भगवा धारण क्या किया ,
धार लिया पाखण्ड ।
गृही रहा तब शिष्ट था ,
संन्यासी
उद्दण्ड ।। 6
शुचिता से कैसे निभे ,
जन गण का संबन्ध ?
शौचालय मेँ जल नहीँ ,
बाहर है प्रतिबन्ध ।। 7
भारत मेँ होने लगे ,
बच्चोँ से दुश्कर्म ।
अहो ! रसातल को चला ,
अटल सनातन धर्म ।। 8
गूगल मेँ खोजा किए ,
दुनिया की हर खोज ।
गूगल की आगोश मेँ ,
माया मोद मनोज ।। 9
दिन दिन सोशल मीडिया ,
देगा गहरे
घाव ।
जाति वर्ण कुल धर्म के ,
सामाजिक बिखराव ।। 10
अंत भला तो सब भला , जनकपुरी थी दंग ।
सिया वरी प्रभु राम ने ,
शम्भु चाप कर भंग ।। 11
'अश्क' कायमी