हमारा जीवन कैसा था , और अब कैसा होता जा रहा है ! हम अपने संस्कारों को कैसे भूलते चले जा रहे हैं इस पर विचार करने की आश्यकता है ! सत्य सनातन धर्म की मान्यतायें अलौकिक एवं दिव्य रही हैं परंतु आज का सनातनी अपनी मूल मान्यताओं से विमुख होते हुए आधुनिक कल्चर में व्यस्त होकर अपना मूल गंवाता चला जा रहा है ! हम क्या थे और क्या होते चले जा रहे हैं इसी विषय पर मन से निकले विचारों का संग्रह
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