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81 समय चक्र

21 सितम्बर 2023

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रचनाएँ
जीवन एक नदिया है
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‘जीवन एक नदिया है’ हिंदी कविताओं का मेरा प्रथम संग्रह है। इसे प्रस्तुत करते हुए मुझे आत्मिक प्रसन्नता और संतोष का अनुभव हो रहा है। इस संग्रह की अधिकांश कविताएँ काफी पहले लिखी गई हैं। तब से अब तक बहुत कुछ बदल गया है। जिस तरह नदी की धारा में अनेक मोड़ आते हैं, उसी तरह जीवन में अनेक मोड़ आते हैं। विभिन्न अनुभवों से गुजरते हुए अनेक भाव हृदय में उमड़ते हैं। उन भावों में से अधिकांश भाव पानी के बुलबुले की तरह होते हैं, जो क्षणिक होते हैं। ऐसे में उन भावों को सहेज पाना दुष्कर होता है। फिर भी समय-समय पर विभिन्न कागज पर अंकित किए होने के कारण ये सुरक्षित रहे। आस-पास की प्राकृतिक सुंदरता, भक्ति, प्रेम, आकर्षण, सहृदयता, सहानुभूति, संघर्ष, सफलता हेतु लक्ष्य, असफलता आदि विभिन्न अनुभवों में लिखी गईं कविताएँ इस संग्रह में संकलित की गईं हैं। आज इनमें से बहुत से भाव ऐसे हैं, जो आज मुझे भी चकित करने वाले हैं किंतु ये जीवन से संपृक्त अवश्य रहे हैं। अपने अतीत की अनुगूंज को सुनते हुए कभी-कभी आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता उत्पन्न होता है। संग्रह की कविताओं के रूप में अनुभव प्रामाणिक, सटीक व मौलिक भावनाएँ समय सापेक्ष सत्य ही हैं। इस संग्रह को पुस्तकाकार रूप में प्रस्तुत करने में मेरी माता श्रीमती रामप्यारी वर्मा, पिता डॉ. टेक राम वर्मा की विशेष कृपादृष्टि और आशीर्वाद रहा है। पत्नी श्रीमती रोहिणी वर्मा का प्रेम व समर्पण, पुत्री एकता, वेदिका, ऋचा की जिज्ञासा, उत्सुकता व सहयोग के कारण यह कार्य पूर्ण हो सका। नर्मदा प्रसाद विश्वकर्मा ‘तृण’ के उत्साहवर्धन से यह कार्य सफल हो सका है। आशा है प्रस्तुत काव्य रसिकों को आनन्दित करने में समर्थ होगी।
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समर्पण

21 सितम्बर 2023
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 अपने प्रिय कवि-कथाकार उदय प्रकाश को  

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अपनी बात

21 सितम्बर 2023
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‘जीवन एक नदिया है’ हिंदी कविताओं का मेरा प्रथम संग्रह है। इसे प्रस्तुत करते हुए मुझे आत्मिक प्रसन्नता और संतोष का अनुभव हो रहा है। इस संग्रह की अधिकांश कविताएँ काफी पहले लिखी गई हैं। तब से अब तक बहुत

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1.ममता

21 सितम्बर 2023
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ममता माँ की, करती है पुकार  खुश रहे उसका लाल। चाहे दूर रहे या पास पूछती रहती है उनका हाल।  परवाह नहीं अपने दुःख की  आँच न आए कभी उस पर खुश रहे सदा उसका लाल। वह माँ को सुख दे, न दे  बुलंदियाँ छ

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2. आँचल ममता का

21 सितम्बर 2023
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मोल नहीं कोई ममता का हर रिश्ते-नाते से ऊँचा है नाता ममता का भय पीड़ा सब हर लेती है आँचल ममता का। स्वर्ग सा सुकून मिलता है माँ के आँचल में आँच नहीं आती कभी हम पर जब तक है हाथ ममता का। सारी दुनि

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3.जन्मदिन

21 सितम्बर 2023
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आज है जन्मदिन तुमारा  बधाई हो तुम्हें।  यूँ तो मनाते हैं हर साल जन्मदिन की खुशियाँ। आओ मिलकर हम इसे यादगार बनाएँ।  संकल्प लें हम  कुछ बनकर दिखाएँ।  ठान लें आज  रह गई थी जो कसर पूरी करेंगे हम

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4. माधव मुरारी

21 सितम्बर 2023
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हे माधव मुरारि!  भव बंधन के तारनहारी। सबके प्राण पीरिते, तुम बिन जाने कैसे जीते? तुम हो सबके प्राण आधार, तुम बिन हम हैं निराधार। ऐ! कोटि-कोटि में बसने वाले... अधरों पर मधुर मुरली धरने वाले...

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5 दुपहरी तपन

21 सितम्बर 2023
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चढ़ता है सूरज आसमान में  होने लगता है धूप तेज  पड़ने लगती है गर्मी  अलसाने लगता है तन-बदन  असहनीय हो जाती है पवन लग जाती है अगन  बढ़ जाती है तपन ।  भाता नहीं कुछ भी  दुबके रहते हैं लोग सारे  हाल

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6 अतीत को न भूलना कभी

21 सितम्बर 2023
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अतीत को न भूलना कभी  वर्तमान में न इतना डूब जाओ अतीत रहे न याद कभी । कल तक थी जो अपनी हकीकत उससे यूँ न पीछा छुड़ाओ । वर्तमान को जियो  मस्ती में खो जाओ पर रखना सदा याद क्या थे तुम... कितनी थीं

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7 माथे की बिंदी

21 सितम्बर 2023
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सजाए बैठी हो तुम मन मंदिर में पूजा की थाली।  आयेगा कोई पुजारी करके घोड़े पे सवारी। जो बनेगा तेरा संगवारी, जो करेगा तेरी रखवाली। भरेगा माँग में सिंदूर,  ले जाएगा जो तुमको हम सब से दूर देगा प्य

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8 दूल्हे राजा

21 सितम्बर 2023
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आज है दिन खुशी का (हो रही हो किसी की तुम) बन रहे हैं ढोल और बाजे। नाच रहे हैं लोग खुशी है चहुँ ओर झूम रहे हैं बच्चे-बूढ़े, आ रहे हैं दूल्हे राजा। फूट रहे हैं फटाखे बज रही हैं शहनाईयाँ मंगलगीत

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9 परीक्षा की घड़ी

21 सितम्बर 2023
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अब तक खोई थी  जाने किन खयालों में? मौज था मस्ती थी नहीं कोई चिन्ता न कोई फिकर। अब जब नहीं रहा समय शेष  मन में है क्लेश क्यों नहीं किए अब तक हमने अपना काम। आन पड़ी है परीक्षा की घड़ी सिर पीटने

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21 सितम्बर 2023
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दुनिया में होती हैं  कुछ चीजें ऐसी कोई मोल नहीं जिसका। समझते नहीं है लोग भला क्यूँ  हर चीज को देखते हैं तोल-मोल कर। कोई कैसे समझाएँ उन्हें कुछ चीजें होती है  जो बिक जाती हैं बिन मोल के। बिन

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11 खुशियाँ

21 सितम्बर 2023
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जीवन के नए पड़ाव में  नए जीवन साथी के साथ खुशियों की आएँगी सौगात। सुखद अनुभूतियाँ होंगी बेमिसाल  लगेगा यूँ जैसे ठहर जाए पल।  कैद कर लम्हों को खो जाएँ एक दूसरे में। नहीं हो काई आस-पास बस एक-दूज

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12 इंतजार

21 सितम्बर 2023
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कर रहे हैं इंतजार पल जैसे थम सा गया है। बढ़ गई है बेकरारी दिल थाम के बैठे हैं।  कब आएँगे दिलदार तक रहे हैं हर रास्ता जाने किधर से आ जाए उनका कोई समाचार। हर कोई उत्सुक है इक झलक पाने को। सबकी

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13 यादें

21 सितम्बर 2023
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अहसास नहीं होता है पास रहती हो जब,  याद तेरी आती है दूर चली जाती हो तब। पास रहती थी तुम कुछ नहीं लगता था तब, याद तेरी सताएगी क्योंकि दूर चली जाओगी अब । मिलेगा भरपूर प्यार चाहेंगे तुझे सब, या

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14 समय चक्र

21 सितम्बर 2023
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यूँ तो जीवन में अनेक मोड़ आते हैं,  अपनी हर मोड़ अपनी-अपनी यादें छोड जाते हैं । कुछ खट्टी कुछ मीठी स्मृतियाँ रह जाती हैं शेष, कुछ होती हैं अर्थहीन कुछ होती हैं विशेष । कभी हमें प्यार मिलता है 

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15 सगाई

21 सितम्बर 2023
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आज है सगाई कुछ ही दिनों में बंध जाओगी विवाह के पावन रिश्ते में हो जायेगी विदाई । भर आयेगा तब सबकी आँखों में पानी चली जाओगी अब बाबुल के आँगन से । देंगे तुम्हें सब प्यार भरा आशीष और स्नेह । दि

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16 अमानत होती है बेटियाँ

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न हो दुःखी न हो उदास यूँ न आँसू बहाओ अपनी इन भोली आँखियों से  पता नहीं है तुम्हें  इन आँसुओं की कीमत।  खुशियों के दिन हैं अभी  खुशी-खुशी जी लो  इन सुनहली पलों को।  खुशी मिलती नहीं यूँ सबको  ख

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17 खुश रखना सबको

21 सितम्बर 2023
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बेटियाँ होती हैं अमानत किसी की पैदा होती हैं किसी घर में जाना होता है कहीं और। एक दिन बेटी  अपने पिया के घर चली गई। अब आ गई हैं जिम्मेदारियाँ बेटी पर एक घर को रोशन करना दूजे की लाज रखना  कोई

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18 दिल्ली

21 सितम्बर 2023
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देश की राजधानी कितनी है सुहानी। समेटे ऐतिहासिकता  गाते गौरव गाथा। अनुपम कृतियों से सजा लोटस, मीनार और किला।

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19 आओ मिलकर होली मनाएँ

21 सितम्बर 2023
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आओ मिलकर होली मनाएँ  निकलें घर से बाहर रंग-गुलाल लेकर  मिलेंगे हम अपने इष्ट जनों के साथ। आज नहीं कोई मन-मुटाव  आज नहीं कोई भेद-भाव  मिलेंगे साथ, मिलाएँगे हाथ।  हँसकर करेंगे बात  बुराइयों पर कर

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20 ऊचाईयाँ

21 सितम्बर 2023
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ऊँचाईयाँ मिलती हैं  लगन से परिश्रम से अथक प्रयासों से। कर लेते हैं कुछ लोग हासिल  पहुँच जाते हैं ऊँचाइयों पर ऊँचाई को छूना किला फतह करना होता नहीं आसान ऊँचाई कायम रखना होता है महत्वपूर्ण। ऊँ

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21 जीवन मृत्यु

21 सितम्बर 2023
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जीवन के पग-पग में मृत्यु का होता है सामना नित प्रति डरते हैं, कुछ तो करते हैं मुकाबला डटकर जीने वाले जीते भी हैं मरकर कर जाते हैं, जो कुछ जरा हटकर। डर-डरकर जीने वाला मर चुका होता है  मरने से

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22 काम

21 सितम्बर 2023
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ऐ दोस्त मेरे मत हो परेशान काम के बोझ से। काम ही जीवन है काम को काम ही रहने दो बोझ न समझ इसे प्यारे  काम से प्यार करो। काम को पूजा समझ निराश न हो जुट जाओ लगन से  फटकने न दो थकान को निरन्तरता

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23 प्रेम

21 सितम्बर 2023
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प्रेम तो प्रेम होता है  कोई मोल नहीं कोई तोल इसका  प्रेम की न कोई सीमा  न ही कोई बंधन इसका। प्रेम है कच्चा धागा बिन बाँधे बँध जाता है जो मन को भा जाता है जिस पर कर जाते हैं न्योछावर हम अपना सर

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24 लड़कियाँ होती हैं वरदान

21 सितम्बर 2023
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लड़‌का से लड़की भली आने से जिनके घर के आंगन की खुशियाँ   फूली और फली। लड़कियाँ आती हैं बहारें लाती हैं, खुशियों की सौगातें लाती हैं। आने से उनके महक उठती है जीवन-बगिया खिल जाती है गृहस्थ-दुनिय

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25 मैं और मेरी कविता

21 सितम्बर 2023
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मैं और मेरी कविता तन्हाइयों में खोए रहे हँसते-मुस्कुराते  गीत गुनगुनाते मधुर चाँदनी रात में तारों के साथ। श्वेत दूधिया रोशनी में  हँसते रहे, गाते रहे तैरते रहे, खेलते रहे। गोता लगाते रहे  एक

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26 जीवन एक नदिया है

21 सितम्बर 2023
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जीवन एक नदिया है  सुख-दुःख दो किनारे हैं दोनों के मध्य समय-धारा बहती है।  जीवन सफर चलता है यूँ ही जैसे नदी की धारा  कभी किनारे का स्पर्श कर  गाढ आलिंगन में आबद्ध करती है। कभी दुर्बलता का शिका

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27 जीवन प्रकाश पुंज है

21 सितम्बर 2023
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जीवन प्रकाश पुंज है आशा की किरण लिए खुशबू बिखेरती चहुँ ओर रोशन होता जग जीवन सारा  खुशियों भरी हो दुनिया जब लगती न्यारी-न्यारी। होती है सबको केवल यही आस जीवन में हो खुशियों के दिन हजारों-हजार।

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28 वीर बनो

21 सितम्बर 2023
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आती हैं मुसीबतें अनेक होता है वीर वही जो करता है सामना हर मुश्किल का सीना तानकर। होते हैं कायर, डरपोक पीठ दिखा भाग खड़े होते हैं रण से।  जीवन की समर भूमि में  जीना है गर शान से  उठाओ सिर अपना

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29 खेल

21 सितम्बर 2023
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खेल होता है खेल-खेल में खेल होता है रेलम-पेल में खेल होता है मस्ती में, आनंद में। जीत होती है हार कभी इसमें आता है मजा हरदम इसमें। हार-जीत है हिस्सा खेल का खेल से पनपती है खिलाड़ियों में खेल भाव

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30 होली

21 सितम्बर 2023
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होली है रंगों का त्योहार  होती है एक दूसरे पर रंगों की मोहक बौछार।  लाता है होली  प्रेम की नई सौगात  दूर कर राग-द्वेष मन का  पुलकित हो जाता है।  अंग-अंग तन का  आओ मिलकर होली मनाएँ।  खूब जमकर 

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31 आया है साल नया

21 सितम्बर 2023
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आया है साल नया बिल्कुल नए साल की तरह आओ मनाएँ हम मिल-जुल कर  खुशियाँ बिखेरती रश्मियों की तरह।  नए साल का हर दिन हो नए साल की तरह नित खुशियाँ लाए आनंद विभोर करती जाए। सुप्रभात में जैसे पंछियों

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32 नया साल और लक्ष्य

21 सितम्बर 2023
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आया है साल नया तुम्हें मुबारक हो मेरे यार।  आए साल नया हर साल लाए दामन में अपनी खुशियाँ समेटे हजार। बगिया यूँ ही महकती रहे आती रहे जीवन में बहार। समय कर रहा है पुकार  हो जाओ होशियार  आया है स

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33 खो गई हो आसमानों में

21 सितम्बर 2023
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दिन-महीने-साल बीते तुम बिन रोते, तुम बिन हँसते।  याद तुझे न मेरी आई याद करता रहा ख्यालों में  खो गई हो आसमानों में न कभी आई निगाहों में।  कभी खबर आई न तुम लगा खो गई दुनिया की भीड़ में। चाहत का

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34 कर्म पर रखो हाथ

21 सितम्बर 2023
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आपने अपनी छोटी सी कुटिया बसा ली मन में खुशी के दीप जला ली स्नेहासिक्त सदा प्रेम का बीज बोते रहिए खुशियों के दीप जलाते रहिए जब कभी मिलते रहिए हँसकर मुस्कुराते रहिए दिल से दिल की बात करते रहिए ख

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35 खुशी

21 सितम्बर 2023
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खुशी होती है. खुश देखकर किसी को। खुशी मिलती है खुशी देने से किसी को। खुश रहना है गर तुम्हें  खुश करना सीखो। बात-बात पर हँसना-हँसाना सीखो।  जब कभी किसी से मिलें खुशी से मिलें। हल्की मुस्कुराह

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36 ख्वाबों की रानी

21 सितम्बर 2023
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भोली-भाली सीधी-सादी हिरणी सी तेरी चाल है, ऐ! मतवाले नयनों वाली तुझ पर फिदा मेरी जान है। हँसती-गाती जाती हो मन मेरा मचलाती हो, सुन्दर शोख अदाओं से  सदा तुम लुभाती हो। सुन्दर सा है मुखड़ा तेरा

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37 समर्पित होगा जब तन-मन सारा

21 सितम्बर 2023
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मैं हूँ राही  चलते जाना है मुझे  मंजिल है दूर  दिखता नहीं किनारा  मिल जाए मुझे सहारा  आस नहीं है मुझे... मुश्किलें आएँगी अनेक। पहाड़ बन कर  खड़ी होंगी बाधाएँ बहुत कष्टप्रद होंगी राहें कठिनाइय

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38 तारे

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आसमान में टिमटिमाते तारे  रंग-बिरंगे कितने सारे। फुलझड़ियों से खिलते तारे हमको लगते प्यारे तारे कभी दूर, कभी पास आते तारे।  कितने अच्छे लगते तारे ये टिमटिमाते तारे। दूर आसमान में छिटके तारे लगत

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39 ऐ! ऋतुओं की रानी

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ऐ! ऋतुओं की रानी शिशु की मोहक मुस्कान सी  हँसती खिलखिलाती सनसनाती सी ठिठुराती कंपाती सी  अग्नि की मीठी तपन  ले आती है तू। ऐ! ऋतुओं की रानी तू बन मत अनजानी तेरे आने से आ जाती है चमन में बहार

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40 नदी

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नदी निकलती है  पर्वतीय दुर्गम स्थानों से बहती जाती है उबड़-खाबड़ पथरीली राहों से। टेढ़ी-मेढ़ी चाल चलती  मंद-मंद स्थिर वेग से आगे बढ़ती जाती है। तलहटों में कल-कल करती अपना मार्ग स्वयं बनाती जाती है

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41 हमें प्यारा, हमारा भारत देश

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हम हैं भारत के नन्हें वीर सिपाही  आगे ही बढ़ते जाएँगे।  रोक नहीं सकता कोई कदम हरदम लड़ते-भिड़ते जाएँगे।  आएँगी राह में मुश्किलें अनेक करेंगे सामना हम मिल-जुल कर।  सागर-नदी-पहाड़ क्या  सारा जहाँ ला

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42 माँ

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माँ तू ममता की मूरत है कभी न खाली होती तेरे प्रेम का स्नेहिल सागर आँचल है ऐसा विशाल समा जाये जिसमें सारा सागर। जीवन में अपने दुःख पीड़ा सब सहकर  देती हो हमें शीतल छाया।  अनवरत नि:स्वार्थ भाव से

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43 त्राहि मची चहुँओर

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आई काली घटाओं के साथ बरसात रिम-झिम बारिश होती सारी रात।  कभी बिजली की चमक कभी बादलों की गड़गड़ाहट बारिश ही बारिश का नजारा। भीगा-भीगा सबका बदन  चहुँ ओर पानी ही पानी। दिन-सप्ताह बीते होती रही रिमझ

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44 सुन्दरता

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आप सुन्दर हैं अच्छी बात है सुन्दरता आकर्षित करती है। हर व्यक्ति सुन्दर होना चाहता है जो सुन्दर है  स्वभावतः अपनी सुन्दरता पर  गर्व करता है। सुन्दरता प्राकृतिक हो तो सुन्दर  उसमें आकर्षक सजावट 

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45 बारिश होती रहे सारी रात

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बारिश होती है जब सारी रात  रिमझिम रिमझिम सुन्दर मधुर प्रेम रस बरसाती  घटाएँ घनघोर मन हो जाता है विभोर डरा देती है कभी  बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ जाती है दिलों की धड़कन जब होती है बिजलियों की कड़कन 

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46 भवसागर के पार

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भवसागर के पार जाऊँगा कभी मैं भी पार।  हाँ भवसागर के पार होगा उद्धार कभी  पर ये तो बता  क्या नाम भी होगा मेरा कभी?  क्या बताऊँगा पहचान अपनी किया नहीं काम कभी परमार्थ का।  लगा रहा सदा स्वार्थ मे

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47 मुझे जाना है दूर बहुत दूर

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जाना है मुझे दूर, बहुत दूर रास्ते में आएँगे न जाने कितने टकराव होंगे कितने भटकाव? अनजाने रास्ते में  मिलते हैं लोग कितने कोई मंजिल का पता बताएगा  कोई बहकाएगा लक्ष्य से सहारा देगा कोई संबल मुझे

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48 यौवन की दहलीज पर

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हसती-गाती-मुस्कुराती  कितनी अच्छी लगती हो तुम  उछलती-फुदकती-महकती  बिजली सी चमकती कितनी अच्छी लगती हो तुम।  चंचल चितवन वाली  मधुर मुस्कान लिए होठों पर  हरदम दमकती-चहकती हो तुम।  दस्तक देती यौव

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49 खुश रहें खुश रखें

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खुश रहें खुश रखें मैं और मेरी खुशी  खुशी देने से मिलती है  गर पाना है खुशी  दूसरों को खुश रखो  खुशी से मिलो। मिलने से  एक दूसरे को इसका अहसास हो। जीवन में एक नई ताजगी नई उमंग का संचार हो ऐस

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50 युवाओं के जोश

21 सितम्बर 2023
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युवाओं के जोश आज युवाओं में जोश है कुछ भी कर दिखाने की हिमाकत है। कोई मंजिल नहीं ऐसा फतह न कर सके जिसे। हर चुनौती पसंद है इन्हें असफलता कबूल नहीं हार कभी मान सकते नहीं, टूट जाएँगे पर झुकेंगे न

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51 तुम्हें भी होगी खुशी

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आज मैं खुश हूँ मुझे मेरी मंजिल का पता चल गया है। जो कल तक मेरी ख्वाहिश थी, उम्मीद हो जाएगी पूरी एक दिन।  लगता है अब वह दिन दूर नहीं मंजिल होगा पास मेरे। रास्ता दिख गया है चल पड़ा हूँ उस राह मे

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52 आज मैं अकेला हूँ

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रोशनी कहीं खो गई है  अंधेरा ही अंधेरा है सामने। भटक गया हूँ इस अंधकार में खो गया है रास्ता। कहीं कुछ दिख नहीं रहा मुझे उम्मीद की कोई किरण।  समय है कठिन मंजिल दूर नाजुक समय है हर पल फिसलने का ड

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53 क्षण

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आने वाला है क्षण  बहुप्रतीक्षित क्षण   पुलकित है मन  फूटने लगे हैं लड्डू अभी से...  कब क्या क्या है करना  बन रही योजनाएँ  सपना है पुराना  जो अब सच होने वाला है। बहुप्रतीक्षित क्षण अब आने वाल

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54 सीख

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जीवन का प्रत्येक क्षण  देता है सीख हमें  हम कितना ग्रहण कर  पाते हैं निर्भर करता है  हमारी दृष्टि पर सोच पर समझ पर।  अनुभव से  कोई सीखता है पल-पल  सीख मिल सकती है हमें  कभी भी, कहीं से भी, कि

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55 चाल और चलन

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चेहरा भोला मुस्कान कुटिल है,  व्यवहार सरल सोच मलिन है, सूरत देख अनुमान मुश्किल है, आवरण देख आकलन कठिन है। सूरत और सीरत तेरी नहीं खाती कहीं मेल है  चाल और चलन तेरी  सर्वत्र रेलमपेल है। कोई कैसे

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हँसी-खुशी के खेल में  डूब जाने वाले होते हैं भोले, सही गलत को मगर पहचान जाते हैं चोखे।

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57 बदलते देखा है

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हाँ, मैंने समय को बदलते देखा है समय के साथ इंसान को  इंसान के नियति और नीयत को  विपक्ष को पक्ष में  बदलते देखा है। कल तक  करता था विरोध  जिन बातों का  आज  न केवल उसका समर्थन वरन् पोषण करते द

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यूँ न इतना कठोर बन समय सील पर आगे बढ़ था जो आचरण पहले उसे ही तू निभाता चल।  कायदा तो था पहले भी  अब भी है तू उसे समझने की भूल न कर। चल सकता है जिस तरह  चलने दे  तू उसे नई दिशा देने की  कोशिश

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59 मुखिया

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मुखिया का सर पर साया जरुरी है मुखिया चाहे जैसा भी हो मुखिया का होना ही बड़ी बात है। मुखिया में चाहे लाख बुराइयाँ हों  ढेरों कमियाँ हम निकालते हों पर मुखिया तो मुखिया होता है उसके रहते हम निश्चिं

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60 अपना-पराया

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क्यूं करते हैं लोग नफरत इतनी  चार दिन की जिंदगी  हँसी–खुशी जी लें हम  नहीं कोई अपना-पराया। बाँट लें आपस में  खुशी हो या गम मिल कर रहने में  क्या है बुराई जीवन हँसी-खुशी बीते  इसी में है चतुर

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61 जीवन का संदेश

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प्रकृति को निरख-निरख कवि महोदय चिंतन मग्न  व्यथित हृदय में उठ रहा विभिन्न आवेग आकण्ठ। यूं ही चिंतित, व्याकुल देख नित नूतन रूप करती प्रकट उच्चावच हृदय स्थली युक्त भावनाएँ मचा रही उथल-पुथल। हरीत

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62 निज मान

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फैल रही किस तरह की भ्रांति है युवाओं के मन में क्रांति है।  देश-गाँव-समाज की मर्यादा का  जरा भी नहीं कुछ भान है। मिली जहाँ घर से थोड़ी आजादी सर चढ़कर बोलती है बेशर्मी नहीं रहता ध्यान छोटे-बड़ों का

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63 किशोरावस्था

21 सितम्बर 2023
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बहुत कठिन होता है डगर  किशोरावस्था की  भावोन्माद से भरी उत्तेजना  लगती है दौड़ने नस-नस में  नहीं रहता है काबू तन-मन में  बहकाव की दिशा हो जाती है प्रबल।  सूझ होती है कच्ची  तूफान की तरह आता है य

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64 लोक

21 सितम्बर 2023
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लोक के आलोक में आलोकित है नदी-नाले-पर्वत-पठार सुवासित है रीति-रिवाज परंपरा-संस्कार लोक में रचा बसा अनगढ़ जन-जीवन माटी से सुवासित है सारा जन-मन सुख हो या दुःख  ढंग निराली है अभिव्यक्ति परंपरा

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65 तिमिरांचल

21 सितम्बर 2023
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जब छाते हैं बादल अनिश्चितता के लकीरें खींच जाती हैं माथे पर  न जाने क्या होगा क्यूँ और कैसे नहीं आता समझ में कुछ। उहापोह में उलझ  नहीं सूझता कुछ अंधेरा ही अंधेरा आता है नजर। नजरें जाती हैं जिधर

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66 दुर्दिन

21 सितम्बर 2023
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आता है जब दुर्दिन होती है परख  अपने पराए का। सम्मत में साथ निभाने वाले  चले जाते हैं कहाँ पता भी नहीं चलता। एक-एककर खिसक जाते हैं जो लगते थे प्रिय।

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67 स्वार्थ

21 सितम्बर 2023
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जब तक सधता है स्वार्थ आगे-पीछे करते हैं  निकल जाता है जब काम  पलट कर भी नहीं देखते।

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68 संवाद

21 सितम्बर 2023
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जब रह जाते हैं अकेला बिल्कुल अकेला नहीं रहता कोई पास पूछने वाले भी  एक-एक कर दूरी बना लेते हैं अकेलापन काटने  स्वयं से संवाद करना पड़ता है कभी स्वयं से प्रश्न कर  स्वयं ही उत्तर खोजते हुए...।

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69 जीवन के क्षण-क्षण में

21 सितम्बर 2023
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जीवन के क्षण-क्षण में  बसा है लोकोभिव्यक्ति। अवसर अनायास होते प्रकट सुआ-ददरिया लेते वाणी। सहज सरल अनायास ही  जन सामान्य की यह वाणी। दुःख-सुखाभिव्यक्ति की यह  सुगढ़ अनगढ़ वाणी। रीति-परंपरा अंतर म

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70 जाना होता है जब

21 सितम्बर 2023
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जाना होता है जब  किसी अनजाने राह में... लगता है कठिन  घिरने लगती हैं आशंकाएँ   मन में तरह-तरह के। उठने लगते हैं सवाल  जाने कैसे-कैसे?  मिलती है सांसें चैन की  मिल जाता है जब मंजिल रास्ता जो ल

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71 लक्ष्यातुर

21 सितम्बर 2023
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कल-कल करती गतिमान हो अनादि काल से अनवरत निरंतरता से  पूर्ण करती कर्तव्य अपना तब से उद्गम कहाँ... जाना कहाँ? राह खुद बनाती बढ़ती है बाधाएँ होती हैं अनेक  पथ पर रोक कहाँ पाती है  जब हो लक्ष्यातु

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72.लक्ष्य

21 सितम्बर 2023
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समय कीमती है एक-एक क्षण अमूल्य है उठो, जागो, तैयार हो आओ, समय की कीमत को पहचानो, बीता समय कभी लौट के नहीं आता। हमारा जो कुछ है, आज है कल के लिए और भी बहुत से काज हैं इसलिए लक्ष्य की ओर बढ़ो।  

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73 अपने सपनों को

21 सितम्बर 2023
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आपाधापी भरी जिन्दगी की  भागम-भाग दौड़ में,  भूल जाते हैं हम अपनों को  भागते हैं पीछे सपनों के।  सपने हाँ सपने  अपने सपने वे सपने  जिन्हें पूरा करने की धुन में  अपने स्वार्थ के वशीभूत हो भूल जा

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74 प्रकृति

21 सितम्बर 2023
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कब तक सालते रहेंगे गम  बनें मिट्टी की तरह।  मिलकर टूटना  टूटकर मिलना  जग-जीवन को  स्व पोषक रस सींचना।   नित देता प्रकृति  यही मूक संदेश।

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75 युज् से बना योग

21 सितम्बर 2023
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युज् से बना योग प्राचीन परंपरा से आगत प्रक्रिया आध्यात्मिक तन मन आत्मा  संयोग मन को शांति मिलती यौगिक ध्यान से चित्त वृत्तियों का निरोध जीवात्मा परमात्मा एकाकार विपरीत भावों में समभाव निष्काम

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76 प्रेम

21 सितम्बर 2023
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प्रेम प्यास है चाहा-अनचाहा है यह कभी भी कहीं भी किसी से भी हो सकता है। प्रेम उत्थान है पतन है तपन है।

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77 देशभक्त

21 सितम्बर 2023
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धन्य है उस मां की कोख जिसने जन्म दिया देशभक्त। धन्य है वह पुत्र जिसने किया समर्पण जननी-जन्मभूमि की सेवा अपना तन-मन। नहीं देखा दिन-रात किया अथक परिश्रम विपरीत परिस्थितियों को ढाल बना सधे कदमों

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78 लगाव-अलगाव

21 सितम्बर 2023
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कुछ लोग दूर होते हैं,  पास होते हैं। कुछ लोग पास होते हैं,  दूर होते हैं।

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79 आन गाँव का सिद्ध।

21 सितम्बर 2023
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लोक खेलों से संपन्न भारत का राष्ट्रीय खेल है हाकी पश्चिम की नकल से खेले जाने लगा क्रिकेट गली-गली विश्व स्तर पर जब खेला जाता है यह लोगों की धड़कनों में समा जाता है क्रिकेट। सिद्ध करता प्राचीन क

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80 मातृवत्सला

21 सितम्बर 2023
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कैकेई ने जो किया पुत्र प्रेम था मातृवत्सला स्वार्थ अपने लिए नहीं पुत्र सुख चाह थी कर न दे प्रजा कोई विद्रोह राम को भेजा वनवास पुत्र प्रेम में जान न पाई गए पति के प्राण दास था पुत्र भी उस राम

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81 समय चक्र

21 सितम्बर 2023
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समय अच्छा हो  या बुरा,  सदैव नहीं रहता। समय चक्र  घूमता रहता है।

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