ज़िंदगी को प्यार की मीठी जुबां देता हुआ !
धीरे -धीरे वो मॆरी धड़कन का इक हिस्सा हुआ !
फूल में !चन्दा ,सितारों..तितलियों के पंख पर ,
ख्वाब मेरा ,आसमां सा ,दूर ..तक फैला हुआ !
बेवजह तुझसे शिकायत क्यों करूँ मेरे खुदा !
ज़िंदगी में आज तक जो भी हुआ ,अच्छा हुआ !
इन अँधेरों से भला ,अब खौफ क्यों होगा मुझे ?
मेरे भीतर है दीया ,उम्मीद का जलता हुआ !
दिल मेरा इक फूल के मानिंद खिल जाता है ,जब -
याद आता है "शशी " चेहरा तेरा हँसता हुआ !