कभी जाड़ों का कुहरा लिपटा चंद्रोदय देखा है या नितांत रातों को बालकनी में बैठ चाय पी है ? तो फिर पतझड़ की रातों को अपने कमरे की खिड़की पर बैठ पेड़ो से झरती पत्तियां तो देखी होंगी.. नहीं।
अच्छा रात के दुसरे पहर बेघर सोता फुटपाथ ,सड़क पर उड़ती धूल ,टहनियां लिपटाए सोये पेड़ तो जरुर देखें है ?
नहीं, हुंह 😢
थोडा सा रूमानी हो जाये थोडा प्यार में जी जाएं।💐
आप ने चिडियों को चाह -चाहते हुए देखा है ?सुबह की ओस को पत्तों से गिरते हुए ? पेड़ो को हवाओं के साथ झूमते हुए ? कितने दिनों से नंगे पैर घास पर नहीं चले है . कितने दिन पहले अपने उगते हुए सूर्य को देखा था .क्या डालती शांम को पक्षियों को उनके घर जाते देखा ? सूर्य को उसके घर जाते हुए ? आप सब कहेगे नहीं इस भागती - दोड़ती जिन्दगी में फ़ुरसत कहाँ ।
रातों को घूमते हुए दोस्त के साथ किसी पुलिया पर यूं ही बैठे होंगे.... नहीं.... तो क्या खाक जीया और प्यार तो बिल्कुल भी नहीं किया।
अरे लल्लू ये भी कोई जीने में जीना है😊
कामकाजी ज़िंदग़ी को सुखद बनाने के लिए ये ज़रूरी है कि हम कुछ पल सुबह के लिए, बारिश देखने के लिए, ओस को गिरते हुए देखने के लिए चिड़ियों को चहचहाते हुए देखने के लिए निकले. कभी बारिश में भींग कर देखे ये ईश्वर कि वो नियामत है जो न सिर्फ ज़िंदग़ी देती है बल्कि ज़िंदग़ी सुखद बना देती है (कभी राजस्थान के जेसलमेर के सुदूर इलाकों में जाकर देखे) पेड़ो को नए पत्ते पहनते हुए देखे फूलों पर रंग उतरते हुए देखे आप का मन इंद्रधनुषी हो जायेगा क्यो कि ये रंग सिर्फ प्रकृति का ही नहीं आप के सपनों का भी होगा .
आप जब सब कुछ पा कर भी एकदम अकेले महसूस करे, ज़िदगी अगर रुकी, थकी. बेमानी लगे तो ज़रूरी है उसके खोए हुए अर्थ की तलाश करे जो शायद इस. भागती-दोड़ती ज़िदगी को सुखद बनाने का ये आसन सा रास्ता है।
आपने हृदय के तारों को इतना संकीर्ण मत करे।
पता नहीं क्यों प्रगति एवं ज्ञान के तथाकथित पराकाष्ठा के स्तर तक के विकास के बावजूद हम इन जीवों की अभिव्यक्ति को समझ नहीं पाए या समझना नहीं चाह।
पेड़ ,पौधे, आकाश ,पशु-पक्षी .वर्षा ,वन, नादिया जिस दिन से आप इनके हो गए उसी दिन आप बिना कुछ खोये अपने पूरे अस्तित्व को पा लेंगे. रूमानी हो जाये धीरज के साथ ,धीरज रखिये ज़िदगी का लुफ्त ले .
रातों को घूमते हुए दोस्त के साथ किसी पुलिया पर यूं ही बैठे होंगे.... नहीं.... तो क्या खाक जीया और प्यार तो बिल्कुल भी नहीं किया।
अरे लल्लू ये भी कोई जीने में जीना है☺
बदल दीजिए जिंदगी जीने के तरीके कुछ लम्हा निकली अपने लिए ... ये चाँद तारे आप से एकांत में मिलने को बेक़रार है।