डॉ. लूनेश कुमार वर्मा
डॉ. लूनेश कुमार वर्मा जन्म 17-05-1977। जन्म स्थान- घोटिया, तह.पलारी, जिला- बलौदा बाजार (छत्तीसगढ़)। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग में व्याख्याता के पद पर कार्यरत हैं। आपने एम.ए. संस्कृत, बी.एड., एम.ए. हिंदी, एम. ए. भाषा विज्ञान, केंद्रीय अध्यापक पात्रता परीक्षा, एम.ए. प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व, डिप्लोमा इन इंग्लिश, एम.फिल. हिंदी, पीएच.डी. हिंदी किया है। शिक्षा क्षेत्र में आपका 18 वर्षों का शिक्षण अनुभव है। आपका शोध विषय "समकालीन कहानी लेखन के संदर्भ में उदय प्रकाश की कहानियों का साहित्यिक अनुशीलन" है। आपने उदय प्रकाश की प्रसिद्ध कहानी 'मोहनदास' का संस्कृत अनुवाद 'मोहनदास:' (2022) और 'तिरिछ' कहानी का संस्कृत अनुवाद 'तिरछ:' (2023) किया है। हिंदी कविता संग्रह ‘जीवन एक नदिया है’ (2023) आपकी कृति है। आपने राष्ट्रीय और अंताराष्ट्रीय अनेक कार्यशालाओं, सेमिनार-वेबीनार में भाग लिया है। विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में संस्कृत-हिंदी-छत्तीसगढ़ी आधारित 50 से अधिक शोध परक लेख-आलेख प्रकाशित हुए हैं। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल रायपुर, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद छत्तीसगढ़ रायपुर, शासकीय शिक्षा महाविद्यालय रायपुर, डाइट रायपुर, संस्कृत विद्यामंडलम् छत्तीसगढ़ इत्यादि संस्थानों में विविध अकादमिक गतिविधियों में आपकी सक्रिय सहभागिता रहती है।
जीवन एक नदिया है
‘जीवन एक नदिया है’ हिंदी कविताओं का मेरा प्रथम संग्रह है। इसे प्रस्तुत करते हुए मुझे आत्मिक प्रसन्नता और संतोष का अनुभव हो रहा है। इस संग्रह की अधिकांश कविताएँ काफी पहले लिखी गई हैं। तब से अब तक बहुत कुछ बदल गया है। जिस तरह नदी की धारा में अनेक मोड़
जीवन एक नदिया है
‘जीवन एक नदिया है’ हिंदी कविताओं का मेरा प्रथम संग्रह है। इसे प्रस्तुत करते हुए मुझे आत्मिक प्रसन्नता और संतोष का अनुभव हो रहा है। इस संग्रह की अधिकांश कविताएँ काफी पहले लिखी गई हैं। तब से अब तक बहुत कुछ बदल गया है। जिस तरह नदी की धारा में अनेक मोड़
खिलता पुष्प
कम से कम शब्दों में अधिक भाव व्यक्त करना प्राचीन भारतीय साहित्य की विशेषता रही है। संस्कृत वाङ्मय में कहा गया है- "अर्द्धमात्रा लाघवेन पुत्रोत्सवं मन्यन्ते वैयाकरणा:।" हाइकु में भी कम से कम शब्दों में अधिकाधिक अभिव्यक्ति की अपेक्षा की जाती है। विविध
खिलता पुष्प
कम से कम शब्दों में अधिक भाव व्यक्त करना प्राचीन भारतीय साहित्य की विशेषता रही है। संस्कृत वाङ्मय में कहा गया है- "अर्द्धमात्रा लाघवेन पुत्रोत्सवं मन्यन्ते वैयाकरणा:।" हाइकु में भी कम से कम शब्दों में अधिकाधिक अभिव्यक्ति की अपेक्षा की जाती है। विविध
मोहनदासः
साहित्ये ज्ञानराशि: निहिता: भवन्ति। अनुवादमाध्यमेन विविधभाषासु प्रसरिता:। अनुवादमाध्यमेन साहित्येषु निहितज्ञानराशिभि: लाभान्विता: भवन्ति। संस्कृते विपुलसाहित्यरचना उपलब्धा:। अस्यां भाषायां उपलब्धग्रन्थाणां विश्वस्य विविधभाषासु अनुवादा: उपलब्धा:। विवि
मोहनदासः
साहित्ये ज्ञानराशि: निहिता: भवन्ति। अनुवादमाध्यमेन विविधभाषासु प्रसरिता:। अनुवादमाध्यमेन साहित्येषु निहितज्ञानराशिभि: लाभान्विता: भवन्ति। संस्कृते विपुलसाहित्यरचना उपलब्धा:। अस्यां भाषायां उपलब्धग्रन्थाणां विश्वस्य विविधभाषासु अनुवादा: उपलब्धा:। विवि