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लमहों की शरारत

29 सितम्बर 2017

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लमहो की शरारत थी जो हम वहक गए तुम को तो माना यार तुम भी वहक गये एक दर्द का रिश्ता कायम अभी भी हैं तुम गैर होकर भी दिल मे वसे रहे। मौजौ के क्षण दो चार जब कभी या द आते है तुम पास हो मेरे कह के वो जाते है अब छोड कर अहसास की अपनी डगर ईस बार कह कर चले दुनिया से हम तुम से हमें हैं प्यार

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लमहो की शरारत थी जो हम वहक गएतुम को तो माना यार तुम भी वहक गयेएक दर्द का रिश्ता कायम अभी भी हैंतुम गैर होकर भी दिल मे वसे रहे।मौजौ के क्षण दो चार जब कभी या द आते हैतुम पास हो मेरे कह के वो जाते हैअब छोड कर अहसास की अपनी डगर ईस बारकह कर चले दुनिया से हम तुम से हमें हैं प्यार

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रिश्ते

1 अक्टूबर 2017
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रिश्ते खून काहोता हैं, रिश्ता विना खून काभी होता हैं।कोन कितना टिकाऊ कितना मजबूतलोग कहते है खून खून में मिलता हैंशायद अध्र सत्यहैमिल जाता हैं अर्थ ,सम्बेदना ओ के साथरिश्ते का अर्थशास्त्र टिका है अर्थपरधर्म टिका है सम्बेदना ओ पर,भावनाओं परडूब ते जहाज पर खून साथ छोड़ सकता हैंमगर सम्बेदना साथ होने पर खू

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