शिलाओं पर नहीं उकेरी जाती प्रेमिकाओं की गाथाएं
न ही लगाए जाते है उनकी वीरता के लौह स्तम्भ
लेकिन वो करती है बलिदान खुद को
अनगिनत सपने ,स्वार्थ और प्रेमियों के आमोद प्रमोद के लिए,
बिसार दी गई प्रेमिकाएं होती है
क्वांटम लीप सिद्धांत की तरह
जो बिना दूरी तय किये पहुंचाती है प्रेमी तक
दुआएं और आशीष,
मंदिरों में चढ़ाती है प्रसाद,
टेकती है माथा दरगाह पर,
बांधती है मन्नत का धागा
जो खोलते है प्रेमी के जीवन में संभावनाओं के द्वार।
प्रेमिकाएं घर के सन्नाटे में निकलती है प्रेम पत्र
जिसे देखती है एकटक
फेरती है उन पर हाथ
लेती है उनसे उर्जा
और लौट जाती है फिर से अपने आज पर
क्योंकि प्रेमिकाएं पत्नियां भी होती है
प्रेमिकाएं बलिदानी होती है।