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*रामायण कथा का एक अंश जिससे हमें सीख मिलती है "एहसास" की* 🙏🏻🙏🏻श्री राम लक्ष्मण व सीता सहित चित्रकूट पर्वत🙏🏻🙏🏻 की ओर जा रहे थे ! राह बहुत पथरीली और कंटीली थी ! सहसा श्री राम के चरणों में एक कांटा चुभ गया ! .🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 फलस्वरूप वह रूष्ट या क्रोधित नहीं हुए, बल्कि हाथ जोड़कर धरती से एक अनुरोध करने लगे ! बोले-"माँ, मेरी एक विनम्र प्रार्थना है तुमसे ! क्या स्वीकार करोगी ?" .😊🙏🏻😊🙏🏻😊🙏🏻😊🙏🏻 धरती बोली-"प्रभु प्रार्थना नही, दासी को आज्ञा दीजिए !" .🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻 'माँ, मेरी बस यही विनती है कि जब भरत मेरी खोज में इस पथ से गुज़रे, तो तुम नरम हो जाना ! कुछ पल के लिए अपने आँचल के ये पत्थर और कांटे छुपा लेना ! मुझे कांटा चुभा सो चुभा ! पर मेरे भरत के पाँव में अघात मत करना, श्री राम विनत भाव से बोले ! .🌳🌹🌳🌹🌳🌹🌳🌹 श्री राम को यूँ व्यग्र देखकर धरा दंग रह गई ! पूछा-"भगवन, धृष्टता क्षमा हो ! पर क्या भरत आपसे अधिक सुकुमार है ? जब आप इतनी सहजता से सब सहन कर गए, तो क्या कुमार भरत नहीं कर पाँएगें ? फिर उनको लेकर आपके चित में ऐसी व्याकुलता क्यों ? .🙏🏻🌷🙏🏻🌷🙏🏻🌷🙏�

13 अक्टूबर 2016

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*रामायण कथा का एक अंश जिससे हमें सीख मिलती है "एहसास" की* 🙏🏻🙏🏻श्री राम लक्ष्मण व सीता सहित चित्रकूट पर्वत🙏🏻🙏🏻 की ओर जा रहे थे ! राह बहुत पथरीली और कंटीली थी ! सहसा श्री राम के चरणों में एक कांटा चुभ गया ! .🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 फलस्वरूप वह रूष्ट या क्रोधित नहीं हुए, बल्कि हाथ जोड़कर धरती से एक अनुरोध करने लगे ! बोले-"माँ, मेरी एक विनम्र प्रार्थना है तुमसे ! क्या स्वीकार करोगी ?" .😊🙏🏻😊🙏🏻😊🙏🏻😊🙏🏻 धरती बोली-"प्रभु प्रार्थना नही, दासी को आज्ञा दीजिए !" .🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻 'माँ, मेरी बस यही विनती है कि जब भरत मेरी खोज में इस पथ से गुज़रे, तो तुम नरम हो जाना ! कुछ पल के लिए अपने आँचल के ये पत्थर और कांटे छुपा लेना ! मुझे कांटा चुभा सो चुभा ! पर मेरे भरत के पाँव में अघात मत करना, श्री राम विनत भाव से बोले ! .🌳🌹🌳🌹🌳🌹🌳🌹 श्री राम को यूँ व्यग्र देखकर धरा दंग रह गई ! पूछा-"भगवन, धृष्टता क्षमा हो ! पर क्या भरत आपसे अधिक सुकुमार है ? जब आप इतनी सहजता से सब सहन कर गए, तो क्या कुमार भरत नहीं कर पाँएगें ? फिर उनको लेकर आपके चित में ऐसी व्याकुलता क्यों ? .🙏🏻🌷🙏🏻🌷🙏🏻🌷🙏🏻🌷 श्री राम बोले-'नहीं .....नहीं माता ! आप मेरे कहने का अभिप्राय नहीं समझीं ! भरत को यदि कांटा चुभा, तो वह उसके पाँव को नहीं, उसके हृदय को विदीर्ण कर देगा ! ' .🌸🌷🌸🌷🌸🌷🌸🌷 'हृदय विदीर्ण !! ऐसा क्यों प्रभु ?', धरती माँ जिज्ञासा घुले स्वर में बोलीं ! .🌳🌺🌳🌺🌳🌺🌳 'अपनी पीड़ा से नहीं माँ, बल्कि यह सोचकर कि इसी कंटीली राह से मेरे प्रभु राम गुज़रे होंगे और ये शूल उनके पगों में भी चुभे होंगे ! मैया, मेरा भरत कल्पना में भी मेरी पीड़ा सहन नहीं कर सकता ! इसलिए उसकी उपस्थिति में आप कमल पंखुड़ियों सी कोमल बन जाना ...!!" .🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 अर्थात रिश्ते अंदरूनी *एहसास* *आत्मीय* अनुभूति के दम पर ही टिकते हैं । जहाँ गहरी *आत्मीयता* नहीँ, वो रिश्ता नहीँ बल्कि उसे एक व्यावसायिक संबंध का नाम दिया जा सकता है । . *इसीलिए कहा गया है कि *रिश्ते खून से नहीं,* *परिवार से नहीं,* *समाज से नहीं* *मित्रता से नहीं,* *व्यवहार से नहीं* बल्कि सिर्फ और सिर्फ आत्मीय *"एहसास"* से ही बनते और निर्वहन किए जाते हैं । . जहाँ *एहसास* ही नहीं, *आत्मीयता* ही नहीं .. *वहाँ अपनापन कहाँ से आएगा* *आप स्वमं भी इस पर विचार जरूर करें*

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*🌹🔔नवरात्रि प्रारंभ🔔🌹* नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें। 🌹🌹🌹1🌹🌹🌹 नवरात्री के इस पवन पर्व पर माँ नैना देवी आपके नैनो की रक्षा करे माँ चिंतपूर्णी आपके सभी चिंता दूर करे , माँ कामना देवी आपकी सभी मनोकामना पूरी करे हैप्पी नवरात्री 🌹🌹🌹2🌹🌹🌹 हमको था इंतज़ार वो घडी आ गई .होकर सिंग पैर सवार मातारानी आ गई .....होगी अब मन की हर मुराद माता द्वार आ गई जय माता दी 🌹🌹🌹3🌹🌹🌹 चाँद की चांदनी , बसंत की बहार . फूलो की खुशबु , अपनो का प्यार . मुबारक हो आपको नवरात्री का त्यौहार . सदा खुश रहे आप और आपका परिवार . 🌹🌹🌹4🌹🌹🌹 जगत पालन हार है माँ , मुक्ति का धाम है माँ . हमारी बक्ति के आधार है माँ , हम सब की रक्षा की अवतार है माँ . 'हैप्पी नवरात्रि ' 🌹🌹🌹5🌹🌹🌹 क्या है पापी क्या है घमंडी माँ के दर पर सभी शीस झुकाते मिलता है चैन तेरे दर पे मैया झोली भरके सभी है जाते हैप्पी नवरात्री 🌹🌹🌹6🌹🌹🌹 लाल रंग की चुनरी से सजा माँ का दरबार; हर्षित हुआ संसार! नन

1 अक्टूबर 2016
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*🌹🔔नवरात्रि प्रारंभ🔔🌹*नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें। 🌹🌹🌹1🌹🌹🌹 नवरात्री के इस पवन पर्व पर माँ नैना देवी आपके नैनो की रक्षा करे माँ चिंतपूर्णी आपके सभी चिंता दूर करे , माँ कामना देवी आपकी सभी मनोकामना पूरी करे हैप्पी नवरात्री🌹🌹🌹2🌹🌹🌹हमको था इंतज़ार वो

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*रामायण कथा का एक अंश जिससे हमें सीख मिलती है "एहसास" की* 🙏🏻🙏🏻श्री राम लक्ष्मण व सीता सहित चित्रकूट पर्वत🙏🏻🙏🏻 की ओर जा रहे थे ! राह बहुत पथरीली और कंटीली थी ! सहसा श्री राम के चरणों में एक कांटा चुभ गया ! .🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 फलस्वरूप वह रूष्ट या क्रोधित नहीं हुए, बल्कि हाथ जोड़कर धरती से एक अनुरोध करने लगे ! बोले-"माँ, मेरी एक विनम्र प्रार्थना है तुमसे ! क्या स्वीकार करोगी ?" .😊🙏🏻😊🙏🏻😊🙏🏻😊🙏🏻 धरती बोली-"प्रभु प्रार्थना नही, दासी को आज्ञा दीजिए !" .🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻🌹🙏🏻 'माँ, मेरी बस यही विनती है कि जब भरत मेरी खोज में इस पथ से गुज़रे, तो तुम नरम हो जाना ! कुछ पल के लिए अपने आँचल के ये पत्थर और कांटे छुपा लेना ! मुझे कांटा चुभा सो चुभा ! पर मेरे भरत के पाँव में अघात मत करना, श्री राम विनत भाव से बोले ! .🌳🌹🌳🌹🌳🌹🌳🌹 श्री राम को यूँ व्यग्र देखकर धरा दंग रह गई ! पूछा-"भगवन, धृष्टता क्षमा हो ! पर क्या भरत आपसे अधिक सुकुमार है ? जब आप इतनी सहजता से सब सहन कर गए, तो क्या कुमार भरत नहीं कर पाँएगें ? फिर उनको लेकर आपके चित में ऐसी व्याकुलता क्यों ? .🙏🏻🌷🙏🏻🌷🙏🏻🌷🙏�

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