( अबतक आपने पढ़ा है कि सीता और प्रशांत कि शादी हुई फिर कुछ महीने बाद ही प्रशांत और उसके चाचा सूर्यकांत सहगल दोनो ही एक साथ दुनिया को अलविदा कह गए। दूसरी ओर लॉयर मिस्टर तेजवंत सहगल एक अपराधी के फेवर (पक्ष) से अपनी ही समधन संध्या जी के पति और बेटे मोहित के हत्यारे को बचाने के लिए अदालत में जज के सामने मिथ्य साक्ष्य प्रस्तुत कर रहे हैं और बेगुनाह राधे को फांसी कि सजा दिलाने के लिए एडी चोटी का जोर लगाया जा रहा है।)
अध्याय:- 7
ये वे लोग है जो वहा पर मौजूद थे", मिस्टर तेजवंत सहगल ने अब उन 5 से 6 लोगो कि ओर इशारा करते हुए कहा और कटघरे में खड़ा कराया।
साहब! हमने देखा था कि ट्रक ड्राइवर ने ही लापरवाही से या फिर जान बूझकर कार को टक्कर मारी है हम वहा पर मौजूद थे ", उनमें से एक ने कहा फिर उसी प्रकार बाकियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी।
तमाम सबूतों और गवाहों को मद्दे नज़र रखते हुए ये अदालत राधे को फांसी कि सजा सुनाती है और मिस्टर दुबे जी जो कि राधे के साथ मिलकर बेगुनाह निरुवेद को फसाने का षड्यंत्र रच रहे थे उन्हे भी 5 साल कि कैद में रखा जाए", कहते हुए जज साहब ने पेन कि नोक तोड़ दी और फिर वहा से उठकर चले गए।
सारे लोग भी आपस में बाते करते हुए बिखर गए।
सीता ने चाची और मां संध्या जी को सख्त लहजे में कहा कि वे दोनो उसके पीछे पीछे चले बिना सवाल किए।
राधे और मिस्टर दुबे जी वकील साहब दोनो के हाथ में हथकड़ी लगाई गई।
शांता और उसके दो बच्चे रोते बिलखते रहे।
निरुवेद शुक्ला और तेजवंत सहगल ने हैंड शेक किया और वहां पर एक बैंच में बैठ गए और आपसी बाते करने लगे।
क्यों सीता तुमने हमे यहां आने के लिए कहा?", 🥺 संध्या जी से रहा न गया।
हां, और क्यों तुमने हमे तेजवंत जी से कुछ कहने नही दिया और यहां पर ले आई ",🥺 चाची मीनाक्षी ने उलझन से भरे स्वर में कहा।
आप अपनी जगह सही सोच रहे हैं और अभी आपको लेकर मुझे किसी सुरक्षित स्थान में पहुंचना है क्योंकि यहां पर रहना हमारे लिए ठीक नहीं है",😔 समझाते हुए सीता ने कहा।
उसके उलझन से भरे हुए चेहरे और बातो को समझते हुए दोनो ने इस वक्त हां में सिर हिला कर उसका समर्थन किया।
निरुवेद शुक्ला वहा से चले गए अपने ब्लेक मार्शल में बैठकर। इधर तेजवंत सहगल सीता और उन दोनों को ढूंढने लगा उसे समझ में नहीं आ रहा है कि वे तीनों बिना उसे इत्तिला दिए कहा चली गई है?😑
आपका काम तो हो गया और अब आज रात पार्टी आपको देनी ही होगी " , इंस्पेक्टर राका ने इतराते हुए कहा।
लेकिन पार्टी तभी मिलेगी जब मेरी एक ख्वाहिश पूरी होगी",😈 तेजवंत सहगल ने गॉगल्स निकालकर फूंक मारते हुए कहा।
कौनसी ख्वाहिश?",🤔 राका ने कहा।
सीता,,,,!"😇 तेजवंत सहगल के होठों पर कुटिल मुस्कान तैर गई और गोल्ड से कवर किए गए किनारों वाले गॉगल्स को लगाते हुए नजरे दौड़ाने लगा।
वो,,, तो आपकी बहू है ",🤔🤨 अब तक शांत खड़े हुए शेषाद्री ने कहा।
हां, दुनिया कि नजर में",😑 तेजवंत सहगल ने कहा तो दोनो एक दूसरे को देखने लगे उनके सर पर से होते हुए तेजवंत सहगल कि बात निकल गई दोनो को ही समझ में नहीं आया।
ये सही जगह नही है बाते करने के लिए तो फिलहाल मेरे घर चलो,, आज से मैं आजाद हो गया हूं कोई भी नहीं है मुझे रोकने टोकने वाला,,"😈😇 तेजवंत सहगल ने गर्वीली मुस्कुराहट अपने चेहरे पर लाते हुए कहा तो दोनो ने भी मुस्कुरा कर हामी भर दी।
जाकर यहां आसपास मे देखो, वो तीनो कहा गई हुई है विधवा औरते ,, उन्हे दूसरे कार से घर ले आना?",😑😈 तेजवंत सहगल ने अपने दो गार्ड्स को कहा फिर व्हाइट कार में राका और शेषाद्री के साथ सवार हो गया फिर ड्राईवर ने कार को सहगल मेंशन कि ओर दौड़ा दिया।
दोनो गार्ड्स ने अब अपना काम शुरू किया।
क्यों आई है आप यहां पे,,,? जो कुछ भी हुआ है उसमे मेरे पति कि बिल्कुल भी गलती नहीं है फिर भी उन्हें जेल भेज दिया गया और आप लोगो ने वहा हमारा तमाशा देखा और अब यहां मेरे घर भी आ पहुंचे ",😲😭🥺☹️ शांता ने रोष प्रदर्शन करते हुए कहा।
आप को मैं सब कुछ बता देना चाहती हूं जो हमारे साथ अन्याय हुआ है और आपके साथ भी किया जा रहा है और रही बात आपके पति कि,,तो अब उन्हे मै खुद आपसे मिलाऊंगी और ये मेरा वादा है आपसे🙂", सीता ने ढांढस बंधाते हुए कहा।
लेकिन उन्हे तो फांसी,,,😭" , कहते हुए उनके शब्द हलक में ही अटक गए और आंसुओ ने नेत्रों को आर्द्र कर दिया।
संध्या जी, चाची और सीता तीनो ने राधे के घर का एड्रेस मालूम किया और अब उसके घर पर आ गई फिर शांता भी अपने दो बच्चों के साथ अपने घर पहुंच आई पैदल चलते हुए।
चलिए आप घर में प्रवेश कीजिए और अपना प्रयोजन सविस्तर मुझे बताइए", शांता ने अपने आप को संभाल लिया और उन तीनो से कहा।
पक्का मकान जो दो कमरे और एक किचन का है और छोटा सा बरामदे जैसा जगह है किचन से सटा हुआ वहा पर सोफे सलीके से रखा गया है।
यहां बैठिए", शांता ने सोफे कि ओर इशारा किया फिर तीनों ही बैठ गए।
आप जैसे आलीशान बंगले में रहने वाले लोगों को यकीनन यहां खासी मशक्कत करनी पड़ सकती हैं लेकिन इस घर से ही हमें गुजारा करना पड़ता हैं और हम बहुत खुश थे अपने पति और बच्चों के साथ लेकिन न जाने किसकी नजर लग गई हमारी खुशियों को जो इस कदर अन्याय किया जा रहा है हमारे साथ", सीता को देखते हुए शांता ने कहा और उसके दो बच्चे मासूमियत से अपनी मां के साड़ी का पल्लू पकड़े हुए उन तीनो को अनेकों भाव भंगिमा के साथ निहार रहे है।
आप भी बैठिए और एक बात कि आपका घर भले ही छोटा या असुविधा युक्त है लेकिन इस घर में जो अपनापन, शांति और सुकून मिल रहा है वो आलीशान बंगले में नौकर- चाकर के रहने के बावजूद भी नही मिलता है और वह बंगला ही एक दिन जेलखाने जा काटने को दौड़ता है जिसे आप अपनी समझ में महत्व दे रही है", सीता ने समझाते हुए कहा।
यहां आओ", संध्या जी ने उन दोनों बच्चो को पास बुलाते हुए कहा।
दोनो ने अपनी मां को देखा तो शांता ने मुस्कुरा कर उन्हे उनके पास जाने के लिए कहा।
संध्या जी कि और चाची कि गोद में बैठ कर दोनो बच्चे मचलने लगे।
कुर्सी पर शांता बैठ गई।
मैं आप सबको कुछ बताने वाली हूं जिसे सुनने के लिए तैयार हो जाइए और दिल पर पत्थर रख लीजिए शायद आपको मेरी बातो पर यकीन न हो लेकिन ये सच है जिसे मैंने सुना है और रिकॉर्ड भी किया है टेप रिकॉर्डर में", सीता ने अपने एक एक शब्द पर जोर देते हुए कहा।
बच्चे तो मचलते हुए बैठे हुए अपनी ही दुनिया में खोए हुए हैं लेकिन उन तीनो को सीता कि बाते अंदर तक झकझोर गई।
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