*इस सकल सृष्टि में समस्त जड़ चेतन के मध्य मनुष्य सिरमौर बना हुआ है | जन्म लेने के बाद मनुष्य को अपने माता - पिता एवं सद्गुरु के द्वारा सत्य की शिक्षा दी जाती है | यह सत्या आखिर है क्या ? तीनो लोक चौदहों भुवन में एक ही सत्य बताया गया है वह है परमात्मा | जिसके लिए लिखा भी गया है :-- "ब्रह्म सत्यं जगत
*मानव जीवन पा करके मनुष्य लंबी आयु जीता है | जीवन को निरोगी एवं दीर्घ जीवी रखने के लिए मनुष्य की मुख्य आवश्यकता है भोजन करना | पौष्टिक भोजन करके मनुष्य एक सुंदर एवं स्वस्थ शरीर प्राप्त करता है | मानव जीवन में भोजन का क्या महत्व है इसको बताने की आवश्यकता नहीं है , नित्य अपने घरों में अनेकों प्रकार
*सनातन धर्म में पितरों के लिए श्राद्ध की अनेक विधियां बताई गई हैं , इन सभी विधियों में सबसे सरल दो विधि बताई गई है :- पिंडदान एवं ब्राह्मण भोजन | मृत्यु के बाद जो लोग देवलोक या पितृलोक में पहुंचते हैं वह मंत्रों के द्वारा बुलाये जाने पर उन लोकों से तत्क्षण श्राद्घदेश में आ जाते हैं और निमंत्रित ब्
*सनातन धर्म में पितृऋण से उऋण होने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को समय समय पर विशेष रूप से श्राद्घपक्ष (पितृपक्ष) में अपने पितरों के लिए तर्पण , श्राद्ध / पिंडदानादि करने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है | बिना श्राद्ध / तर्पण किये व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता तथा पितृदोष से ग्रसित हो जाता है | वैसे तो हमारे ध
*हमारे सनातन ग्रंथों में एक कथानक पढ़ने को मिलता है जो समुद्र मंथन के नाम से जाना जाता है | देवताओं एवं दैत्यों ने अमृत प्राप्त करने के लिए मन्दाराचल को मथानी एवं वासुकि नाग को रस्सी बनाकर समुद्र का मन्थन किया | अथक परिश्रम से मन्थन करने के बाद समुद्र से अमृत निकला परंतु अमृत निकलने के पहले समुद्र स
*सनातन धर्म ने मानव जीवन में आने वाली प्राय: सभी समस्याओं का निराकरण बताने करने का प्रयास अपने विधानों के माध्यम से किया है | नि:संतान दम्पत्ति या सुसंस्कृत , सदाचारी सन्तति की प्राप्ति के लिए "पयोव्रत" का विधान हमारे शास्त्रों में बताया गया है | दैत्यराजा बलि के आक्रमण से देवता स्वर्ग से पलायन करके
*चौरासी लाख योनियों में सबसे अधिक बुद्धिमान , विवेकवान , ऐश्वर्यवान , संपत्तिवान अर्थात सर्वगुण संपन्न होने के बाद भी मनुष्य को गलतियों का पुतला कहां गया है | यहां जाने अनजाने में मनुष्य से नैतिक एवं अनैतिक गलतियां होती रहती हैं | यदि मनुष्य से गलतियां होती रहती है तो उसका प्रायश्चित करने का विधान
*भारत देश पर्व एवं त्यौहारों का देश है , यहाँ प्रतिदिन कोई न कोई पर्व , उत्सव एवं त्यौहार मनाकर आम जनमानस खुशियाँ मनाता रहता है | अभी विगत दिनों छ: दिवसीय "श्रीकृष्ण जन्मोत्सव" का पर्व धूमधाम से मनाने के बाद आज भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से पूरे देश में अनुपम श्रद्घा एवं विश्वास के साथ दस दिवसीय विघ्न वि