खत्म हुआ दिन.... बातें तमाम हुई... उलझने मुस्कुराहटे... निंदा चापलूसी... खुशियां गम.... सुख दुख .... सब एक-एक करके आए... चेहरा दिखाएं मन भरमाऎ .... और चले गए ...... रात है तसल्ली भरी.... सो जाऊं तो होश नहीं.... यूं होश में ना रहना कितना अच्छा लगता है... है ना.... शिप्रा राहुल चंद्रा