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(1) वो मैं ही हूं....

12 सितम्बर 2021

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"यह कहानी काल्पनिक है और इसका किसी दूसरे व्यक्ति विशेष से कोई संबंध नहीं है अतः आप इस कहानी को अपने मनोरंजन के उद्देश्य से पढ़िएगा और कोई भी गलती नजर आये तो आप बेशक समीक्षा में हमे हमारी गलती के लिए सलाह भेज सकते है धज्यवाद।"





                           अध्याय:-1


प्लीज,,, मुझे छोड़ दो, माफ कर दो 😟 🥺 जैसा तुम कहोगी वैसा मै करूंगा 🙏🏻🙏🏻 प्लीज", एक शख्स काली अंधियारी रात में पीपल के पेड़ के नीचे धरती को छूती हुई जटिल लटाओं में अपने आप को छुपाते हुए हाथ जोड़े किसी महिला को कह रहा हैं।
क्यों करू माफ 👿 जब मैं आई थी तुम्हारे पास तो याद है क्या कहा था तुमने और मेरे साथ क्या किया था तुमने, भूल गए हो या नाटक कर रहे हो भूलने का😠😠", उस महिला के सुर्ख होठों से खून बह रहे हैं हाथ- पैर और पूरे शरीर में कम्पन्ता मौजूद हैं बाल बिखरे हुए हैं और चेहरे पर गुस्से, नफरत और लाचारी के मिले जुले भाव साफ नजर आ रहे हैं।

11 महीने पहले.......

आपकी बहू तो लाखो में क्या करोड़ों में भी एक है 🤗 वह संस्कारी भी है तो अब बुढ़ापा तो आसानी से कट जाएगा आपका, समझो आपका प्रमोशन हो रहा है", एक नीली चमकदार अभ्रक वाली साड़ी को सलीके से पहनी हुई करीबन 32 साल कि महिला ने गायत्री देवी सहगल से कहा तो जवाब में उन्होंने मुस्कुरा कर हामी भर दी अपने व्हील चेयर पर बैठे बैठे।
ये हैं सहगल मेंशन 🏙️ रात के अंधेरे में एक अलग सा नजर आने वाला सहगल मेंशन का बंगला बेहद खूबसूरत नजर आ रहा है और यहां एकमात्र अपने एकलौते बेटे कि शादी को धूम धाम से मना रही गायत्री देवी सहगल जो विकलांग है व्हील चेयर पर बैठी हुई है और नजरे गेट से होते हुए आ रही कार को देखकर हर्षित हो रही है।
मिस्टर तेजवंत सहगल (गायत्री देवी सहगल के पति और रौबदार आवाज के मालिक  जिन्हे हाल ही में न्यायाधीश का पद प्राप्त हुआ है वे पहले डिप्टी कमिश्नर हुआ करते थे। अपने बेटे प्रशांत सहगल कि शादी के वजह से आज ही यहां आए हैं वरना खुद इनकी पत्नी इनके दर्शन के लिए तरस जाया करती है और प्रशांत के साथ ही जीवन व्यतीत किया करती है। 
वडोदरा 1,306,227(जनसंख्या) ,,,
जाने माने डिप्टी कमिश्नर तेजवंत सहगल जाने माने हस्ती है वडोदरा में उनका बंगला बेहद खूबसूरत और बड़ा कीमती है लेकिन वो ज्यादातर दिल्ली में ही रहते है और क्यों वे वहा दिल्ली में रहते हैं इस सवाल को पूछने का दम न उनके एकलौते बेटे मे है न ही उनकी पत्नी में,फिर अब तो दिल्ली के  उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रायुक्त किए गए हैं तो वे अब वडोदरा कम ही आते हैं यूं कहे तो साल में कभी कभार ही उनका यहां आना जाना होता है अपनी पत्नी और बेटे को एक नजर देखने के बाद वो एक मिनट की भी देर किए बिना जैसे दिल्ली से आते हैं वैसे ही ठीक चले भी जाते है।)


शानदार चेयर को स्टेज के दाहिने साइड रखा गया है और तेजवंत सहगल एक पैर के ऊपर दूसरा पैर रखकर सिगरेट के कश लेते हुए आसिन हुए हैं और नजरे गेट पर है।
तेजवंत सहगल के सगे छोटे भाई ( सूर्यकांत सहगल) और उनकी पत्नी ( मीनाक्षी देवी सहगल) आगे बढ़ कर कार के दरवाजे के पास जाकर खड़े हो गए।
मीनाक्षी के दाहिने हाथ में पूजा कि थाल है और चेहरे पर मुस्कुराहट सजी हुई है।
मीनाक्षी की कोई संतान नहीं है जिसके कारण वे प्रशांत को ही अपना बेटा मानती हैं और अब यही पर सहगल मेंशन में सैटल हो चुकी हैं करीबन 2 महीने पहले से।
गायत्री देवी को भी अब मीनाक्षी के आने से सहारा मिल गया है और दोनों ही सगी बहनों के जैसे प्रेमपूर्व रहती हैं।
सूर्यकांत सहगल यानी कि तेजवंत सहगल के छोटे भाई का अपना डायमंड एंड गोल्ड ज्वैलरी का शोरूम है ।
आखिरकार सारी रस्में अदा करने के बाद नई नवेली दुल्हन का सहगल मेंशन में पदार्पण किया गया।
बाहर और अंदर दोनो ही ओर से बंगले को बेहद खूबसूरत ढंग से सजाया गया है।
अब हॉल में लाल मखमल कि गद्देदार बिछी हुई कालीन में आए हुए मेहमान और नई नवेली दुल्हन, प्रशांत को एक ओर बिठाया गया। सामने चांदी के बर्तन में लाल रंग के पानी को भरा गया और मीनाक्षी भी दुल्हन के बगल में बैठ गई।
ये सारा दृश्य तेजवंत सहगल एक चेयर पर बैठे हुए देख रहे हैं।
यह शादी प्रशांत ने अपने मन से की है यूं कहे तो आजकल कि भाषा में प्रेमविवाह जिसमे उसके चाचा और चाची के साथ साथ मां ने भी उसका पुरजोर समर्थन किया है और तेजवंत सहगल तो दिल्ली में थे तो उनसे फोन कॉल पर प्रशांत ने मंजूरी हासिल कर ली कि वो एक लडकी को पसंद करता है और शादी उसी से करना चाहता है जिसे सुनकर तेजवंत सहगल को कोई खास आश्चर्य नहीं हुआ और उन्होंने हामी भरने के बाद कॉल कट कर दिया। चाचा और चाची के साथ ही प्रशांत अपनी प्रेमिका का हाथ मांगने उसके पीहर गया था।
लड़की का नाम है सीता एकदम शांत स्वभाव, सादगी भरे चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट, बड़ो का आदर सम्मान करने वाली और एक आज्ञाकारी पत्नी में जो गुण होते हैं वो सब सीता में ऐसे समाहित है जैसे जल में मिश्री समाहित होकर पानी कि मिठास बढ़ा दिया करती है ठीक वैसे ही सीता को देखकर हर कोई बेशक जान  सकता हैं कि वो कितनी अच्छी संस्कार वाली है इन्ही गुणों के कारण ही तो प्रशांत ने उसे अपनी जीवन संगिनी के रूप में स्वीकार किया है।



बेहद खूबसूरत सीता को देखकर ही सारे मेहमान उसकी तारीफे कर रहे है और सीता पलके झुकाए बैठी हुई हैं प्रशांत के बगल में।
तो देर किस बात कि है 🤗 चलिए अब अंगूठी को डालिए आलता (लाल रंग के पानी से भरे हुए चांदी के पात्र )में", एक पड़ोसन कि बेटी ने उत्सुकता से कहा।
अब मीनाक्षी ने मुस्कुराते हुए अंगूठी आलता में डाल दिया और दो मिनट तक उसी मे हाथ घुमाने के बाद बोली", चलो देखते हैं कि मेरा बेटा जीतता है या मेरी बहु जीतती है आज इस अनोखे से खेल में 🥳।
सारे मेहमान बड़े गौर से देखने लगे।
अंगूठी को ढूंढते हुए प्रशांत और सीता के हाथ एक दूसरे से स्पर्श कर जाया करते जिससे दोनो ही ठगे से रह जाते है।
अब प्रशांत ने अंगूठी ढूंढ ली तो सारे लोग तालियां बजाने लगे।


यू ही यह खेल समाप्त हो गया और अंत में सीता कि जीत हुई।




************


                          अध्याय: -2




अब तेजवंत सहगल अपने दिल्ली जाने की तैयारी में जुट गए।
प्रशांत और सीता कि शादी को तीन दिन ही हुए हैं लेकिन दोनो ही अपने रिश्ते को और घर को इस संभालने में इस कदर लगे हुए है कि कही भी कोई गलती कि गुंजाइश तक नसीब न हो।
आज रात तेजवंत सहगल यहीं अपने रूम में सोने वाले हैं और अभी डिनर का समय नजदीक आ रहा है।
चाचा - चाची दोनो ही ज्वैलरी शोरूम में काम के सिलसिले से गए हुए हैं और अब पक्का अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे रात को ही आयेंगे।
तेजवंत डायनिंग टेबल पर अपने खास चेयर पर आसीन हुए फिर अपने ब्लेक जीन्स वाले पैंट के दाहिने साइड के जेब से महंगे ब्रान्ड वाले  सिगरेट के पैकेट को निकालकर उसमें से एक सिगरेट को हाथ में पकड़कर उन्होंने अपने मुंह तक पहुंचाया ही था कि उसे दरवाजे से यही पर आ रही नई बहू सीता लाल साड़ी के  घूंघट से मस्तक को ढके हुए सीता माता कि याद को ताजा करती हुई प्रवेश लेती है। हाथ में ब्राउन कलर के बड़े से ट्रे पर प्लेट में पकवानों को सजाए हुए नजरे झुकाए चली आई डायनिंग टेबल पर और प्लेट को सलीके से रखने लगी।
एक मिनट के लिए तो तेजवंत के हाथ से सिगरेट फिसलने को हुआ लेकिन अगले ही पल उसने सिगरेट को लेकर अपने सुर्ख फटे हुए होठों के बीच रखा और सोने के वर्क से कवर किए गए लाइटर से सिगरेट को जला दिया। लाइटर को वापस जेब में रखने के बाद वो सिगरेट के धुएं को नाक से निकालते हुए सीता को देखने लगा।


अपना काम करने के बाद सीता किचन कि ओर बढ़ गई उसकी नजर सिर्फ अपने ससुर जी के पैर पर गई थी और फिर उसने नजरे झुका लेना ही सही समझा था।

थोड़ी देर बाद सारे घर वाले यानी कि गायत्री देवी, प्रशांत, चाचा और चाची सारे डायनिंग टेबल पर अपने अपने जगह पर आसीन हो गए।


बिना वक्त गंवाए सबने खाना खाया फिर आखिर में सीता भी खाने के लिए चेयर पर बैठी तो प्रशांत भी उसके बगल वाले सीट में जाकर बैठ गया और सीता को प्रेम पूर्वक खाना खिलाने लगा जिससे सीता के दिल कि धड़कन तेज गति से चल पड़ी और नजरे प्रशांत की नजरों से टकरा कर लुका छिपी का खेल खेलने लगी।


रात को सब अपने अपने रूम में सो चुके है और घड़ी ने रात के 11 बजा दिए।
तेजवंत के आंखो में नींद का नामोनिशान नहीं है उसका मन कर रहा है कि वो सीता को ही देखता रहे दिन- रात
, उसके चेहरे को हाथो से थामकर यूं ही उसे निहारे , उसके साथ ही अब जीवन व्यतीत करे ये सारे ख्याल उसके जेहन में आते जा रहे हैं जिसपर तेजवंत रोक नहीं लगा पा रहा है।


अपने रूम से बाहर निकल कर अब वो अपने बेटे बहु के कमरे कि ओर बढ़ने लगा।
इधर सीता और प्रशांत प्रणय मिलन के बाद निंद्रा में लीन हो चुके थे करीबन 10 बजे के आसपास।
खिड़की खुली हुई है जिससे हवाओ के झोंके आ-जा रहे है
पर्दे उड़ कर हिचकोले खा रहे हैं।

एक परछाई खिड़की पर दस्तक देने लगी और होठों पर कुटिल मुस्कान तैर गई।
होठों के बीच में सिगरेट को फसाने के बाद उसे लाइटर से जला कर अब वो सिगरेट के धुएं को उस कमरे के अंदर जाने के लिए कर रहे गुस्ताखी को देखकर भी अनदेखा करते हुए वो अपनी बहु को देखने लगा।

सहसा सिगरेट कि गंध सीता के पास भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा आई और सीता को अजीब सी बेचैनी महसूस हुई।
अचानक से सीता कि आंखे खुली तो खिड़की पर किसी परछाई के होने का उसे अंदेशा हुआ लेकिन अगले ही पल वो परछाई विलुप्त हो गई जिससे उसे लगा कि ये उसका मति भ्रम हो सकता हैं अतः वो फिर से निंद्रा कि आगोश में समा गई।


सुबह,,,,,

बहु एक कप कॉफी", हॉल में सोफे पर बैठे हुए हाथ में न्यूज पेपर और आंखो में गॉगल्स लगाएं तेजवंत सहगल ने बड़ी नर्म जुबान से आवाज लगाई।

चाचा - चाची, गायत्री देवी, प्रशांत और खुद सीता हैरान से रह गए इस आवाज को अकस्मात सुनकर।
बहुत दिनों बाद आज तेजवंत ने किसी से कुछ मांगा है वरना अधिकांशत: वे अकेले ही रहते थे।
क्या हुआ? आप सभी मुझे ऐसे क्यों देख रहे हैं?", तेजवंत का बदला हुआ रूप देखकर सभी कि नजरे उन पर से हट ही नहीं रही थी और अब तेजवंत ने न्यूज पेपर को टेबल पर रख कर उन सबकी ओर रुख किया।
गायत्री देवी के पास जाकर अब उन्होंने उनका हाथ थाम लिया और उनके पास ही नौकर से चेयर मंगा कर बैठ गए और अपने ससुर का आदेश सुनकर बिना वक्त जाया करे सीता कॉफी बनाने के उद्देश्य से किचन कि ओर बढ़ गई।
तेजवंत को यूं अपने करीब पाकर गायत्री देवी कि खुशी का कोई ठिकाना न रहा और आंखे बरसने को तैयार हो गई जिसे उन्होंने रोक ही लिया।

मुझे माफ करना गायत्री 🥺 आजतक मैने बस अपने बारे मे ही सोचा है,,, अपने हिसाब से जिंदगी जीता रहा बिना ये सोचे कि मेरी जिंदगी का एक अहम हिस्सा तुम भी तो हो और हमारा बेटा प्रशांत,,, मुझे अपनी गलती का अहसास हो रहा है और शायद अब मैं पूरी कोशिश करूंगा कि तुम दोनो को कोई शिकायत का मौका नहीं मिलेगा मेरी ओर से और अब से मैं यही रहने वाला हूं अपने परिवार के साथ", बोलते हुए तेजवंत सहगल ने मगरमच्छ के आंसू बहाने शुरू कर दिए जिन्हे गायत्री देवी ने सच के आंसू मान लिया और यही गलती चाचा और चाची के साथ साथ बेटे और बहू ने भी किया।




                      अध्याय:-3




अब तेजवंत सहगल गायत्री देवी के साथ और अपने परिवार के साथ रहने लगे।
यहां पर आने के बाद उन्होंने वकालत करने का मन बना लिया और अब प्रशांत ने भी चाचा और चाची कि बात मान ली फिर डायमंड एंड गोल्ड ज्वैलरी शोरूम का मैनेजर बन गया।
ऐसे ही कुछ दिनों के बाद एक खुशी वाले दिन ने सहगल मेंशन में प्रवेश किया।
उस दिन प्रशांत शोरूम में काम करके लौटा था घर और मां यानि कि गायत्री देवी के मुंह से सुना कि सीता कि तबियत ठीक नहीं था इसलिए चाची के साथ वो हॉस्पिटल गई है फैमली डॉक्टर के पास।

करीबन आधे घंटे बाद ही तेजवंत सहगल लौट आए और फिर नाश्ता करने के बाद अपने एक स्पेशल रूम कि ओर चले गए। उस रूम में जाने कि परमिशन किसी को नहीं है और सबसे मिस्टर सहगल ने कह रखा है कि इस रूम में वो अपने वकालत से जुड़े कागजात रखता है इसलिए बाकी लोग इस रूम से दूर रहे। मिस्टर सहगल के बर्ताव में मिलावटी प्यार और नरमी को देखकर सबको लगता है कि वे बदल गए है लेकिन मिस्टर सहगल का असली चेहरा तो उसे ही पता है जिससे मिस्टर सहगल का काला कारोबार चलता है।

उस रूम में दरवाजे को अंदर से बंद करके मिस्टर सहगल ने प्रवेश किया और लाइट ऑन कर दी।
मात्र एक ट्यूब लाइट जो रूम के बीचों बीच लगा हुआ है उसी कि रोशनी चारो ओर फैली हुई है जिससे उस रूम के चारो दीवारों में लगाए हुए पिक्चर्स झलकने लगे।

क्या हुआ है तुम्हे?", दरवाजे पर सीता को होले होले से चलकर चाची जी के साथ आते हुए देखते ही प्रशांत उस ओर बढ़ गया।
सीता को सहारा देते हुए वो अब सीता से कुशलछेम पूछने लगा तो अनायास ही सीता मुस्कुरा कर शरमा गई।

सोफे पर बैठा कर अब चाची ने प्रशांत से कहा कि वो एक ग्लास पानी ले आए।
प्रशांत प्यार से सीता को देखते हुए किचन कि ओर बढ़ गया।
गायत्री देवी व्हील चेयर को हाथो के सहारे चलाते हुए सीता के पास आ गई और उसके सिर पर हाथ फेरते हुए उससे कहने लगी:- ", क्या हुआ सीता? तुम्हारी तबियत तो ठीक है न?
तबियत तो अब सभी कि भली चंगी होने वाली है बात ही कुछ ऐसी है", चाची इतराते हुए बोलती हैं और सीता के बगल में जाकर बैठ जाती है।


क्या हुआ चाची बताओ न ?", परेशानी से भरे स्वर में प्रशांत ने कहा और पानी का ग्लास सीता के हाथ में देने के बाद अब वो भी बैठ गया। 
तू पापा बनने वाला है पगले", चाची ने उसके गाल को खींचते हुए कहा।
अब चाचा जी ने भी यह सब सुन लिया लेकिन वे वहा से चले गए और चेहरे पर परेशानियों ने धावा बोल दिया।

नहीं,,, ये नही हो सकता हैं,,, हरगिज नहीं" , लैपटॉप पर सीसी टीवी कैमरे का वीडियो देखते हुए मिस्टर सहगल उस साउंड प्रूफ और अपने स्पेशल रूम में चीखने लगा और शराब कि बोतल को दीवार पर सीता के बड़े से तस्वीर के ऊपर उसने फेंक दिया।

हॉल में एसी डक्ट में बड़ी सफाई से मिस्टर सहगल ने कैमरा फिट कराया है जिससे वो अभी अपने स्पेशल रूम से लैपटॉप के जरिए हॉल में हो रहे सारी बातें आसानी से यहां सुन और देख पा  रहा है। 

नहीं ये नही हो सकता मैं सीता को किसी भी कीमत पर हासिल करके ही रहूंगा", मुट्ठी जकड़ते हुए मिस्टर सहगल ने जख्मी नाग के जैसे फुफकार भरते हुए कहा।

अब यूं खुशी से भरे हुए दिन बीतते गए हैं।

2 माह बाद....

सहगल मेंशन के दरवाजे पर किसी कि दस्तक हुई डोर बेल कि आवाज अब गूंजने लगी।
आहिस्ता आहिस्ता से चलते हुए सीता ने जाकर दरवाजा खोला तो सामने अपनी मां को देखकर उसकी सांसे रुकने को हो आई।
गायत्री देवी मंदिर में पूजा पाठ में संलग्न हैं और चाची किचन में काम कर रही है।
चाचा और प्रशांत ज्वैलरी शोरूम में, मिस्टर सहगल अपने किसी पार्टनर से मीटिंग में कुछ डिस्कस करने के सिलसिले से अपने ऑफिस चले गए हैं सुबह 10 बजे से।

क्या हुआ मां? ये क्या हाल बना रखा है आपने ?", यूं अपनी मां कि इस स्थिति को देखते हुए सीता कि आंखे नम हो गईं।
सफेद साड़ी, मांग में सिन्दूर का लाल निशान लेकिन सिंदूर नही , गले में मंगल सूत्र नही, आंखे लाल सूजी हुई और हाथ कि चूड़ियां टूटने कि वजह से आधी से भी कम बची हुई है।


पिताजी कहा है? और मोहित वो भी?,,, बोलिए मां,,🥺 पिताजी और भाई कहा है" , अब सीता के सब्र का बांध टूट गया और उसकी आवाज बंगले में गूंजने लगी।
किचन से चाची और मंदिर से गायत्री देवी व्हील चेयर के सहारे सीता की ओर आने लगी और फिर अपनी समधन को यूं ऐसे जर्जर हालत में देखकर चाची और गायत्री देवी दोनो के हाथ पैर कांपने लगे।

एक दिन पहले,,,,,,,,,,

वडोदरा के एक हाइवे को कार से पार करते हुए सीता के पिताजी और भाई मोहित दोनो घर पहुंचने ही वाले थे कि शराब पीते हुए वैन चला रहे नसेड़ी कि गलती के कारण कार ड्राइविंग कर रहे मोहित ने कार और वैन कि टक्कर होने से पहले ही बचने कि कोशिश में स्टेयरिंग घुमाते हुए कार को दूसरी ओर मोड़ा ही था कि उस ओर से आ रहे ट्रक को देखकर उसने ब्रेक लगाया लेकिन वैन ड्राइवर ने लापरवाही से ब्रेक लगाने कि जगह मोहित के कार को ही जोर कि टक्कर मार दी और फूल स्पीड से वैन को दूसरे साइड सड़क कि ओर मोड़कर अब नौ दो ग्यारह हो लिया।
इधर ट्रक के चक्के कि ओर कार चली गई और हड़बड़ी के साथ  ट्रक ड्राइवर ने ब्रेकर को दबाया ही था कि जोर का धमाका हुआ और ट्रक से कार टकरा कर पलट गई और हिचकोले खाती हुई पास में ही चाय कि टपरी है उसी ओर लुढ़क गई।
शीशे टूट कर बिखर गए, कार के पुर्जे पुर्जे छिन्न भिन्न हो गए ये सब होते हुए देख रहे लोगो के तो रोंगटे खडे हो गए थे और शरीर कांप उठा।
ट्रक को कोई ज्यादा नुकसान ना हुआ लेकिन कार अब जर्जर हालत में तहस नहस हो कर रह गया और मोहित और उसके पिताजी दोनों ने ही दम तोड़ दिया 😢।
पुलिस स्टेशन तक यह खबर पहुंचा दी गई और फिर सीसीटीवी कैमरे के फुटेज से उस वैन और उसके ड्राइवर के बारे में भी पता लगाया गया।
सीसीटीवी कैमरा सड़क किनारे एक टेलीफोन बूथ के ऊपरी हिस्से पर फिट किया गया था।

एम्बुलेंस सेवा जल्द ही वहा पहुंच गई लेकिन का वर्षा जब कृषि सुखानी" वाली कहावत चरितार्थ हो चुकी थी अर्थात् दुर्लभ वस्तु यानि मनुष्य का जीवन चंद लम्हों में ही दूसरे के लापरवाही के चलते ऐसे मृत्यु को प्राप्त हो गई मानो वो था ही नही।
सिर, हाथ - पैर सारे शरीर से खून बह रहे थे दोनो को ही मृत घोषित कर दिया गया और फिर सीता कि मां को हॉस्पिटल बुलाया गया और फिर सीता कि मां ने अपने पति और अपने बेटे को जैसे ही इस निर्मम अवस्था में देखा तो मानो उनके प्राण देह को त्यागने के लिए आतुर हो उठे।
आंखो से आंसू बह निकले जिन्हे चाहके भी वे रोक नहीं सकती थी और अब उनकी लाश को पोस्टमार्टम करने के लिए भिजवा दिया गया।
फिर अंततः अंतिम संस्कार हेतु परिवार वालों को सौंप दिया जिसमे परिवार के नाम पर मात्र सीता कि मां संध्या जी ही जीवित हैं।

पड़ोसियों ने संध्या जी को संभालने कि पुरजोर कोशिश कि,,, एक पड़ोसी के बेटे ने जो मोहित के हम उम्र का है उसने दोनो पिता- पुत्र कि चिता पर आग लगाई सारी अंतिम क्रियाएं संपन्न कराई गई और पड़ोस कि एक विधवा भाभी ने संध्या जी को आश्रय दिया उनके दुख मे सहभागिनी बनी तब जाकर आज उन्होंने आपने आप को किसी तरह संभाला और अपनी बेटी सीता के ससुराल आ गई उससे अपने जीवन के इस दुखदायी घटना को साझा करने या यूं कहें तो दिल का बोझ हल्का करने।

हॉल मे सोफे पर संध्या जी को बिठाया गया फिर एक ग्लास पानी को पीने के बाद सामने अपनी बेटी को देखते हुए अनायास ही उन्हें अपने पति और बेटे का स्मरण हो आया और फिर से करुण अश्रु धाराएं बहने लगी।

अपनी सुनी कलाई, जहा पर कभी लाल चूड़ियों का घेरा हुआ करता था वो विजन निर्जीव सा प्रतीत हो रहा है,,, अपने एकमात्र बेटे को जन्म देते हुए जितनी खुशियां उसके दामन में आई थी आज वो तमाम खुशियां उसके दामन से यू चली गई ये देखकर उनका कलेजा फटा जा रहा हैं।

अब बुझे हुए मन से संध्या जी ने सब कुछ सीता को बताना शुरू किया।
प्रशांत भी आ गया लेकिन कुछ काम कि वजह से चाचा जी शोरूम में ही रुक गए हैं।
प्रशांत ने सीता और संध्या जी को देखा फिर संध्या जी के मुंह से वो सब सुना तो उसके चेहरे पर भी मातम के बादल छाने लगे।
सीता अब खुद को रोने से रोक न पाई और प्रशांत के कुछ कहने से पहले ही वो अपने रूम कि ओर बढ़ गई।
घर का माहोल एकदम से बदल गया।



तेजवंत सहगल, आई एम राईट", ऑफिस के अंदर आते हुए एक शख्स ने कहा।
येस, यू आर राईट प्लीज कम इन एंड सीट डॉउन ऑन द चेयर",मिस्टर सहगल ने कहा।

मुझे पता है कि आप मुझे निराश नहीं करोगे और आपको जितने पैसे चाहिये वो भी आपको मिल जाएंगे बस मुझे,,,," उस शख्स ने इतना ही कहा था कि बीच में ही मिस्टर सहगल ने उसे चुप होने का इशारा किया।
अपने चेयर पर से उठकर अब मिस्टर सहगल उस शख्स की ओर मुखातिब हुए और कहने लगे", बेशक आप निरूवेद शुक्ला है,, जिनके हाथो कल सुबह के समय वैन के लापरवाही पूर्वक ड्राइविंग करते हुए भी शराब पिने में महगूल थे फिर आपके वैन ने एक कार को टक्कर मारी और फरार हो गए आप वहा से , कार में मौजूद दो शख्स एक बाप और दूसरा उसका एकलौता बेटा दोनो ही दुनिया को अलविदा कह गए आपके कारण है न फिर टेलीफोन बूथ पर लगे हुए सीसीटीवी कैमरे के जरिए आपके वैन और आपका पता पुलिस वालो को चलने में आधा घंटा लगा और अब आप मुझे अपना वकील बनने के लिए तैयार करने और अपनी भाषा में कहें तो रिश्वत देने यहां आए हैं आई एम राईट मिस्टर निरुवेद शुक्ला?😒🤨", कहते हुए निरू वेद पर मिस्टर सहगल ने नजरे  टिकाई और अपने कोट को उतार कर अपने चेयर पर रख दिया फिर टेबल पर पैर रखकर बड़े अदब से अपने चेयर पर आसीन हो गया।


लेकिन आपको कैसे पता,, निरूवेद के गले में मानो हड्डी फंस गई हो और हाथ पैर कांपने लगे।
माथे पर पसीने की बूंदे उभरने लगी और टिशू पेपर से अपने चेहरे को पोंछने के बाद वे हैरानी से मिस्टर सहगल को देखने लगा।

हा,,,,,,हा,,, आ,,," ऊंची आवाज में हंसते हुए मिस्टर सहगल रावण के समान लगने लगा जिसे देखकर तो निरुवेद 😟😱 के हार्ट और किडनी फेल होने को आतुर हो उठे।


😈 डरो नहीं मिस्टर 😊 मेरे पास आपके लिए अच्छा उपाय है जिसका बंदोबस्त करने के लिए मुझे कुछ समय चाहिए और अपने एडवांस के पैसे भी जिससे मुझे और आपको ये सौदा मंजूर करने में आसानी हो बाकी आपकी मर्जी है क्योंकि सारे गवाह तो आपके खिलाफ ही है तो आपको यकीनन फांसी ही मिलेगी इसमें कोई संदेह नहीं है 😒 लेकिन मेरे अमाउंट पर आपने मुझसे हाथ मिला लिया तो आप बच सकते है वो भी बाइज्जत बरी यानि कि सारा इल्जाम दूसरे के कंधे पर मैं थोप सकता हूं अगर तुम साथ दो तो 🤠😎", ब्लेक गॉगल्स को आंखो पर से निकालते हुए मिस्टर सहगल ने कहा तो हैरानी से निरुवेद कि आंखे मानो अभी गिर जायेगी फर्श पर ऐसा लगा।



ये सब जो भी मैने कहा है ये सच है और यकीन न हो तो ये लो 🤠", कहते हुए टेप रिकॉर्डर को मिस्टर सहगल ने निरुवेद के हाथ में थमा दिया जिसमे उनकी बाते रिकॉर्ड हो गई हैं।

टेप रिकॉर्डर को एक बार सुनने कि मंशा से निरु ने उसे ऑन किया फिर उसे अब विश्वास हो गया कि मिस्टर सहगल वाकई उसे बचा सकता हैं।

थैंक यू सो मच मिस्टर सहगल 😊🤝 उसने मिस्टर सहगल से हैंडशैक किया और चेयर पर आसीन हो गया और उस टेप रिकॉर्डर को अपने जेब के हवाले कर दिया।

तो फिर तय हुआ कि कल कोर्ट में सुनवाई होने के समय मैं तुम्हारे फेवर में अपने फेक सबूतों को अदालत के सामने पेश करूंगा और तुम्हे बचा लूंगा लेकिन अभी मुझे मेरे आधे पैसे एडवांस में चाहिए ताकि मुझे भी तुम पर भरोसा हो सके और तुमने खुद देखा कि टेप रिकॉर्डर मैने तुम्हारे हाथ में दिया है ताकि तुम्हारे और हमारे सौदे पर कोई कालिख न लगे कि हम मुकर जायेंगे पैसे लेने के बाद
😎, तो अब मेरी जेब गर्म कर दो फिर देखना कि आग में से घी को बिना हाथ जले कैसे निकालता हूं", मिस्टर सहगल ने रौबदार आवाज में कहा और टेबल पर थपड़ियो से ताक, धीना, धीन करते हुए बजाने लगा।


बोलो कितना चाहिए?", 🤨", निरुवेद ने कहा।
90000₹ दे सकते हो क्या 🙃", सहगल ने भी कमान पर
तीर रखकर अब  निशाना साधते हुए कहा।

इतना तो नही है मेरे पास फिलहाल मैं 80000₹ दे सकता हूं यानी कि अभी एडवांस में 40000₹ बाकी के काम पूरा होने के बाद मिल जायेगा", सूखे हुए गले से आवाज अटक अटक कर बाहर आई फिर मुंह बन्द हो गया और नजरे मिस्टर सहगल को देखने लगी मानो वो कोई अप्सरा हो।


तू भी क्या याद रखेगा 😎 डील पक्की हुई(जेब से चेक निकालकर अब निरुवेद ने अमाउंट लिखा और सिग्नेचर करने के बाद मिस्टर सहगल के आंखो के सामने टेबल पर रख दिया) और जा जाकर आराम कर कर तुझे जज के सामने तगड़ा वाला नाटक करना है मेरे साथ मिलकर तो अभी खूब पेट पूजा कर के अपने शरीर को बैलेंस दे क्योंकि कल बड़ा वाला ड्रामा होगा और हमारी मुट्ठी में होगी जीत 😈", मुट्ठी को जकड़ते हुए मिस्टर सहगल ने कहा।
एक बार फिर हैंड शेक करने के बाद निरुवेद वहा से बाहर निकल गया।


उस ट्रक, वैन और कार कि टक्कर वाली खबरे समाचार पत्रों और न्यूज चैनल पर प्रसारित होने लगी हर समय और निरुवेद के पिक्चर्स के साथ साथ उस ट्रक ड्राईवर के भी पिक्चर्स देखने को मिले जिन्हे संध्या और सीता के साथ साथ चाची,चाचा, गायत्री देवी ने भी देखा है फिलहाल मे।
अब संध्या जी के साथ- साथ चाची और सीता चाहती है कि वकील होने के नाते और  ससुर होने के नाते मिस्टर तेजवंत सहगल संध्या जी की ओर से वकालत करे और गुनहगार निरूवेद शुक्ला को फांसी की सजा सुनाई जाए।

अभी इत्तेफाक से प्रशांत कार को पार्किंग साइड रखकर अपने डैड यानी कि लॉयर मिस्टर तेजवंत सहगल से मिलने ऑफिस कि ओर आ रहा हैं और जल्दबाजी में वो निरूवेद से टकरा जाता हैं लेकिन निरुवेद ने एक कैप पहन रखा था जो टकराने कि वजह से गिर जाता हैं जिसे प्रशांत उठाकर निरूवेद को देते हुए उसके चेहरे को गौर से देख लेता है पर वो कुछ कह या कर पाता इसके पहले ही उसके हाथ से कैप को लेकर निरू पहन लेता है और वहा से तेजी से चलते हुए निकल जाता हैं और बाहर खड़ी हुई मार्शल में बैठकर चला जाता है।





                            अध्याय:- 4



", डैड 🥺", ।
ऑफिस के दरवाजे पर दस्तक देने के बाद उसके मुंह से अपने आप भवावेश के कारण निकल गया ये शब्द।

कम इन एंड सीट डॉउन ऑन द चेयर", मिस्टर सहगल ने कहा।
इस वक्त उनकी पीठ प्रशांत की ओर है और वो चेयर पर बैठे हुए टेबल पर पैर रखकर सिर नीचे कि ओर झुकाएं हुए हैं।

आपको पता है कि सीता के पिताजी और भाई दोनों ही,,,😢😔🥺,,,, कहते हुए वो रुक गया सामने उसके पिता यानी कि मिस्टर सहगल ने उसके ओर मुख किया यानि कि रोलिंग चेयर को अपने बेटे कि ओर घुमाकर उन्होंने नजरे ऊपर कि ओर उठाई तो उनके आंखो में आंसुओ को देखकर प्रशांत के मुंह में अपने आप ताला लग गया।
उन दर्द से भरे हुए संदेश को प्रसारित करने कि मंशा जो तुम्हारे जेहन में छिपी हुई हैं उसे अब दोहरा कर मेरे हृदय को विदीर्ण न करो 😔 मै पेशेवर वकील हूं तो तुम्हे क्या लगता है कि वो सब मुझे अभी तक पता नही चला होगा जो तुम मुझे इस वक्त बताने के लिए यहां आए हो 🤨", कहते हुए वे उठ खड़े हुए और प्रशांत के बगल में जाकर खड़े हो गए।
सॉरी डैड बट इस वक्त आपको घर में होना चाहिए और हां मैं ये भी कहना चाहता हूं कि आप कल संध्या जी यानि कि मेरी सासू मां के फेवर में कोर्ट में अदालत के सामने वो सारे सबूत पेश करे जो पुलिस के हत्थे चढ़ चुके है जिससे उस कातिल निरुवेद शुक्ला को फांसी हो 😡,,, सीता के पिताजी और मोहित दोनो कि आत्मा को शांति मिले यहीं कहना चाहता था मैं ", प्रशांत ने गुस्से को काबू में करते हुए कहा और नम आंखों के किनारों को साफ करने लगा।


बेशक हम समधन जी के पक्ष में मतदान करेंगे और उस हत्यारे को फांसी के फंदे तक पहुंचाएंगे और तुम अब घर जाकर वहा कि स्थिति को संभालो मैं थोड़ी ही देर में घर पहुंच जाऊंगा,🙂 टेक केयर माई सन 😚 कहते हुए प्रशांत के माथे को चूम कर मिस्टर सहगल ने कुटिल मुस्कान अपने होठों पर लाई और छुपा भी लिया।

अगले पल थोड़े से अंधेरे से भरे हुए रास्ते से होकर प्रशांत घर यानि कि सहगल मेंशन बंगले में दाखिल हुआ।
बुझे हुए मन से चाची के साथ मिलकर सीता खाना बनाने में जुटी हुई है किचन में।
गायत्री देवी और संध्या जी अनमनी सी चुपचाप बैठी हुई है। कुछ कहने और कुछ सुनने के लिए अब बचा ही क्या है जो होना था वो तो हो गया बाकी इंसाफ मिलना बाकी है।
मिस्टर सहगल ने जो भी प्रशांत से कहा था ऑफिस में उसे गायत्री देवी यानी कि अपनी मां और सास को सुनाने के बाद किचन कि ओर चला गया प्रशांत।
चाची किचन से अब अपने रूम कि ओर चली गई।
हमेशा खुश रहने वाली, अपनी बातो से सबको हंसाने वाली यूं गुमशुम सी है ये देखकर प्रशांत को कितनी पीड़ा हों रही हैं ये तो सिर्फ वही जानता है।
क्या बना रही है आज,, आपके हाथ से खाने का मन है मेरा सीतू " , प्रशांत के मुंह से ये शब्द सुनने के बाद सीता को मोहित का स्मरण हो आया।
अक्सर सीतू कहकर वो सीता को चिढ़ाया करता था और पिताजी झूट मूट का नाटक किया करते थे मोहित को डांटने का ।
हा,,,,,,, आ ,,हा,,😂 अचानक से सीता को हंसी आ गई उन दिनों कि नोकझोक को याद करके।
प्रशांत भी अब हंसने कि कोशिश करने लगा लेकिन वो असफल रहा।
यूं 5 मिनट हंसने के बाद प्रशांत के सीने से लग कर अब सीता अपने हंसी में छुपी हुई दर्द हो बेतहाशा रोकर बहाने में लग गई।
वो अभी गर्भवती है ये सोचकर प्रशांत उसे शांत कराने लगा और उसे हॉल में सोफे पर बैठा दिया।
एक ग्लास पानी में थोड़ा शक्कर डालकर उसे मिक्स करके उसने सीता को पिलाया।
प्रशांत के हाथों यूं सीता को बच्चो कि तरह पानी पीते हुए मिस्टर सहगल दरवाजे से अंदर आते समय देखते हैं तो एक पल के लिए उन्हें लगता हैं कि वे ही प्रशांत के जगह सीता को पानी पिला रहा हैं।
गायत्री देवी और संध्या जी कि नजर मिस्टर सहगल पर गई।
प्रशांत ग्लास को लेकर किचन कि ओर जाने लगा तो साथ में सीता भी चली गई।
हाथ जोड़कर संध्या जी सोफे पर से उठकर खड़ी हुई ही थी कि मिस्टर तेजवंत सहगल उनके पास से ऐसे निकल गए जैसे हवा का झोंका निकलता है।
उनका ऐसा रूखा व्यवहार देखकर दोनो को दुख हुआ और फिर दोनों ने सोचा कि काम कि वजह से अभी वे ऐसा बिहेव कर रहे होंगे।


डायनिंग टेबल पर डिनर फूड कि प्लेटे सलीके से रखी जाने लगी ।
प्रशांत कुछ बात करनी है मुझे तुमसे", डायनिंग टेबल पर बैठे हुए प्रशांत को तीखी नजरो से देखते हुए मिस्टर सहगल ने कहा और वहा से चलकर सीढियां चढ़ते हुए टेरेस की ओर उन्होंने रुख किया।
आप खाइए मैं आता हूं", कहकर प्रशांत भी मिस्टर सहगल का अनुसरण करते हुए टेरेस पर जा पहुंचा।
काली आसमान जिसमे तारे, ध्रुवतारे, सप्तर्षि तारे दीपक के जैसे नजर आ रहे हैं यानि कि टिमटिमा रहे है वो आसमान अब डरावनी नजर आने लगी।

क्या बात है डैड?",🤨 प्रशांत ने कहा।
टेरेस के रेलिंग पर कोहनी टिकाये हुए तेजवंत सहगल कि पीठ प्रशांत के सामने है।
यहां आओ", कुटिल मुस्कान लिए उन्होंने कहा।
अब प्रशांत भी रेलिंग के पास खड़ा हो गया।
क्या दिख रहा है नीचे तुम्हारे आंखो में?",😈 गर्दन को घुमाकर मिस्टर तेजवंत सहगल ने तिरछी नजरों से प्रशांत को देखते हुए कहा।
इस वक्त वे डरावने अंदाज में प्रशांत को घुर रहे है जिससे प्रशांत भी कांप उठा।



नॉनसेंस सन 😈, मुझसे भला क्यों डर रहे हो 🙃", अब तो प्रशांत के एकदम नजदीक आकर मिस्टर सहगल ने कहा और भूतिया अंदाज में उसे देखने लगा।
वो,,,, वो आपकी,,,"😱 प्रशांत ने आज वो देख लिया जो आजतक उसने कभी भी नहीं देखा था और शायद अब कुछ ऐसा होने वाला है जिसके बारे में वो सोच भी नही सकता हैं।
मिस्टर सहगल के लेफ्ट आई👁️का रंग लाल दिख रहा है और राईट आई 👁️का ब्लेक  जो भूत प्रेत के जैसे नजर आ रहे है जिससे शायद आप भी डर कर कांपने में मजबूर हो जाते 😈।
ये लो 💳 मैं अक्सर इसे चबाया करता हूं 😈 इस च्विंग्म को चबाओ 😡 अब तो लाल आंखे खून कि तरह लाल नजर आने लगी।
डर के मारे कांपते हुए हाथ से उसने च्विंग्म लिया और मुंह में ठूंस दिया।
शाबास,,,,,,😈🤣🤣🤣 पागलों कि तरह दबी आवाज में वो हंसने लगा।
ये सब किसी ने देख लिया सहगल मेंशन बंगले के गेट से होते हुए अंदर आते हुए लेकिन अब उस पर भी मिस्टर सहगल कि नजर आखिरकार पड़ ही गई 😈।






                         अध्याय:-5

तडाक,,,,,, फर्श पर पानी कि ग्लास गिरकर टूट गई और कांच के टुकड़े बिखर गए जिनमें सीता कि परेशानियों से भरे हुए चेहरे को कोई भी साफ देख सकता हैं और किसी ने देख लिया और कुटिल मुस्कान अपने होठों पर लाकर उसे उसने बखूबी छुपा भी लिया है।

डायनिंग टेबल पर अपने सीट में जाकर तेजवंत सहगल बैठ गया और फिर सीता से खाना सर्व करने को कहा।
अब सारे लोग खाना खा लिए लेकिन प्रशांत और चाचा जी कि परछाई तक देखने को नसीब न हुई।
ये प्रशांत कहा है?", चाची ने सीता के उलझन से भरे चेहरे को देखते हुए तेजवंत सहगल से पूछा।
वो क्या है न कि सूर्यकांत का कॉल आया था फिर तुरंत प्रशांत घर से शोरूम जाने के लिए निकल गया, हमने उससे पूछा भी लेकिन उसने कूछ भी नहीं बताया", कहते हुए 😔अब उसने सीता को देखा और उसके बगल में जाकर खड़ा हो गया।
बेटी 🙂 चिंता करने वाली कोई बात नही है कल सुबह तक दोनो ही घर आ जायेंगे, जाओ खाना खाकर आराम करो", कहते हुए वे वहा से चले गए।
चाची ने खाना सर्व किया और सीता को खाना खाने के लिए कहकर गायत्री देवी के व्हील चेयर को सहारा देते हुए उन्हे उनके रूम कि ओर ले जाने लगी ।

आज पहली बार सीता का मन असहज और अशांत हो रहा है और प्रशांत के भोजन करने के पहले ही वो खुद खाना खाने बैठी है ये भी पहली बार आज हो रहा हैं।
बुझे हुए मन से वो खाना खाने लगी लेकिन इत्तेफाक से उसे खांसी आने लगी और ऐन मौके पर वहां पानी भी नहीं मिला उसे।
वो अपने जगह से उठती उससे पहले ही तेजवंत ने पानी का ग्लास उसके सामने रख दिया।
नजरे झुकाए हुए सीता ने पानी का ग्लास हड़बड़ी में पकड़ा और पीने लगी।
एक ही सांस में वो पानी पी गई।
मुझे पता है कि प्रशांत को यूं ऐसे नहीं जाना चाहिए था बिना तुम्हे इत्तिला दिए और कम से कम खाना खाकर भी जा सकता था 😒", कहते हुए वे सीता के बगल वाली सीट पर बैठ गए।
सीता ने हां में सिर हिलाया।

तुम कहो तो मैं अभी जाकर प्रशांत को घर लेकर आ सकता हूं 🙃", तेजवंत सहगल ने अब सीता के दाहिने हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा तो सीता असहज हो गई और उसने अपना हाथ झटक कर दूर कर दिया और वहा से उठकर जाने लगी।


जागते हुए सीता ने रात गुजार दी सुबह दरवाजे पर किसी कि दस्तक हुई।
चाची ने दरवाजा खोला। किचन में सीता नाश्ता बना रही है और नजरे दरवाजे पर ही टिकी हुई हैं।

नहीं,,,,,, ऐसा नहीं हो सकता,, 😱 चाची जी ने माथे पर हाथ रख दिए और मुंह से चीख निकल गई।
दरवाजे के बाहर दो स्ट्रेचर को पकड़े हुए हॉस्पिटल वर्कर्स है,,, दो लाशे खून से लथपथ नि:प्राण देह कि अवस्था में स्ट्रेचर पर लिटाई गई है और सफेद कफन से लाश को ढका गया है। स्ट्रेचर के बाहर एक लाश का हाथ लटक रहा है जिसके हाथ में ब्लू कलर कि वॉच है और वो प्रशांत सहगल है ये जानने के बाद चाची वही पर बेहोश हो कर गिर गई।


घर से अब करुण स्वर लहरियां खाती हुई आसपास के इलाकों मे गूंजने लगी ।
अब चाची जी को होश आया।
चाची के मांग के सिंदूर कि लाली अब हमेशा के लिए मिटा दी गई, चूड़ियां तोड़ी गई सफेद साड़ी में लिपटी हुई चाची और सीता दोनो को ही देख कर गायत्री देवी के हृदय में अपार पीड़ा उपजी यू कहे तो उन्हे दिल का दौरा पड़ा और वे भी बेहोश हो गई।

तेजवंत सहगल उस समय अपने स्पेशल रूम में लैपटॉप ऑन करके ये सब सीसीटीवी कैमरे में वीडियो प्लेयर से देखता हुआ मुस्कुरा रहा हैं।

एम्बुलेंस बुलाया गया ,,, सीता और चाची एक साथ विधवा हो गई। संध्या जी दोनो को ही संभालने में असमर्थ हुई जा रही है।
सूर्यकांत और प्रशांत को स्ट्रेचर सहित हॉल के फर्श पर रखा गया और फिर कफन को हटाने के बाद उन दोनों को देखते ही सीता, चाची और गायत्री देवी के साथ साथ संध्या जी ने आंखे बंद कर ली।


दोनो का एक्सीडेंट हुआ है दोनो एक ही कार में सवार थे और रात को इनकी ब्लैक कार हाइवे के किनारे  पेड़ से टकराते हुए खाई में जा गिरी और फिर कार का इतना बुरा हाल हुआ कि खुद पुलिस कर्मी भी थर थर कांप उठे थे।
हाथ पैर, गला, मुंह आदि के जगह पर बस मांस के लोथरे ही नजर आ रहे है दोनो का चेहरा और शरीर पूरा छत विछत हालत को प्राप्त हो चुका है।

बस उनके पहने हुए कपड़ो और टी शर्ट के जेब में रखी आईडेंटिटी कार्ड से ही उन दोनों का परिचय पुलिस को ज्ञात हुआ।

अचानक से सीता के पेट में गंभीर दर्द शुरू हो गया वो तड़प उठी।
सोफे पर उसे बैठाया गया लेकिन अगले ही पल उसका गर्भपात हो गया और खून से लथपथ हो गई।
अब तो सीता बेहोश होकर सोफे पर गिर गई।


उस दिन के बाद सीता और तेजवंत सहगल कि जिंदगी बदल गई।

अगले दिन तीन  जनाजे तैयार कराई गई 😭😭,,,
एक मिस्टर सूर्यकांत सहगल का , दूसरा प्रशांत सहगल का और तीसरा गायत्री देवी का।
हार्ट अटैक से गायत्री देवी का निधन हो गया हॉस्पिटल ले जाते समय।
सीता का भी गर्भपात हो गया, उसके बच्चे ने दुनिया में आने के पहले ही इस बेवफा दुनिया को अलविदा कह दिया 😢😢।

शमशान में तीन लाशों की चिताओ को मिस्टर सहगल ने आग लगाई अंतिम संस्कार किया।
चाची और मां के अलावा अब सीता का कोई नहीं है इस दुनिया में जो उसका साथ दे।
यह सब अचानक हुआ और फिर आज वो समय भी आ गया जब अदालत में संध्या जी को गवाही देनी है और निरुवेद से लोहा लेना है।

सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं कोर्ट जाने कि लेकिन सफेद साड़ी में लिपटी हुई सीता कि नजरे अपने ससुर को खोजने में लगी हुई है क्योंकि आज मिस्टर सहगल को संध्या जी के फेवर में या यूं कहें तो उनकी ओर से जज के सामने खड़ा होना है।



स्पेशल रूम में आज किसी को बुलाकर उससे मिस्टर सहगल बाते कर रहे हैं।
अब सीता से रहा न गया तो वो अब उस कमरे कि ओर बढ़ने लगी और शायद इत्तेफाक से उस कमरे का दरवाजा अंदर से लॉक भी नही किया है जिसके चलते मिस्टर सहगल और उससे बात करने वाले आदमी कि बाते कोई भी दरवाजे कि आड में सुन सकता हैं।


उस कमरे मे एक ट्यूब लाइट जल रही है जिससे ज्यादा न सही लेकिन हल्की रोशनी चारो ओर कमरे में बराबर फैली हुई है।
सीता भी अब उस कमरे कि ओर बढ़ने लगी और फिर दरवाजे के आड में छुपकर खड़ी हुई और कोहनी को दीवार से सटाए वो अंदर कमरे में खड़े हुए शराब पीते हुए आपस में बाते करते हुए उन दोनों को देखने कि कोशिश करने लगी।

एक एक वाक्य को गौर से सुनते हुए सीता के आंखो में आंसुओ का सैलाब उमड़ पड़ा, क्रोध, घृणा से आंखे लाल हो गई,सफेद साड़ी और बिना सिंदूर के सुने मांग को महसूस करते ही उसकी आंखो में खून उतर आए।

इधर संध्या जी और चाची भी सफेद साड़ी में लिपटी हुई निर्जीव नेत्रों से सीता कि राह निहार रही हैं और तेजवंत सहगल के बदले हुए बर्ताव से दोनो को ही अथाह पीड़ा का अहसास हो रहा हैं।

अपने एकलौते बेटे को खोने के बाद भी तुझे कोई दर्द महसूस नही हो रहा हैं ,🤔 ये बात मेरे भेजे में बैठ गई है", वो शख्स बोला।
तुझ से क्या छुपाना",😒😈 कहते हुए शराब के ग्लास को होठों पर लगाकर तेजवंत ने एक घुट पिया।
यार तू डिप्टी कमिश्नर हुआ करता था पहले तब मैं भी तेरा पार्टनर था तो जरा सी बात है कि तेरे नस नस से वाकिफ हूं मैं वैसे भी अपुन भी तो इहिच धंधा करता था और करता हैं यार और ईहिच कारोबार यानि कि मर्डर केस के वास्ते ही इंस्पेक्टर राका  को सारा इलाका पहचानता है रे", 🤣 वो इंस्पेक्टर राका अब शराब कि बोतल को उठाते हुए बोला और हंसने लगा।
सब बताऊंगा 😈 क्योंकि तेरा और तेरे एक पुलिस जादे का आज मुझे साथ चाहिये ", तेजवंत ने अब शराब के ग्लास को टेबल पर रखा।
सीता झट से अपने कमरे में गई और हड़बड़ी में कुछ खोजने के बाद वापस उस कमरे में दरवाजे के बाहर छुपकर खड़ी हो गई और उन दरिंदों कि बाते सुनने लगी।

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                            अध्याय:-6

20 मिंट्स बाद,,,,,,

अदालत में वो ट्रक ड्राइवर जिसका नाम है राधे अपने निर्धारित कटघरे में खड़े हुए हैं।
सारे वकील  अपने आसन पर विराजमान हैं।
सीता भी चली आई संध्या जी और चाची के साथ अदालत और फिर अपनी जगह पर बैठ गए।
सीता ने राधे को देखा और उसके चेहरे को देखकर ही सीता को समझने में देर नहीं लगी कि उसके परिवार को उजाड़ने में उस निरुवेद कि ही गलती है राधे का कोई कसूर नहीं है।

अब समय आ गया निर्णायक मोड़।
तेजवंत सहगल आए और फिर सबसे पहले वाली सीट पर बैठ गए।
काले कोट यानि कि एक वकील के लिबास में आज तेजवंत सहगल अलग ही नजर आ रहा है जिसे संध्या जी और चाची आश भरी निगाहों से देख रही है उन्हे लग रहा है कि वे उनके फेवर में है लेकिन सीता को पता चल चुका है कि आज क्या होगा यहां पर।
अब सारे लोग आ चुके थे तो अंत में जज साहब ने एंट्री लिया।
उनके सम्मान में सारे लोग खड़े हुए और औपचारिकताएं पूर्ण करने के बाद जज साहब अपने आसन पर विराजमान हुए।


मुजरिम को लाकर कटघरे में खडा किया जाए ", एक सेवक ने जज साहब से अनुमति लेने के बाद तेज आवाज में कहा।
अगले ही पल निरुवेद शुक्ला को मामूली सी या साफ कहे तो झूठी मूठी सख्ती के साथ लाते हुए वहां मौजूद लोगो को दिखाते हुए तेजवंत सहगल के दो चमचे नाममात्र के पुलिस इंस्पेक्टर राका और शेषाद्री ने एंट्री लिया।

एक कटघरे में निरुवेद को  खड़ा करके वो दोनो पुलिस इंस्पेक्टर राका और शेषाद्री अपने जगह पर जाकर बैठ गए।
राधे एक ट्रक ड्राइवर हैं जिससे वो अपने परिवार का पालन पोषण करता हैं और उसने अपने फेवर में एक वकील किया है जो तेजवंत सहगल को देखने के बाद कांप रहा है।


सीता, चाची और संध्या जी तीनो को ही पता चल गया है कि निरुवेद कि लापरवाही से ही सीता के पिताजी और भाई दोनों का देहांत हुआ था उस दिन भयानक कार दुर्घटना में।
इधर पैसे कि बदौलत निरुवेद शुक्ला ने तेजवंत सहगल को अपनी ओर कर रखा है जिससे अब उसे यकीन हो गया है कि वो बच जायेगा और जीत उसी कि होगी।

कारवाई शुरू कि जाए", जज साहब ने हुक्म दिया।

तो राधे आपको क्या कहना है अपना पक्ष रखिए", उसके वकील ने उससे  कहा।

जज साहब 😟 मै बेकसूर हूं, मेरे परिवार में दो दुधमुंहे बच्चे हैं और मेरी पत्नी शांता है जिनके लिए मैं ट्रक ड्राइवर का काम महज पांच साल से करता आ रहा हूं और आजतक कभी भी मैंने शराब पीकर गाड़ी नही चलाई है और न ही कोई भिड़ंत हुई है मेरे ट्रक से 🙏🏻🥺", उस समय अपने बच्चो और पत्नी शांता को कई लोगो के बीच बैठे हुए देखकर और उनके आंखो के आंसू को देखते हुए राधे ने हाथ जोड़कर कहा।
सीता जिस जगह तीसरी पंक्ति के कुर्सी पर बैठी हुई है ठीक उसके आगे वाली पंक्ति के एक कुर्सी में राधे के दो छोटे छोटे बच्चे बैठे हुए हैं और उसकी पत्नी शांता  अपने नेत्रों के गीले कोरो को साफ करती हुई एकटक राधे को निहारती हुए बैठी हुई है।
संध्या जी को ऐसा लग रहा है मानो भीष्म पितामह कि जगह वे भी उन्ही की तरह बाणों कि शैय्या पर लेटी हुई है और सौ तीर उसी के ओर बढ़ते आ रहे है उसके शरीर को सैकड़ों टुकड़ों में विभक्त करने कि मनोकामना लिए।

तीनो ही राधे के दो बच्चो और उसकी पत्नी कि हालत को बखूबी समझ रहे है और उनके सामने उन्हे अपना दुख नगण्य नजर आ रहा हैं।



जो चला गया वो तो अब वापस आने से रहा लेकिन जो वर्तमान में जीवित है और जिसके जीवित रहने से तीन लोग जीवित रह सकते है भला उस व्यक्ति पर झूठा इल्जाम क्यों लगाया जाए जबकि असली मुजरिम तो कोई और ही है,,,,,,, ये बाते मन और दिलोदिमाग में गूंज रही है सीता, चाची और संध्या जी के ।


तुम्हे क्या लगता है कि सिर्फ तुम्हारे ही बीवी बच्चे हैं?",😈 तेजवंत सहगल ने अपने वकील के लिबास में कोट को ठीक करते हुए कहा।
राधे के सामने कुटिल मुस्कान लिए अब तेजवंत ने अपनी वकालत शुरू करने का आगाज किया।

मेरे मुवक्किल (वह जो किसी को मुकदमा आदि लड़ने के लिए अपना वकील नियुक्त करता हो।) कि भी बीवी और बच्चे हैं तो इससे ये तो साबित नही हो जायेगा कि वो बेगुनाह है", तंज कसते हुए तेजवंत सहगल ने कहा।

तो आपको भी लगता हैं कि निरुवेद शुक्ला ही असली गुनाहगार है?",😒 राधे के फेवर में उसके वकील ने साहस बटोरते हुए कहा।

ऐसा बिलकुल भी नहीं है 😈", तेजवंत सहगल ने अपने गॉगल्स उतारकर कोट के जेब में रखते हुए और चलकर उस वकील के बगल में जाकर खड़ा होते हुए कहा।

संध्या जी और चाची दोनो हैरानी से तेजवंत सहगल के इस रवैए को हतप्रभ रह कर देख रही है।
मानो उनके हृदय को मुट्ठी में भर कर किसी ने मसल दिया हो💔।

मै अब अपने मुवक्किल से दरख्वास्त करता हूं कि वो भी अपनी बात निःसंकोच हम सबके सामने रखे या अपने मुजरिम होने को इकरार (स्वीकार) करे अगर आपकी परमिशन हो तो योर ऑनर' 🙂", जज (मजिस्ट्रेट) के सामने सिर झुकाकर तेजवंत सहगल ने नरम शब्दो से कहा।

परमिशन है ",✍️ पेन कि नोक को ऊपर कि ओर हिलाते हुए मजिस्ट्रेट ने कहा।


"माई लॉर्ड्स" मै एक बेहद ही सुलझा हुआ आदमी हूं और जब यह हादसा हुआ तो यकीन मानिए मैं वैन को एक चाय कि टपरी के बगल में पार्किंग साइड रखकर चाय पीने में मशगूल था और ये सब हादसा ट्रक ड्राइवर कि लापरवाही से हुआ है मैं तो खुद गवाह हूं इस घटना का ", निरुवेद ने झूठी हमदर्दी जताते हुए और आंखो में मगरमच्छ के आंसू लाते हुए कहा।


झूठ है ये मालिक,,,😭 ये सब साजिश है", टूटे हुए मकान कि तरह राधे ने हाथ जोड़कर अपने आप को संभालते हुए कहा।

योर ऑनर", मेरे पास सबूत है और जिन्होंने ये होते हुए अपनी आंखो से देखा है उन्हे मै अपनी गवाही देने के लिए आपके सामने पेश करना चाहता हूं अगर आपकी परमिशन हो तो माइ लॉर्ड्स",🤔 तेजवंत सहगल ने अपना सबसे बड़ा दांव खेला।
परमिशन है", मजिस्ट्रेट ने कहा।

इंस्पेक्टर राका और शेषाद्री को इशारा करने के बाद तेजवंत सहगल ने राधे के वकील को पैनी निगाहों से घुरा।

सकपका कर राधे के वकील अपने सीट पर जाकर बैठ गए क्योंकि चाहकर भी अब वे कुछ नहीं कर सकते है अतः उन्होंने हार मान ली।

चंद लम्हों में ही 5 से 6 लोग वहा अदालत में पेश किए गए और एक लैपटॉप को ऑन करके मजिस्ट्रेट या जज के सामने टेबल पर रखा।
5 मिनट में ही जज ने लैपटॉप पर उस वीडियो को देख लिया और अब तेजवंत सहगल ने वीडियो ऑफ करके लैपटॉप को यथा स्थान पहुंचा दिया।

माइ लॉर्ड्स, जब यह हादसा मुजरिम राधे के हाथों किया गया था तब टेलीफोन बूथ पर लगे हुए सीसीटीवी कैमरे में सारे दृश्य कैद हो चुके थे लेकिन किसी ने वो वीडियो चुरा लिया था और वो कोई नही बल्कि मेरे विरोधी पक्ष के मुवक्किल के पक्षधर वकील साहब मिस्टर दुबे जी ही है।
राधे को पता चल गया था कि वो कानून के हाथो बच नही पाएगा तो उसने अपने वकील से संपर्क साधा और फिर पैसे के लालच में आकर मिस्टर दुबे जो पेशेवर वकील है उन्होंने नकली वीडियो बनाकर पुलिस के हवाले कर दिया और असली वीडियो मेरे जाबाज इंस्पेक्टर राका और शेषाद्री ने मिलकर मिस्टर दुबे के घर से बरामद किया है जिसे हाल ही में मैंने आपको दिखाया है, मेरे मुवक्किल बेगुनाह है और उन पर फरेब इल्जाम लगाया गया था लेकिन अब सब कुछ साफ हो चुका है और फिर जिन दोनो कि जान गई है उनके घर के लोग भी तो यही चाहते थे कि इंसाफ मिले उन्हे तो अब मुजरिम आपके सामने है और मेरे मुवक्किल को बा - इज्जत बरी किया जाए यही आपसे निवेदन है मेरा और  जिनका इस दर्दनाक हादसे में मौत हुआ है वे मेरी बहु के पिताजी और भाई है अतः मेरे समधी जी और बेटे के समान मोहित के मौत का जिम्मेदार राधे ही है और संध्या जी ने भी इंसाफ ही मांगा है कानून से तो अब राधे को फांसी कि सजा सुनाई जानी चाहिए", कहते हुए अब अपनी सीट पर जाकर तेजवंत सहगल बैठ गए और सूखे हुए गले को फिर से गीला करने के लिए उन्होंने पानी बॉटल उठाया और ढक्कन खोल कर एक ही सांस में पानी पीने लगे।






आगे पढें आगे कि कहानी अगले अध्याय में।


5
रचनाएँ
वो मैं ही हूं....
5.0
एक साहसिक नायिका कि अनकही दास्तां।

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