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(5) वो मैं ही हूं....

12 सितम्बर 2021

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                अध्याय:-10


अब आगे क्या करना है सीता?", सूरज बघेल ने कहा।
जो उसने किया है अपने बेटे-बहू,पत्नी, अपने भाई कि पत्नी और अपने भाई के साथ उन्हे धोखे में रख कर विश्वासघात",😠🥺 सीता के चेहरे पर पथरीले भाव आ गए और मुट्टियां भींचती चली गई।


चाची, संध्या जी, राधे और शांता ने एक स्वर में कहा:-
हम भी तुम्हारे साथ है और हमेशा रहेंगे जब तक सांसे चलती रहेंगी।
और मैं भी", एक कोरस आवाज गूंज उठी।
सबने दरवाजे कि ओर देखा तो एक हाथ में टेप रिकॉर्डर और कैमरा पकड़े हुए एक शख्स ने शॉल ओढ़हे एंट्री लेते हुए कहा।

कौन? ", सभी ने एक स्वर में कहा और सांसे तेज हो उठी।
मै तेजवंत सहगल का वफादार नौकर 😐 जो उसकी गुलामी करता आ रहा था इतने दिनों से,,,😔 मै वही हूं जनार्दन", उसके चेहरे पर रोष व्याप्त हैं और आंखो में दर्द जिससे उसका शरीर भी हल्का कांपता हुआ नजर आ रहा है।


क्यों? कैसे विश्वास करे तुम पर", सीता ने कहा 😐।
ये कैमरा जिससे मैंने तेजवंत कि और उसके चमचों कि वीडियो रिकॉर्डिंग कि है और ये टेप रिकॉर्डर भी जिसमे उनके रहस्य छिपे हुए हैं देख लो एक बार फिर मुझे चाहो तो ठुकरा देना", 🥺 जनार्दन ने कहा और टेबल पर कैमरा के साथ साथ टेप रिकॉर्डर भी रख दिया।


टेप रिकॉर्डर को चालू किया सूरज बघेल ने फिर टेप रिकॉर्डर में रिकॉर्ड बाते सभी सुनने लगे।
उसमे वॉइस रिकॉर्ड है जिसमे तेजवंत ने मीनाक्षी और सूर्यकांत के बेटे प्रशांत का जिक्र किया है फिलहाल मे।

टेप रिकॉर्डर सुनने के बाद मीनाक्षी सिसक सिसक कर रो पड़ी तो संध्या जी और सीता ने धीरज रखने को कहा।

फिर कैमरे के वीडियो को भी देखा सबने तो सीता ने राका, शेषाद्री फिर निरुवेद को पहचान ही लिया।

प्रतिशोध की ज्वलंत आग भड़क उठी और रोम-रोम कांप उठा।

आपको बस शेषाद्री, राका और निरुवेद शुक्ला के बारे मे मुझे पूरा डिटेल बताना है बाकी काम मै करना चाहती हूं और आप सभी को मेरी कसम है कि आप मुझे नहीं रोकेंगे इंतकाम लेने से", 😢🥺😠 चेहरे पर क्रोध, घृणा और करुण भाव भंगिमाएं लाते हुए सीता ने कहा।

सीता! तुम्हारे साथ भी ज्यादती हुई हैं और प्रशांत को मारकर तेजवंत ने हमसे सारे रिश्ते तोड़ ही डाले हैं और अब वो हमारे नजर में मुजरिम है मुजरिम, तो भला हम क्यों रोकेंगे तुम्हे 🥺 संहार कर दो उन सभी भेड़ियों का जिनके कारण तुम्हारी मांग सुनी हो गई हैं 😔🥺 चाची ने कहा और सीता के गले से लग कर रो पड़ी।
आपके और गायत्री जी के साथ भी उसने छल कपट किया और आपसे से आपके बेटे को दो बार छीना वे लोग तो माफी के क्या मौत के भी काबिल नहीं है ",😢😠🥺 संध्या जी ने मीनाक्षी के  सिर पर हाथ फेरते हुए कहा।

मुझे सहारा दिया, अपने बंगले में नौकरी दी 🥺🥺😢
रहने को ठिकाना दिया प्रशांत बेटे ने और उसके साथ ये सब किया 😠🥺", जनार्दन के आंखो में खून उतर आया और आंखे गीली हो गई।

बस अब कोई नही रोएगा", राधे ने कहा।
हमे माफ कर दीजिए 🥺 मुझे पता नहीं था कि आप लोगो के साथ भी अन्याय किया है उस दरिंदे ने 😔🥺", शांता ने साड़ी के पल्लू से आंखो के गीली कोर को साफ करते हुए कहा और हाथ जोड़कर सीता के सम्मुख जा खड़ी हुई जैसे भक्त अपनी गलती को स्वीकार करते हुए भगवान के सम्मुख प्रस्तुत होते हैं सजल नेत्रों के साथ हाथ जोड़कर।
मै भी आपका साथ देना चाहता हूं 🥺, प्रशांत बेटे ने मुझसे हमेशा मालिक नही बल्कि एक बेटे कि तरह व्यवहार किया है बाबू जी बोला करता था 🥺😢😭 जब
पत्नी के गुजर जाने के बाद बेटे - बहू ने मुझे धक्के मारकर घर से बाहर किया था तब प्रशांत ने मुझे सहारा दिया था और अब वो भी चला गया मुझे फिर से बेसहारा छोड़ कर 😢🥺😔😭", गला भर्रा गया और सिसकियां बंध गई। सूरज बघेल ने उसे गले से लगा लिया, गमझे से आंखो के कोरो को साफ करते हुए खुद को जनार्दन ने संभाला।



",एक बेसहारे को सहारा दिया,,,, फिर बेसहारा छोड़ गया
जाने वाले निर्मोही, तू मेरे दिल से नाता जोड़ गया।।",


माहौल शोकाकुल हो गया।

*******




मै चलता हूं, फिर मुलाकात होगी बॉस", निरुवेद ने कहा।
हम भी चलते हैं रात होने वाली है कल मिलेंगे", राका और शेषाद्री ने कहा।
ठीक है बाय एंड गुड नाईट डूड",🤠😈😂 तेजवंत सहगल ने कहा और मुस्कुराया।


रात के 7 बजे,,,,

बुजदिलो 😠 अभी तक तुम्हे उन तीनो के बारे में पता नहीं चला?" , तेजवंत सहगल ने भूखे शेर कि मानिंद नजर तरेर कर कहा।

वो,, वो नही मिली", एक ने साहस करके कहा।

जाओ यहां से और शक्ल मत दिखाना मुझे",😠😑 तेजवंत सहगल ने उसे धक्का मारकर दरवाजे कि ओर घुमा दिया और गुर्राया।

वे सब मुंह लटकाए, सिर नीचे किए निकल गए वहा से।

तेजवंत सहगल ने सिगरेट अपने होठों के बीच फसाया और लाइटर से सिगरेट जलाकर धुआं छोड़ता हुआ चेयर पर जा बैठा।

चेहरे पर कुटिल मुस्कान लाकर अब तेजवंत सहगल ने दाहिने तरफ के कोट के जेब से मोबाईल निकाला, मो. नंबर डायल किया और मोबाईल कान से लगाते हुए धुएं को नाक से निकालने लगा सिगरेट का।


लाईट ऑफ है और चारो तरफ उस कमरे में अंधेरा का साम्राज्य स्थापित  हो चुका है। दो खिड़की खुली हुई है हमेशा कि तरह और हवा के झोंके एक खिड़की से आ कर दूसरे खिड़की से बाहर निकल रहे हैं क्योंकि दोनो खिड़की आमने - सामने है और बेड दीवार से सटा हुआ है जिस पर अस्त - व्यस्त तरीके से हाथ- पैर फैलाए हुए राका गहरी निंद्रा में सोया पड़ा है ।

किसी परछाई ने खिड़की से प्रवेश किया कमरे में और वो सीता है जो काले साड़ी में लिपटी हुई है , चेहरे पर क्रोध और घृणा का भाव साफ दिख रहा है।





अगली सुबह,,,,,,

बस जो मैने तुमसे कहा है वो करो फिर तुम्हारे पैसे तुम्हे जल्द ही नसीब हो जायेंगे ", तेजवंत सहगल ने बाल्कनी पर खड़े होकर बाहर कि ओर देखते हुए कॉल में किसी से कहा फिर मुस्कुराहट तैर गई होठों पर और कॉल कट हो गया ।

अब तेजवंत ने कुछ सोचा फिर वो अपने रूम कि ओर चला गया।

एक कुएं के पास लावारिश लाश एक किसान को दिखी सुबह 6 बजे के आसपास जब वो किसान वहा से गुजर रहा था तब ।
पुलिस फोर्स मौक -ए - वारदात वहा पहुंच गई।
गनीमत यह है कि पुलिस ऑफिसर सूरज बघेल भी वहा पहुंच गए। दो ब्लैक जीप जिनमे पुलिस कर्मी और ऑफिसर सूरज बघेल सवार होकर आए हैं उन जीप को साइड में खड़ा किया गया।

हटिए, प्लीज पुलिस टीम को लाश तक जाने के लिए रास्ता दीजिए", एक पुलिस कर्मी ने रौबदार आवाज में उस भीड़ को दरकिनार करते हुए कहा और भीड़ को चीरता हुआ लाश कि ओर मुखातिब हुआ।

हे भगवान", लाश को देखकर उसके होश उड़ गए।
लाश के पूरे शरीर में ब्लेड के शेप के लाल कांच के ढेरो टुकड़े गोदे हुए हैं या गोदे गए हैं।

आंखो में भी कांच का टुकड़ा धंसा हुआ है और आंखे पिचककर पपड़ी बन गई हैं और मोटी तरल पदार्थ जैसी चिपकी हुई डरावनी और भद्दी नजर आ रही हैं।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही कुछ पता चल सकता हैं तो अब एम्बुलेंस बुलाओ तुरंत और देखो इस लाश के टी शर्ट में या पैंट के किसी जेब में कुछ मिलता है क्या?🤨", सूरज ने कहा।
एम्बुलेंस सेवा भी 15 मिनट्स में वहा पहुंच गई और अभी अभी एक पुलिस कर्मी को उस लाश के पैंट से एक आईडेंटिटी कार्ड मिला।
सर! ये कार्ड बरामद हुआ है",🙂 उसने सूरज बघेल के पास जाकर कहा।
दस्ताने पहने हुए सूरज ने आईडेंटिटी कार्ड को अपने दाहिने हाथ से पकड़ा और देखने लगा।
ये तो पुलिस इंस्पेक्टर राका का आईडेंटिटी कार्ड है,,😱 तो ये लाश भी उसी कि होगी", सूरज बघेल ने कहा तो बाकी सब हैरान रह गए।
स्ट्रेचर पर लेटाया गया राका के लाश को फिर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया।

ट्रिन,,, ट्रिन,,, तेजवंत सहगल के सामने टेबल पर रखे हुए टेलीफोन से आवाज आई।
हेल्लो! आई एम तेजवंत सहगल स्पीकिंग",🤨 उसने कान से लगाते हुए कहा और दूसरी ओर से जो शब्द आए उसे सुनकर वो सुन्न पड़ गया, पसीने छूटे माथे से।
टेलीफोन को क्रेंडल पर रखा।

",तेजवंत ",दरवाजे कि ओर से फ्रिज के ठंडे बर्फ सी सर्द आवाज आई।
तेजवंत सहगल ने उस ओर निगाहे डाली तो शेषाद्री घबराया हुआ सा नजर आया।
तुझे पता नहीं क्या? कि राका का रात को किसी ने कत्ल कर दिया है", उसने कांपते हुए होठों से कहा।

किसने किया है?", तेजवंत सहगल अब उसके ओर मुखातिब हुआ।
मुझे तो गोली मार, खुद पुलिस को भी नहीं पता चला है कि किसने कत्ल किया है राका का " , शेषाद्री के आंखो और चेहरे पर खौफ के बादल छाए से दृष्टिगत हुआ।

अच्छा ही हुआ और होगा कोई उसका दुश्मन जिसने उसे मौका देखकर ठिकाना लगा दिया तो फालतू मे घबरा मत", तेजवंत सहगल ने सोचते हुए कहा।
एक तरह से अच्छा ही हुआ अब उसे पैसे देने नही पड़ेंगे ठीक है मैं चलता हूं कुछ दिनों बाद ही ड्रग्स सप्लाई करने जाना है वडोदरा के एक फेमस होटल में तो तैयार रहना", 
कहते हुए शेषाद्री भी बेफिक्र होकर वहा से चला गया।

2 से 3 दिन सूरज बघेल ने दिखावा किया छानबीन करने का , राका के घर को छान मारा गया लेकिन कोई सुराग हाथ न लगा तो अब केस को बंद कर दिया गया।

तेजवंत सहगल ने ऐड़ी चोटी का जोर लगाया, अपने आदमियों को भेजा उन तीनो को ढूंढने के लिए लेकिन उनमें से किसी का पता नहीं चल पाया।
यू ही 2 महीने बीत गए और एक दिन रात के करीब 10 बजे एक परछाई ने दरवाजा खटखटाया।
कौन?", दरवाजे को खोलने के बाद शेषाद्री ने कहा।
मै अकेली हूं यहां आज ही आई हूं लेकिन किराए पर किसी ने रहने के लिए कमरा नही दिया तो 🥺,,"कहते हुए वो पिक साड़ी वाली लड़की चुप हो गई।
साड़ी के पल्लू को नाक तक किए हुए वो शर्माती हुई नजर आई और मुस्कुराते हुए गुलाबी होंठ कहर बरपाने लगे।
यहां रुक सकती हो एक रात", शेषाद्री ने बेपरवाही से कहा।
आपका आभार साहेब", मीठी सी मिश्री कि डाली आवाज आई।

घर के अंदर प्रवेश करते ही अंडर से शेषाद्री ने दरवाजा लॉक कर दिया।

हॉल में पहुंचा तो लड़की खुद सोफे पर जा बैठी।
हॉल में सामने लेफ्ट साइड के दीवार से सटा हुआ बड़ा सा शीशे का टेबल रखा हुआ है जिसके ऊपर करीने से वाईन के बोतलें और एक ओर सिगरेट्स के पैकेट्स रखे हुए है।

वाईन के बोतल का ढक्कन खोल कर उसने एक नजर लड़की पर डाला फिर एक ग्लास में वाईन डालने लगा।
आधा ग्लास वाईन डालने के बाद बोतल को उसने साईड में रखा और ग्लास को दाहिने हाथ में पकड़ कर उस लड़की कि ओर मुखातिब हुआ।
मुझे ये बहुत पसंद हैं", वाईन को पीते हुए उसने कहा।
मुझे भी ",😈 घुंघटे कि आड़ में उस लड़की ने अपने होठों पर जहरीली मुस्कुराहट बिखेरी।
वो उठकर वाईन के बोतल कि ओर बढ़ने लगी तो हैरानी से शेषाद्री ने उसे देखा और उसकी ओर आने लगा।

बहुत महंगे ब्रान्ड वाले रेड वाईन है ये ", शेषाद्री ने कहा और अपना ग्लास उसी टेबल पर रखा।
तो वाईन भी महंगी है 😈", उस लड़की ने उस वाईन कि बोतल को पकड़ते हुए कहा फिर बोतल को पकड़ कर शेषाद्री कि ओर मुखातिब होने के बाद बोतल के मुंह को नीचे कि ओर करके वो राक्षसी हंसी में हंसने लगी।
सारा वाईन गिर गया फर्श पर और सीता का चेहरा झलकने लगा गिरे वाईन पर।
पागल लड़की", कहते हुए बोतल को मजबूती से शेषाद्री ने पकड़ लिया।
अब सीता ने उसके हाथ को पकड़ा और कांच के उस खाली बोतल को उसी के हाथ से उसके माथे पर दे मारा।
कांच उसके माथे पर चुभ गए, बोतल विभिन्न टुकड़ों में विभक्त होकर गिर गया और शेषाद्री के माथे से खून की धाराएं बहने लगी।
घूंघट निकल कर सीता अब रौद्र रूप में आ गई।
शेषाद्री कुछ करता या कहता इससे पहले ही वाईन के बोतलों को पकड़ -पकड़ कर सीता ने शेषाद्री कि ओर फेंकना शुरू कर दिया।
कई बार प्रशांत को याद करते हुए उसके आंखो में आंसुओ का सैलाब भी उमड़ता हुआ नजर आया शेषाद्री को लेकिन वो अब कांच के टुकड़ों से काफी आहत हो चुका है और खून से लथपथ, भीगा हुआ है फिर भी सीता वार पे वार किए जा रही हैं वाईन के बोतलो से।
आखिरकार सोफे पर औंधे मुंह गिर कर कराहने हुए फिर सीता को देखते हुए हाथ जोड़े और मौत के आगोश में वो चला गया।



अगली सुबह,,,,,

पड़ोसियों ने जब शेषाद्री को एक बार भी घर से बाहर निकलते हुए नही देखा तो उन्हे अजीब सा लगा क्योंकि वो अक्सर बाल्कनी या ग्राउंड में ही चेयर पर बैठे हुए उन्हे दिखा करता था।

एक पड़ोसी घर के अंदर जाने के लिए तैयार हो गया और कुछ लोगो के साथ उसने दरवाजे को जैसे ही खोलने को हाथ आगे किया दरवाजा खुल गया क्योंकि दरवाजा पहले से ही खुला हुआ था।
हॉल में सोफे पर कांच के टुकड़ों से गुदे हुए शेषाद्री को जीर्ण शीर्ण अवस्था में निष्प्राण देखकर सभी समझ गए कि वो अब मृत्यु को प्राप्त हो चुका है।

पुलिस वालो को ये खबर पड़ोसियों ने दी और फिर पुलिस फोर्स आ धमकी शेषाद्री के घर।
लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
हॉल में बिखरे हुए कांच के रक्तरंजित टुकड़ों को देखकर ही सब कांप उठे थे मानो किसी भूत प्रेत ने ये सब किया हो।


तेजवंत सहगल तक ये खबर पहुंची लेकिन बदकिश्मती से अभी वो शुगर के चलते हॉस्पिटल में एडमिट हुआ पड़ा है।
कुछ दिनों तक सूरज ने छानबीन किया लेकिन कोई भी सुराग पुलिस के हत्थे चढ़ न पाया क्योंकि सूरज बघेल वो सबूते आसानी से मिटाता जा रहा था।


कुछ महीने बाद तेजवंत सहगल को अच्छा महसूस हुआ और उसे डिस्चार्ज मिल गया हॉस्पिटल से।
वो हॉस्पिटल से बाहर आया और अपने फेवरेट कार पर सवार हो गया और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ कर ड्राइविंग करने लगा।
कार के ड्रॉअर खो खोलने पर उसे अपनी गन मिली जो ब्लैक कलर का है उसका फेवरेट।
डिस्चार्ड पेपर्स लेट से बनाए गए थे और करीबन 4 बज चुके है रास्ता लंबा है।
राका और शेषाद्री के कत्ल के बाद शुगर के कारण तेजवंत को एक साथ तीन परेशानियां झेलनी पड़ी और काफी पैसे भी बरबाद हो गए।
अचानक तेजवंत सहगल को याद आया निरुवेद उसने मोबाईल निकाला और कॉल किया।
तीन बार रिंग जाने के बाद किसी महिला ने कॉल रिसीव किया।
आई एम तेजवंत सहगल, क्या निरुवेद वहा पर है?", तेजवंत सहगल ने उत्सुकता से पूछा।
वो यहां तो क्या इस दुनिया में भी न रहे, 7 दिन पहले ही उनकी लाश दो जगहों से बरामद कि गई एक जगह सिर मिला काले बोरे में और दूसरी जगह धड़,, मै उनकी विधवा पत्नी बोल रही हूं", नरम स्वर आद्रता के साथ तेजवंत सहगल को सुनाई पड़े।
जी, ठीक है माफ करिएगा", कहते हुए उसने कॉल कट किया।
उसने रेडियो ऑन किया और न्यूज चैनल लगाया।
", जैसा कि आप सभी को पता चल ही गया होगा कि 7 दिन पहले गुरुवार को मिस्टर निरुवेद शुक्ला का सिर से लेकर गले तक का एक बोरे में और धड़ यानी कि गले के निचले हिस्से से लेकर पैर तक का पार्ट दूसरे काले बोरे में भरा हुआ बरामद किया गया था और अभी तक पुलिस जांच पड़ताल में जुटी हुई है कि आखिर किसने किया ऐसा दर्दनाक कत्ल",।

रेडियो पे ये सब सुनने के बाद अब तेजवंत सहगल कांप उठा उसने कार कि स्पीड बढ़ा दी।
लेकिन इस महंगे और फेमस हॉस्पिटल से सहगल साहब का बंगला काफी दूर पर है और रास्ते पर सुनसान इलाके भी है और तो और अब अंधेरा भी छाने लगा तो मिस्टर सहगल के रोंगटे खडे हो गए।

उसकी कार किसी भी समय यहां पर पहुंच सकती हैं तो आप सभी छिप जाइए ", सीता ने कहा तो बाकी सभी छिप गए पेड़ो के पीछे।
शेषाद्री को मारने के बाद निरुवेद शुक्ला को सीता ने बेहद दर्दनाक मौत दी जिससे सबके रोए खड़े हो गए थे।


अंधेरे ने अब पूरे वडोदरा को अपने कब्जे में कर लिया।
तेज गति से तेजवंत सहगल कार ड्राइविंग करते हुए कांप रहे हैं।
उसे तभी पानी प्यास लगी लेकिन कार में पानी का बॉटल नही था तो उसने ब्रेक लगाया लेकिन ब्रेक फेल हो चुका था यानि सीता द्वारा कराया गया था।
कार को रोकने के चक्कर में स्टेयरिंग घुमाते हुए वो एक पेड़ कि ओर बढ़ने लगा।
ब्रेक ने काम नही किया और पेड़ से जा टकराया कार। उसी कार के पास सीता खड़ी हुई थी पहले से, खुले हुए लंबे बाल और सफेद साड़ी पहने लेकिन कार और पेड़ के बीच में आचनक आ जाने से उसे काफी चोट आई, मुंह से और होठ से खून निकलने लगा वो औंधे मुंह पेड़ कि छाल से जा टकराई।
तेजवंत सहगल के माथे पर चोट लगी और सामने कार का शीशा टूट गया।
वो अपने गन को लेकर कार से बाहर निकल आया और सामने खून से रंगी हुई सीता को देखते ही हैरान रह गया।
इधर छुपे हुए चाची, राधे, जनार्दन ,संध्या जी और सूरज भी अब सीता कि ओर आने के लिए अपने जगह से निकल आए।
अपने आप को संभालते हुए तेजवंत सहगल ने सीता के पास जाकर उसके बालों को पकड़ लिया और गन लोड़ करके उसके माथे पर तान दी।
जहां पर हो वही पर ठहर जाओ नही तो ये जिंदा नहीं रह पाएगी", कांपते होठों से तेजवंत ने चेतावनी प्रसारित की।
बाकी सब लोग खड़े हो गए और किसी अनहोनी के डर से कांप उठे।
सीता ने अपनी परवाह करना छोड़ दिया और तेजवंत के हाथ से अपने बालों को छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
तेजवंत ने सीता को जोर से जमीन पर पटक दिया फिर सूरज ने दौड़ लगा दी लेकिन गन से अब तेजवंत ने सूरज के दोनो पैर के घुटने के निचले हिस्से पर गोली मारी और बाकी को भी सीता कि ओर आते देखकर वो बौखला सा गया उसने अचानक से गोली चला दी जो संध्या जी के सीने पर जा लगी जिससे गुस्से से आकर चाची मीनाक्षी ने तेजवंत कि ओर आने के लिए कदम बढ़ाए ही थे कि तेजवंत ने दूसरी गोली उसके माथे के बीचों बीच मारी जिससे वो भी संध्या जी कि तरह जमीन पर गिर कर तड़पने,कराहने लगी। जनार्दन को देखते ही तेजवंत सहगल का गुस्सा सातवें आसमान में चला गया और अगले ही पल उसने जनार्दन के सीने पर एक गोली दाग दी जिससे वो भी जमीन पर औंधे मुंह गिर गया।
सीता के माथे पर से खून निकलने लगा और वो खुद को संभालकर उठ खड़ी हुई और उसने निर्भीक होकर तेजवंत के गन वाले हाथ पर झपटा मारा।
सीता और तेजवंत के बीच हातापाई होने लगी फिर एक गोली चली गन से।
आह,,,,, तेजवंत सहगल चीख उठा क्योंकि गोली उसके बाय कंधे पर लगी।
सीता ने गन छीना और उस पर तान दिया और एक बार जोर का झन्नाटेदार झापड़ उसने तेजवंत के गाल पर मारा जिससे वो पीपल के पेड़ के पास जा गिरा।
सूरज उठने कि कोशिश करने में लगा हुआ है और चाची के साथ साथ संध्या जी ने भी दम तोड़ दिया। राधे दौड़ते हुए सूरज के पास पहुंचा। सीता ने गन को तेजवंत सहगल के सीने कि ओर तान दिया और उसे घूरने लगी।

प्लीज,,, मुझे छोड़ दो, माफ कर दो 😟 🥺 जैसा तुम कहोगी वैसा मै करूंगा 🙏🏻🙏🏻 प्लीज",   पीपल के पेड़ के नीचे धरती को छूती हुई जटिल लटाओं में अपने आप को छुपाते हुए हाथ जोड़े तेजवंत ने कहा ।
राका, शेषाद्री और निरुवेद को मैने ही मारा है कत्ल किया है उन तीनो का मैने😠😠 वो मै ही हूं  जिसने तेरे कार के ब्रेक फेल किए हैं वो मै ही हूं जो अब तेरा काल बनेगी,,,
क्यों करू माफ 👿 क्या किया है तुमने मेरे साथ भूल गए हो या नाटक कर रहे हो भूलने का😠😠", उस सीता के सुर्ख होठों से खून बह रहे हैं हाथ- पैर और पूरे शरीर में कम्पन्ता मौजूद हैं बाल बिखरे हुए हैं और चेहरे पर गुस्से, नफरत और लाचारी के मिले जुले भाव साफ नजर आ रहे हैं।

अगले ही पल तेजवंत सहगल ने हिम्मत दिखाते हुए सीता से गन छीनने के लिए एक हरकत कि तो सीता ने बची हुई 2 गोलियां उसके सीने पर उतार दी और फिर रोते हुए बेहोश होकर जमीन पर गिर गई।

जैसे तैसे करके राधे ने एम्बुलेंस बुलवाई और फिर , जनार्दन, तेजवंत सहगल ,संध्या जी और चाची मीनाक्षी
चारो के लाशों को स्ट्रेचर पर लेटाया गया और पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

3 दिन बाद।
काफी हद तक सीता और सूरज बघेल ठीक हो चुके है और अपना बदला भी सीता ने ले ही लिया है तो अब वो दोनो पुलिस के सामने सरेंडर करने जा रहे है।
अदालत में सीता और सूरज को कटघरे में खड़ा किया गया।
राधे और शांता ने टेप रिकॉर्डर और कैमरा के वीडियो जज के सामने रखे, सारे सबूत जो तेजवंत सहगल के काले धंधे से संबंधित है वो सारे गवाह एक एक कर अदालत में राधे और शांता ने पेश किए।
अंततः सारे सबूतों और गवाहों को मद्दे नज़र रखते हुए और तेजवंत सहगल के काले धंधे के बारे में जानने के बाद अदालत ने सूरज बघेल और सीता को मामूली 4 साल कि सजा सुनाई।



राधे और शांता के साथ साथ उसके बच्चो ने भी सूरज और सीता से विदा लिया।

यू ही दिन, महीने गुजरने लगे और कब 4 साल बीत गए पता ही नहीं चला।
जेल से रिहा होने के बाद सबने अपने पुलिस ऑफिसर सूरज बघेल को सम्मानित किया और सीता को भी सम्मानित किया गया।
राधे और शांता के समझाने पर सीता ने अब पुलिस ऑफिसर सूरज बघेल का हाथ थाम लिया क्योंकि पुलिस ऑफिसर होकर भी बिना किसी स्वार्थ से सीता कि मदद कि उसका साथ दिया उसके दुश्मनों को खत्म करने में।
फिर सीता और सूरज का विवाह हो गया और शुरुवात हुई नई जिंदगी की।




। समाप्त।।


धन्यवाद।


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5.0
एक साहसिक नायिका कि अनकही दास्तां।

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