर थम गया ,दुनिया भर का शोर ।।बाहर से जो कुछ मिला ,उस पर बोले राम ।मन की गहरी खाइ मेँ ,मुर्दा ख़ासो - आम ।।जिसने मन को साध कर ,साधे राम- रहीम ।उसके अनुभव मेँ जिया ,ब्रह्मानन्द असीम ।।भगवा धारण क्या किया ,लाँघी हर दीवार ।श्रद्धा सँयम सत्य के ,