shabd-logo

गजल

14 जून 2018

95 बार देखा गया 95
¤ ¤ ग़ज़ल ¤ ¤ - - - - - - - - - दिल की अजीब शर्त है हिन्दी ग़ज़ल कहेँ । उर्दू के ख़म निकाल के प्यारी ग़ज़ल कहेँ ।। पूनम की रात झील मेँ करते हुए बिहार , अवगुण्ठनोँ मेँ चाँद से उतरी ग़ज़ल कहेँ ।। शब्दोँ की चाश्नी मेँ डुबो कर ख़याल को , पहलू मेँ उनके बैठ कर मीठी ग़ज़ल कहेँ ।। मन की मरुस्थली मेँ खिलाएं न कोइ फूल , बरखा के मेघ भूल कर प्यासी ग़ज़ल कहेँ ।। हमको न कोइ मौत से नुकसान हो सका , जीते हुए जो मर गया उसकी ग़ज़ल कहेँ ।। श्रंगार करके रूप का हासिल न कुछ हुआ , बच्चोँ के बाल भाव पे भोली ग़ज़ल कहेँ ।। बीना किए हैँ राह के कंकड़ तमाम उम्र , ऐ 'अश्क' तेरे इश्क़ से जन्मी ग़ज़ल कहेँ ।। 'अश्क' कायमी

अश्क कायमी की अन्य किताबें

1

मुक्तक

2 जून 2018
0
1
0

हम तुम्हारे प्यार के मारे हुए हैं ।आंख में जन्मे मगर खारे हुए हैं ।गम ने मारा कुछ हमें कुछ जिन्दगी ने , जीतने के शौक में हारे हुए हैं ।। दो एक सूखा गुलाब हो जैसे ।आप अपना जवाब हो जैसे ।क्या करूँ जिन्दगी की परिभाषा ,एक मुश्किल किताब हो जैसे ।।

2

मुक्तक

3 जून 2018
0
0
0

गौर से अब धर्म ध्वज वाहक सुनें ।बोध करुणा मोक्ष के दायक सुनें ।व्यर्थ है हर प्रेम वंचित मान्यता ,हिन्द में हिन्दुत्व के पालक सुनें ।।आलिंगन में लय हुए , दो रूहों के तार ।तन मन के विगलित हुए , उद्दीपक श्रंगार ।।सकल वासना बह गई , रही न इच्छा शेष , मोह निशा से तब हुआ , जीवन का निस्तार ।।

3

मुक्तक

5 जून 2018
0
1
0

मत कहो दिल दर्द से दुखता नहीं .शब्द दिल में शूल सा चुभता नहीं . अश्क जो पलकें हमारी चूमता ...रोकने से भी कभी रुकता नहीं . #

4

शै'र

8 जून 2018
0
0
0

हर निशा अभिसार से अभिषेक करके हीढली ,द्वार पर मृगलोचनी सी कौन हो तुम कौनहो ।'अश्क' कायमी

5

* दोहे *

9 जून 2018
0
0
0

¤ दोहे ¤- - - - -जैसा सोया रात मेँ ,वैसे कर दी भोर ।बाहर भीतर थम गया ,दुनिया भर का शोर ।।बाहर से जो कुछ मिला ,उस पर बोले राम ।मन की गहरी खाइ मेँ ,मुर्दा ख़ासो - आम ।।जिसने मन को साध कर ,साधे राम- रहीम ।उसके अनुभव मेँ जिया ,ब्रह्मानन्द असीम ।।भगवा धारण क्या किया ,लाँघी हर दीवार ।श्रद्धा सँयम सत्य के ,

6

दोहे

10 जून 2018
0
0
0

* * दो दोहे * *काव्य नीति को छोड़ कर ,राजनीति को मान ।कवियोँ ने जब से दिया ,खो दी अपनी शान ।।¤कविता कोठे पर खड़ी ,करे कराए मोल ।शब्द शब्द बिकने लगा ,हर मिसरे मेँ झोल ।।'अश्क' कायमी

7

दोहे

12 जून 2018
0
0
0

भगवा धारण क्या किया ,धार लिया पाखण्ड ।गृही रहा तब शिष्ट था ,संन्यासीउद्दण्ड ।। 6शुचिता से कैसे निभे ,जन गण का संबन्ध ?शौचालय मेँ जल नहीँ ,बाहर है प्रतिबन्ध ।। 7भारत मेँ होने लगे ,बच्चोँ से दुश्कर्म ।अहो ! रसातल को चला ,अटल सनातन धर्म ।। 8गूगल मेँ खोजा किए ,दुनिया की हर खोज ।गूगल की आगोश मेँ ,माया मो

8

गजल

13 जून 2018
0
1
1

** ग़ज़ल **- - - - - - - - -गूँजती जो विश्व मेँ उस हँसीकी बात कर ।जन्मदा जो दर्द की उस खुशीकी बात कर ।।दिव्य रूप रश्मियाँ चक्षुओँ से पी गया ,कामिनी के पार्श्व मेँ चाँदनी कीबात कर ।।आ कि फिर निकुञ्ज मेँ तू सुगन्ध मेँ नहा , जो अभीखिली नहीँ उस कलीकी बात कर ।। बीतराग मान्यता खण्डखण्ड हो गयी ,वासना की विष

9

दोहे

13 जून 2018
0
0
0

बगुला कीचड़ मेँ खड़ा ,दे हंसोँ को सीख ।पोखर से मिलती नहीँ ,मोती वाली भीख ।।अपने अपने भाव से ,सबको दीखे आप ।संत रहेँ समभाव मेँ ,पाकर सौ अभिशाप ।अश्क कायमी

10

गीत

13 जून 2018
0
0
0

* * गीत * *- - - - - - - - -हिरनी जैसे नैन नशीले ।।इनकी मादक हाला पीकर ,जीवन बिखरा सँवर न पाया ।सागर जैसी गहराई मेँ ,डूबा लेकिन उबर न पाया ।रतनारे दो नैन रसीले ।।पहले पहल मिले जब नैना ,अधर कँपे पर बोल न फूटे ।मिली मेघ से विद्युन्माला , मगर मौन के तार न टूटे ।गिरा रहित दो नैन बतीले ।।उठे नज़र तो तीर च

11

गजल

14 जून 2018
0
0
0

tअक्षर आनंद राजयोगी* * ग़ज़ल * *- - - - - - - - -उनकी यादेँ अज़ाब हैंजैसे ।दिल मेँ चुभते गुलाब हैँजैसे ।।ज़िन्दगी पढ़ के पढ़ न पाई है , लोग मुश्किल किताब हैँजैसे ।।मेरी आँखोँ मेँ आग भर देँगे , दहके दहके से ख़्वाबहैँ जैसे ।।मेरे होँठोँ की तिश्नगी पी लेँ ,आप जमजम का आब हैँजैसे ।।निकले आहो फ़ुग़ाँ धुआँ होकर ,इश

12

गजल

14 जून 2018
0
0
0

¤ ¤ ग़ज़ल ¤ ¤- - - - - - - - -दिल की अजीब शर्त हैहिन्दी ग़ज़ल कहेँ ।उर्दू के ख़म निकाल के प्यारी ग़ज़ल कहेँ ।।पूनम की रात झील मेँ करते हुए बिहार ,अवगुण्ठनोँ मेँ चाँद से उतरी ग़ज़ल कहेँ ।। शब्दोँकी चाश्नी मेँ डुबो कर ख़यालको ,पहलू मेँ उनके बैठ कर मीठी ग़ज़ल कहेँ।। मन की मरुस्थली मेँ खिलाएं न कोइ फूल,बरखा के मेघ

13

गजल

15 जून 2018
0
0
0

** ग़ज़ल **उसने पत्थर मिरि जानिब जो अभी फेँका है ।अपने माथे पे वही फूल खिला पाया है ।।उम्र भर साथ जिए फिर भी तअर्रुफ़ न हुआ ,मैँने जाना है तुझे मेरा मगर दावा है ।।लोग बच्चोँ की तरह कैसे हँसा करते हैँ ?वाइसे हैरते दुनिया है अभी जाना है ।।उलझनेँ बुनती हुई ख़्वाब मेँ दुनिया देखी ,तब से हर शख़्स न सोया न कभी

14

प्रोफाइल पिक्चर

15 जून 2018
0
0
0

दर्द के पर्दे में जो रूपोश है . उस हसीं पल की खता है ज़िन्दगी .#

15

दोहे

16 जून 2018
0
0
0

* * दोहे * *- - - - - - - - -पैदा होते ही लगे ,दुनिया भर के रोग ।आजीवन भोगा किए ,कृत कर्मो का भोग ।।¤लगे उठाने उँगलियाँ ,बस्ती के सौ लोग ।अक्षर अब जंगल चलो ,अच्छा बना सुयोग ।।¤जब से सब कुछ छोड़ कर , दुनिया मेँ अनिकेत ।तब से निज विस्तार के ,अन्तस मेँ संकेत ।।¤जब तक मन संतप्त है ,तिल भर आशा शेष ।जीवन म

16

गजल

20 जून 2018
0
0
0

* * ग़ज़ल * *- - - - - - - - -लब नज़र ज़ुल्फ़ेँ तबस्सुम देखता था ।अनकहा फिर भी ग़ज़ल मेँ रह गयाथा ।।उम्र भर उतरी नहीँजिसकी ख़ुमारी ,बाख़ुदा वो प्यार का पहला नशा था ।।गर्म साँसोँ की छुअन चेहरे पेबिखरी ,दरमियाँ फिर भी सदी काफ़ासला था ।।मर चुका वो ज़माने की नज़र मेँ ,महफ़िलोँ मेँ जो कभी आया गया था ।।रह गया दामाने ज

17

गजल

22 जून 2018
0
0
0

* * ग़ज़ल * * - - - - - - - - -बेरुख़ी दिखाना छोड़ दे ।यूँ मुझे सताना छोड़ दे ।।- - - - - - - - -दे सुकूते दारो रसन यूँ ,दर्दे दिल जगाना छोड़दे ।।- - - - - - - - -तर्क गर तअल्लुक़ कर लिया ,ख़्वाब बन के आना छोड़ दे ।।- - - - - - - - -कितने इम्तिहाँ लेगा अभी ,अब तो आज़माना छोड़ दे ।।- - - - - - - - -जल गया परिन्

18

गजल

26 जून 2018
0
0
0

ख़ाक हर मरघट की छानीजायगी ।जिस्म पर भस्मी रमाईजायगी ।।दोस्तोँ की बात मानीजायगी ।अब कुटी संगम पे छाईजायगी ।।फूँक देँगी गुलसिताँ जब बिजलियाँ ,दास्ताँ आतिश पे ढालीजायगी ।।जब बहारोँ से मिलेगीज़िन्दगी ,आपकी मरज़ीभी पूछीजायगी ।।उर्वशी कोई अगर फिर भागयी ,ज़िन्दगी भरकी कमाई जायगी ।।मन करो मैदा मिलो भगवान से ,बा

19

गजल

8 जुलाई 2018
0
0
0

* * ग़ज़ल * *- - - - - - - - -राज़े ग़मे हयात नज़र की ज़ुबान मेँ ।करते रहेँ क़लाम जिगर की ज़ुबान मेँ ।। -- - - - - - - -लिल्लाह हमसे तर्के- तअल्लुक़ नकीजिए ,इस दिल के तार छेड़िए घर की ज़ुबान मेँ ।।- - - - - - - - -देखे हैँ राहे इश्क़ मेँ बिस्मिल हज़ारहा ,रक्खे हरेक आदमी पत्थर ज़ुबान मेँ ।।- - - - - - - - -करता है

20

गजल

8 जुलाई 2018
0
0
0

** ग़ज़ल **- - - - - - - - -रूप जब मुस्कराया ग़ज़ल हो गयी ।चाँद बाँहोँ मेँ आया ग़ज़ल हो गयी ।।- - - - - - - - -था क़यामत नज़र से नज़र का मिलन ,दिल न क़ाबू मेँ आया ग़ज़ल हो गयी ।।- - - - - - - - -जुस्तजू जिनकी थी वो नज़रआ गये ,ज़ख़्मे जाँ कसमसाया ग़ज़ल हो गयी ।।- - - - - - - - -हर कली चट चटा कर खिलीबाग़ मेँ ,गीत भौँरो

21

गजल

11 जुलाई 2018
0
0
0

* * ग़ज़ल * *- - - - - - - - -वक़्त की भट्टी मेँ हमतपतेगये ।जिस तरह ढाले गये ढलतेगये ।।- - - - - - - - -हम प्रभंजन के निशाने पर रहे ,दीप थे बुझ कर जले जलतेगये ।।- - - - - - - - -उम्र गुज़री एक ही आवासमेँ ,एक दूजे को मगर छलतेगये ।।- - - - - - - - -हर क़दम पर प्रेम ने धोका दिया ,आस्तीँ मेँ साँप कुछ पलतेगये

22

गजल

12 जुलाई 2018
0
0
0

** ग़ज़ल **- - - - - - - - -गूँजती जो विश्व मेँ उसहँसी की बात कर ।जन्मदा जो दर्द की उसखुशी की बात कर ।।- - - - - - - - -दिव्य रूप रश्मियाँ चक्षुओँ से पी गया ,कामिनी के पार्श्व मेँ चाँदनीकी बात कर ।।- - - - - - - - -आ कि फिर निकुञ्ज मेँ तू सुगन्ध मेँ नहा , जोअभी खिलीनहीँ उस कलीकी बात कर ।।- - - - - - -

23

गजल

13 जुलाई 2018
0
0
0

* ~ ग़ज़ल ~ *- - - - - - - - -पतझर मेँ गुलशन महका दे ।सौरभ को पतझार बनादे ।।- - - - - - - - -शशि- मुख से घूँघट सरकादे ।इन आँखोँ की प्यास बुझादे ।।- - - - - - - - -अवगुण्ठन मेँ पिघलेँ फिर से ,पंख लगा कर रात उड़ा दे ।।- - - - - - - - -उसे पाँखरी से मत छूना ,तन पर गहरा घाव लगा दे ।।- - - - - - - - -छीज गय

24

गजल

21 जुलाई 2018
0
0
0

* * ग़ज़ल * *- - - - - - - - -कैसे कह दूँ वो मिरा अपना नहीँ ।जो ख़यालोँ से कभी निकलानहीँ ।।- - - - - - - - -दिल बिरह की आग मेँ कोयला हुआ ,दर्द अन्तर- दाह मेँ जलता नहीँ ।।- - - - - - - - -आस हर पूरी हुईसंतृप्त हूँ , ज़िन्दगी से अब कोई शिकवानहीँ ।।- - - - - - - - -फूल सा कोमल बदन रँग संदली ,झील सी आँखेँकभ

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए