पहली होली
लाल गुलाबी पीला नारंगी सैया हमरे है सतरंगी झकमक झकमक कुरता पहिने मुह में पान दबाये चाल चले है हाय मधु रंगी कदमो की आहट सुनते ही खट से किवड़िया कर दी बंद गागर भरी रंग की ले कर छुप गयी किनारे मस्ती भरी थी आज बहुरंगी धक्का दे के खोले दरवज्जा उड़ेली गागर भर भर के जब तक जब तक नैना खोले भागी झटपट जैसे हिरणी