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खिलता पुष्प

डॉ. लूनेश कुमार वर्मा

3 अध्याय
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1 पाठक
29 दिसम्बर 2023 को पूर्ण की गई
ISBN : 978-93-5970-644-3

कम से कम शब्दों में अधिक भाव व्यक्त करना प्राचीन भारतीय साहित्य की विशेषता रही है। संस्कृत वाङ्मय में कहा गया है- "अर्द्धमात्रा लाघवेन पुत्रोत्सवं मन्यन्ते वैयाकरणा:।" हाइकु में भी कम से कम शब्दों में अधिकाधिक अभिव्यक्ति की अपेक्षा की जाती है। विविध भावों की अभिव्यक्ति इसके अंतर्गत की जा सकती है। आधुनिक युग में काव्य विधा के रूप में हाइकु विश्व साहित्य में प्रतिष्ठित है। इसका प्रादुर्भाव जापानी संस्कृति में हुआ है। वहाँ से पुष्पित-पल्लवित होते हुए कम से कम शब्दों में गूढ़ बातों को अभिव्यक्त करने की विशिष्ट विशेषताओं के कारण हाइकु विश्व साहित्य में अपना अनूठा स्थान का अधिकारी बन गया है। आज विश्व की अनेक भाषाओं में हाइकु रचना बहुतायत में हो रही है, जो इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है। प्रस्तुत हाइकु संग्रह 'खिलता पुष्प' हिंदी काव्य प्रेमियों को रसास्वादन कराने में समर्थ सिद्ध होगा, ऐसा मेरा विश्वास है। इस संग्रह के ‘हाइकु’ में यदि कहीं कोई कमी रह गई हो, तो सुझाव सादर आमंत्रित हैं। 

khilta pushp

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