अध्याय:-9
फ्लैशबैक में,,,,
जब प्रशांत ने वो च्विंगम तेजवंत सहगल से डरते हुए लिया और मुंह में रखकर 2 मिनट चबाया तो उसका सिर घूमने लगा। तेजवंत सहगल का चेहरा धुंधला सा नजर आने लगा और वो टेरेस से नीचे गिरने ही वाला था कि उसके टी शर्ट के कॉलर को पकड़ कर तेजवंत ने ने उसके गले को पकड़ा और मरोड़ दिया अपने आप को बचाने कि कोशिश करने पर भी खुद को प्रशांत न बचा पाया।
3 से 4 बार उसकी गर्दन को तेजवंत सहगल ने मरोड़ मरोड़ कर तोड़ डाला, सांसे रुक गई आंखे बंद हो गई और उसके प्राण पखेरू उड़ गए।
रात के अंधेरे में भी गेट से होते हुए आ रहे सूर्यकांत ने वो सब देख लिया और तेजवंत सहगल कि नजर भी सूर्यकांत पर पड़ गई। हाथ से कंधे तक कि नसे उग्र हो उठी और पसीना माथे से चूहने लगे।
सूर्यकांत के जेब में पडे हुए मोबाईल का रिंगटोन बज उठा।
चुप चाप, पीछे के दरवाजे से टेरेस पर चले आओ", तेजवंत सहगल के ये जहरीले शब्द उसे स्पष्ट रूप से सुनाई दिए और कॉल कट हो गया फिर नजरे अकस्मात टेरेस पर गई सूर्यकांत के और वो पसीने से लथपथ हो गया और कांप उठा।
5 मिनट्स में ही सूर्यकांत टेरेस पर पहुंच गया बिना किसी भी के नजरो में आए।
सीता, चाची और मां गायत्री देवी को लग रहा था कि प्रशांत गोल्ड एंड डायमंड शोरूम में चाचा जी के साथ है।
ये रहा बोरा इसमें प्रशांत के बॉडी को डालने में हेल्प करो", तेजवंत सहगल ने नाग देवता की तरफ फुफकार भरते हुए कहा।
दोनो ने ही 6 मिनट्स में काले बड़े से बोरे में प्रशांत के बॉडी को डाल दिया।
घसीटते हुए ले गया पीछे के दरवाजे से ग्राउंड कि ओर।
कार निकालो और इसे ले जाकर पास में ही सड़क किनारे खाई है वहा ठिकाने लगा कर आओ", तेजवंत सहगल ने कहा तो सूर्यकांत के आंखो में आंसुओ का सैलाब उमड़ पड़ा।
जाओ," सख्त लहजे में अपने शब्द जोर देते हुए तेजवंत सहगल ने कहा।
कार के पास जाकर अब सूर्यकांत ने तेजवंत सहगल के नक्शे कदम पर चलना शुरू किया।
देख कर", तेजवंत सहगल ने बोरे को पीछे के डिक्की में डालते हुए कहा।
2 मिनट में ही कार में सवार होकर सूर्यकांत निकल गया खाई कि ओर लेकिन उसे ये पता नहीं था कि कार का ब्रेक फेल हो गया है और ये काम भी तेजवंत सहगल का ही है यूं कहें तो उसकी पहले से ही बिछाई हुई जाल है।
अब खाई कि ओर कार चल पड़ी और ब्रेक दबाने पर भी फूल स्पीड से कार आगे बढ़ती ही चली गई।
स्टेयरिंग को घुमाते घुमाते वो थक गया और पसीने से तर- बतर हो गया।
मौत उसके सिर पर चढ़कर तांडव करने लगी और अंततः तेजवंत सहगल का मनसूबा पूरा हो ही गया यानी कि ढेरों कोशिशें करने के बावजूद कार खाई में गिर कर नष्ट भ्रष्ट हो गई।
यहां सीता के पास जाकर तेजवंत सहगल ने पानी का ग्लास उसे दिया जिसमे उसने चुपके से एक दवा मिलाई थी जिससे सीता का गर्भपात हो गया।
ये सब सीता को उस दिन पता चला जब वो उसके स्पेशल रूम के दरवाजे पर छुपकर खड़ी हुई उनकी बाते सुन रही थी।
फिर अदालत के फैसला सुनाने के बाद चाची और संध्या जी को उसने राधे के घर जाने के लिए मनाया फिर शांता के घर में औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद सीता ने तेजवंत सहगल कि काली चिट्ठी खोलकर रख दी जिसे सुनकर वो तीनो कांप उठी।
फिर राधे को पुलिस कस्टडी यानि कि लॉकअप से बाहर निकालने के लिए शॉल ओढ़ाकर चली गई थाने।
थाने के पास चाय कि टपरी है और उसी टपरी का चायवाला प्रतिदिन थाने में पुलिस कर्मियों के लिए निर्धारित समय पर चाय पहुंचाने जाता हैं तो मौका पाकर चाय के सभी कपो में उसने बेहोशी कि दवाई मिला दी फिर पहुंच गई थाने में अपने छद्म वेश में।
राधे को अपने साथ लेकर वहा से बाहर निकल पाती उससे पहले ही पुलिस ऑफिसर सूरज बघेल ने उनका रास्ता रोका तो सीता और राधे वहा से भाग गए जिनका पीछा करते हुए सूरज बघेल भी थाने को छोड़कर चला गया।
सीता को देखते ही सूरज बघेल को झटका सा लगा और फिर सीता ने मिस्टर सहगल के बारे में सब कुछ बता दिया जिससे सूरज बघेल ने भी अब उसका साथ देने का वादा किया और इसे अपना फर्ज समझा।
फिर चोरी चुपके से सूरज बघेल ने मिस्टर दुबे को भी पुलिस कस्टडी से मुक्ति दिलाई।
ये सब बताने के बाद मिस्टर सहगल ने एक ग्लास पानी लाने को कहा एक नौकर से।
तीनो ही हैरानी से एक दूसरे को देखने लगे मानो मिस्टर सहगल डायनासोर से दिख रहे हो।
लेकिन तूने प्रशांत को यानि कि अपने एकलौते बेटे को क्यों मार डाला और सूर्यकांत को भी मौत के मुंह में जाने के लिए मजबूर किया",😲🤨 निरुवेद शुक्ला ने हकलाते हुए कहा।
नौकर ने पानी का ग्लास टेबल पर रखा और फिर मिस्टर सहगल ने पानी पिया।
निरुवेद से मेरा सौदा पक्का हो चुका था और मै मुकर नहीं सकता था", सहगल ने कहा और फिर पानी पीने लगा।
लेकिन अपने बेटे को भला कौन मारता है ऐसे?",🤨 शेषाद्री ने प्रश्न अंकित किया।
अगर उसे नही मरता तो वो मेरे और निरुवेद के रास्ते का कांटा बन गया होता तू अभी सलाखों के पीछे सड़ रहा होता", निरूवेद कि ओर निगाहे डालते हुए तेजवंत ने कहा और पानी का ग्लास रखा।
सूर्यकांत भी प्रशांत का सपोर्ट करता और वो दोनो पुलिस इंस्पेक्टर सूरज बघेल के पास भी जा सकते थे क्योंकि वो नेक, ईमानदार पुलिस ऑफिसर है और इस एरिया का न्यू ऑफिसर सिलेक्ट किया गया है फिर मैं शायद खून खराबे पर भी उतारू होने पर मजबूर हो गया होता तो प्रशांत के साथ साथ उसके बाप के लिए भी मैने कब्र खोद दी",😈🤠 रहस्यमय तरीके से अब कहते हुए तेजवंत सहगल ने मुस्कुराहट अपने चेहरे पर लाई।
",बाप", उन तीनो ने अकचकाते हुए कहा एक साथ।
हां! बाप 😈🤣", अस्पष्टता से तेजवंत ने कहा और फिर मुट्ठी जकड़ते हुए हंसने लगा।
तीनो एक दूसरे का मुंह ताकने लगे।
जब मीनाक्षी प्रेगनेंट थी तभी गायत्री के पैर में पैरालिसिस हुआ था और वो भी प्रेगनेंट थी लेकिन उसका बच्चा मर गया जो लड़की थी अब मीनाक्षी का बेटा इस दुनिया में आया और संजोग देखो तब सूर्यकांत अर्जेंट मिटिंग्स के चलते हॉस्पिटल पहुंचने में 2 घंटे लेट हो गया था। मीनाक्षी बेहोश हो गई थी और अब मेरा मन उसके बेटे पर आ गया और फिर मैंने सोचा कि इसे अपना बेटा बना लूं 😈 मैंने मौके का फायदा उठाकर नर्स को पैसे के लालच दिए और बच्चा गायत्री के बगल में मैने लिटा दिया और कहा कि ये हमारा बच्चा है और मीनाक्षी का बच्चा इस दुनिया में आने से पहले ही चल बसा 😎 उसने भी मान लिया। गायत्री के मेडिकल्स रिपोर्ट आए तो पता चला कि वो अब व्हील चेयर के सहारे ही जी सकती हैं और अब वो मां भी नही बन सकती हैं कभी तो अब मैन मीनाक्षी के पास नर्स को भेजा और उससे कहलवाया कि उसका बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ था 😑 रोने धोने के बाद उसने भी ये बात मान ली। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद दोनो देवरानी जेठानी घर आई और गायत्री ने नामकरण किया प्रशांत क्योंकि उसका स्वभाव एकदम प्रशांत महासागर के जैसा शांत था अफसोस है कि उसे इस कदर मुझे मारना पड़ा ☹️ लेकिन इसमें भी उसी कि गलती है तो जो भी किया मैंने सही किया है",😎 तेजवंत सहगल ने जहरीली मुस्कुराहट अपने चेहरे पर लाई।
फिर मीनाक्षी दोबारा मां क्यो नही बन पाई आजतक?", राका ने कहा, अक्सर उसने सूर्यकांत और मीनाक्षी को देखा था ।
वो भी उन दोनों कि ही गलती है जिसकी वजह से वो आजतक बांझ नही फिर रही हैं", सहगल ने कहा 🙂।
वो कैसे?", निरुवेद ने कहा।
उस समय मैं डिप्टी कमिश्नर बनने कि तैयारी में जुटा हुआ था और एक कंपनी में बतौर मैनेजर का काम किया करता था इनकॉम इतनी कम थी कि घर का खर्च मुश्किल से चल पाता था", तेजवंत सहगल के चेहरे पर कड़वाहट नजर आई।
इसलिए तुमने हमारे धंधे में उतरना ही ठीक समझा और फिर डिप्टी कमिश्नर बनकर ड्रग्स सप्लाई करने में हमारी मदद करने लगे, ड्रग्स के कारोबार को डिप्टी कमिश्नर बनकर करने लगे जिससे किसी को हम पर आजतक शक नहीं हुआ है और ऐशो आराम कि जिंदगी जीने को मिल रही हैं वरना मेहनत करते करते मर जाते लेकिन न हमारे पास पॉवर होता न ही बंगला -गाड़ी और न ही ये ऐशो आराम कि जिंदगी भई",😎😈🤠 शेषाद्री ने कहा तो बाकी तीनों ने हंसते हुए हामी भरी।
तो खैर मैं तुम दोनों से मिला और ड्रग्स सप्लाई करने में जुट गया फिर डिप्टी कमिश्नर बना तभी मैंने इस बंगले को खरीदा पूरे 300000₹ में लेकिन मीनाक्षी और सूर्यकांत लालची हो गए और बंगले से जुड़े कागजात चुरा लिया ताकि वो दोनो इस आलीशान बंगले को अपने नाम कर ले और हमे धक्के मारकर घर से बेदख कर दे 😠,, लेकिन मुझे उन दोनों कि चाल समझते देर न लगी, मीनाक्षी प्रेगनेंट हुई दूसरी बार तो मैंने उसके प्रेगनेंसी के 11वे दिन ही उसके खाने में दवा मिला दी जिससे उसका बच्चा मर गया उसके पेट में ही और बच्चदानी खराब हो गया 😈 अपने दूसरे बच्चे को खोने के बाद वो दोनो टूट गए और अब प्रशांत से उन्हे लगाव होता चला गया 😈😎🤠
फिर दिल्ली गया तुम्हारे साथ और वहा जज बनके मैंने बहुत से ड्रग्स रैकेट से जुड़े हुए लोगो को निर्दोष साबित कराया या, फिर 2 साल कि मामूली सजा सुनाई और उनसे हाथ मिलाया जिससे वो लोग भी मेरे काबू में आते चले गए फिर जैसा कि पता है तुम्हे प्रशांत ने अपने पसंद से शादी करने के लिए मुझसे फोन कॉल मे अनुमति मांगी और शादी में शरीक होने के लिए बुलाया । फिर मैं यहां सबका दिल रखने के लिए आ गया और सीता को देखते ही आसक्त हो गया 🥰 उसका चेहरा,उसकी आवाज सबकुछ भाने लगा और दिल हार गया मैं ये भी एक वजह है प्रशांत और सूर्यकांत को मारने के पीछे। जज के पद से इस्तीफा दे दिया और यहां वकील का काम हाथ में ले लिया और सीता पर नजर रखने लगा लेकिन पता नहीं वो सीता उन विधवाओं को लेकर कहा गायब हो गई हैं", अंत में तेजवंत सहगल के चेहरे पर उग्रता, क्रोध के भाव आते -जाते दिखाई दिए।
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