रिश्ते खून काहोता हैं, रिश्ता विना खून काभी होता हैं।
कोन कितना टिकाऊ कितना मजबूत
लोग कहते है खून खून में मिलता हैं
शायद अध्र सत्यहै
मिल जाता हैं अर्थ ,सम्बेदना ओ के साथ
रिश्ते का अर्थशास्त्र टिका है अर्थपर
धर्म टिका है सम्बेदना ओ पर,भावनाओं पर
डूब ते जहाज पर खून साथ छोड़ सकता हैं
मगर सम्बेदना साथ होने पर खून खून ही रहता है
दृष्टिकोण भिन्न हो सकते हैं
पर विस्वास ओर भावना रिश्ते में साथ हो तो
अभाव मेभी आप सी रिश्ते अटूट बने रहेंगे
खून के रिश्ते टूट भी जाते है, पर भावनाओं के मजबूत होते हैं
जीवन व्यापार नही है रिश्ता है
कभीकभी रिश्ते व्यापार बन जाते है
जब हमारा दृष्टिकोण होता हैं रिश्ते के लिए
जिसमें होता है धनबल, बलवान
तब तराजू मे तुल जाती है हैशीयत
अगर रिश्ते हो आत्मीयता के,प्रेम के
तो मजबूत रहेंगे अटूट विश्वास केसाथ
दृणता लिये हुए