‘जीवन एक नदिया है’ हिंदी कविताओं का मेरा प्रथम संग्रह है। इसे प्रस्तुत करते हुए मुझे आत्मिक प्रसन्नता और संतोष का अनुभव हो रहा है। इस संग्रह की अधिकांश कविताएँ काफी पहले लिखी गई हैं। तब से अब तक बहुत कुछ बदल गया है। जिस तरह नदी की धारा में अनेक मोड़ आते हैं, उसी तरह जीवन में अनेक मोड़ आते हैं। विभिन्न अनुभवों से गुजरते हुए अनेक भाव हृदय में उमड़ते हैं। उन भावों में से अधिकांश भाव पानी के बुलबुले की तरह होते हैं, जो क्षणिक होते हैं। ऐसे में उन भावों को सहेज पाना दुष्कर होता है। फिर भी समय-समय पर विभिन्न कागज पर अंकित किए होने के कारण ये सुरक्षित रहे। आस-पास की प्राकृतिक सुंदरता, भक्ति, प्रेम, आकर्षण, सहृदयता, सहानुभूति, संघर्ष, सफलता हेतु लक्ष्य, असफलता आदि विभिन्न अनुभवों में लिखी गईं कविताएँ इस संग्रह में संकलित की गईं हैं। आज इनमें से बहुत से भाव ऐसे हैं, जो आज मुझे भी चकित करने वाले हैं किंतु ये जीवन से संपृक्त अवश्य रहे हैं। अपने अतीत की अनुगूंज को सुनते हुए कभी-कभी आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता उत्पन्न होता है। संग्रह की कविताओं के रूप में अनुभव प्रामाणिक, सटीक व मौलिक भावनाएँ समय सापेक्ष सत्य ही हैं। इस संग्रह को पुस्तकाकार रूप में प्रस्तुत करने में मेरी माता श्रीमती रामप्यारी वर्मा, पिता डॉ. टेक राम वर्मा की विशेष कृपादृष्टि और आशीर्वाद रहा है। पत्नी श्रीमती रोहिणी वर्मा का प्रेम व समर्पण, पुत्री एकता, वेदिका, ऋचा की जिज्ञासा, उत्सुकता व सहयोग के कारण यह कार्य पूर्ण हो सका। नर्मदा प्रसाद विश्वकर्मा ‘तृण’ के उत्साहवर्धन से यह कार्य सफल हो सका है। आशा है प्रस्तुत काव्य रसिकों को आनन्दित करने में समर्थ होगी।